नई दिल्ली : संपूर्ण विकास के लिए किस आयु से बच्चे की देखभाल पर ध्यान दिए जाने की जरूरत होती है, ताकि अपनी उम्र के हिसाब से उसकी हाइट भी कम न हो और वह अन्य बच्चों की तुलना में छोटा न रह जाए।
बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए माता-पिता की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास के लिए सही देखरेख और पोषण जरूरी है। शुरुआत गर्भावस्था से ही हो जाती है। बच्चे के विकास की नींव गर्भावस्था के समय ही रखी जाती है। मां को संतुलित आहार, नियमित जांच और स्वस्थ जीवनशैली अपनानी चाहिए। सकारात्मक सोच और तनाव मुक्त जीवन बच्चे के मानसिक विकास और स्वस्थ रूप से प्रसव में सहायक होती है।
हालांकि बच्चे के जन्म के बाद उसके शारीरिक विकास, जैसे स्वस्थ शरीर, लंबाई बढ़ाने, मांसपेशियों की मजबूती आदि का खास ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही बच्चा का मानसिक विकास भी उम्र के मुताबिक धीमी गति से न हो, इसका भी ध्यान दिए जाने की जरूरत है। ऐसे में आइए जानते हैं कि संपूर्ण विकास के लिए किस आयु से बच्चे की देखभाल पर ध्यान दिए जाने की जरूरत होती है, ताकि अपनी उम्र के हिसाब से उसकी हाइट भी कम न हो और वह अन्य बच्चों की तुलना में छोटा न रह जाए।
जन्म से 2 वर्ष तक
यह समय बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है। जन्म के बाद 1000 दिनों तक बच्चे को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। कम से कम 6 महीने तक केवल माँ का दूध देना चाहिए। 6 महीने के बाद पोषक तत्वों से भरपूर भोजन देना शुरू कर दें। इसके अलावा अपने बच्चे से बात करना, आंखों में देखना, संगीत सुनाना और खिलौनों से खेलना जरूरी है। साथ ही टीकाकरण और समय-समय पर डॉक्टर से जांच भी जरूर कराएं।
3 से 5 वर्ष की उम्र
ये आयु बालपन की होती है। इस उम्र में बच्चे की मोटर स्किल्स का विकास होता है। उसे दौड़ना, कूदना, ड्राइंग, रंग भरना जैसी गतिविधियां कराएं। इस आयु में बच्चा भाषायी ज्ञान प्राप्त करता है। उससे बातचीत करना शुरू कर दें। बच्चे को कहानियां सुनाएं और किताबें पढ़ें ताकि उसकी भाषायी समझ बढ़े। हरी सब्जियों, फल, दूध और प्रोटीन युक्त आहार दें। साथ ही बच्चे को आत्मनिर्भर बनाना सिखाएं, जैसे अपने जूते पहनना या हाथ धोना।
6 से 12 वर्ष की उम्र
इस उम्र में बच्चा विद्यालय जाने लगता है। 12 वर्ष की आयु तक के बच्चों की शारीरिक गतिविधियां बढ़ जाती हैं। उन्हें खेल, योग और अन्य शारीरिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें और पढ़ाई में रुचि बढ़ाने के लिए बच्चों की मदद करें। बच्चे में सामाजिक विकास की ये आदर्श आयु होती है। उन्हें दोस्त बनाना, टीम वर्क और दूसरों के साथ घुलना-मिलना सिखाएं।
13 से 18 वर्ष की आयु
ये किसी भी बच्चे की किशोरावस्था होती है। इस आयु में उन्हें स्वास्थ्य, स्वतंत्रता और शिक्षा के साथ ही भावनात्मक समर्थन की जरूरत होती है। बच्चों को उनकी भावनाओं को समझने और व्यक्त करने में मदद करें। बच्चे में स्वस्थ जीवनशैली, सही खानपान और व्यायाम की आदत डालें। उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करें लेकिन नजर भी रखें। करियर और जीवन के उद्देश्यों के बारे में खुलकर बातचीत करें।