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पेट की दिक्कतों से रहते हैं परेशान, दवाओं से भी नहीं मिल रहा आराम; कहीं आपको डिप्रेशन तो नहीं?

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नई दिल्ली : क्या तमाम उपचार के बाद भी आपके पेट की दिक्कत ठीक नहीं हो रही है? अगर हां तो एक बार आपको जरूर किसी मनोचिकित्सक से मिल लेना चाहिए। अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर पेट की दिक्कत में मनोचिकित्सक का क्या काम है? तो आइए पेट और मन के बीच के संबंध को समझते हैं।

पाचन की समस्याएं बहुत आम हैं, ये किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती हैं। अक्सर अपच-गैस या पेट में दिक्कत बने रहने को मुख्यरूप से आहार की गड़बड़ी से जोड़कर देखा जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, यदि आप अक्सर तला भुना, मसालेदार या हैवी भोजन करते हैं तो इसके कारण आपको पाचन की दिक्कत हो सकती है।

हालांकि अगर आपको अक्सर पेट में ये समस्या बनी रहती है तो इसका समय रहते निदान जरूर करा लें, कुछ स्थितियों में ये किसी गंभीर अंतर्निहित स्वास्थ्य विकारों का परिणाम भी हो सकता है।

पर क्या तमाम उपचारों के बाद भी आपके पेट की दिक्कत ठीक नहीं हो रही है? अगर हां, तो एक बार आपको जरूर किसी मनोचिकित्सक से मिल लेना चाहिए। अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर पेट की दिक्कत में मनोचिकित्सक का क्या काम है? तो आइए पेट और मन के बीच के संबंध को समझते हैं।

गट-ब्रेन हेल्थ कनेक्शन
अगर आपको लगता है कि स्ट्रेस-एंग्जाइटी या फिर डिप्रेशन सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली समस्या है तो जरा गट-ब्रेन हेल्थ कनेक्शन के बारे में भी जान लीजिए। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, स्ट्रेस की समस्या हो या अवसाद की दिक्कत, मानसिक स्वास्थ्य की ये समस्याएं आपके शरीर को कई प्रकार से प्रभावित कर सकती हैं। पाचन स्वास्थ्य की समस्या भी इसका एक संकेत हो सकती है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, मस्तिष्क और पाचन तंत्र के बीच भौतिक और रासायनिक संबंधों के कारण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण हो सकते हैं। यही कारण है कि लंबे समय तक बने रहने वाली पाचन की दिक्कतों में मनोवैज्ञानिक निदान भी जरूरी हो जाता है।

अध्ययन में क्या पता चला?

गट-ब्रेन हेल्थ के बीच के संबंधों को समझने के लिए 2018 के एक अध्ययन में वैज्ञानिकों की टीम ने 19,000 से अधिक प्रतिभागियों को शामिल किया। इसमें पाया गया कि जिन लोगों में पहले से गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स रोग की समस्या थी उनमें चिंता और अवसाद की दर भी काफी अधिक देखी गई। जीईआरडी के कारण भोजन का हिस्सा वापस अन्नप्रणाली में प्रवाहित होने लगताहै, जिससे हार्ट बर्न और दर्द जैसी समस्या हो सकती है।

शोधकर्ताओं ने इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) और अवसाद के बीच भी संबंध पाया है। आईबीएस का उपचार लेने वाले 50-90% व्यक्तियों में चिंता या अवसाद जैसे मानसिक विकारों के भी लक्षण देखे गए हैं।

क्यों होती है ये समस्या

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, जब आप तनाव महसूस करते हैं, तो शरीर कुछ खास हार्मोन्स रिलीज करता है। हार्मोन वे रासायनिक संकेत हैं जिनका उपयोग आपका शरीर पूरे शरीर के सिस्टम को यह बताने के लिए करता है कि किस समय क्या करना है? तनाव प्रतिक्रिया के दौरान, आपका शरीर हृदय गति, श्वास दर और रक्तचाप को बढ़ाकर समस्या से निपटने के लिए प्रयास करता रहता है।

स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल बढ़ने से तेजी से सांस लेने और हृदय गति का बढ़ने का भी खतरा रहता है जिससे आपके पाचन तंत्र पर असर हो सकता है। पेट में एसिड की मात्रा बढ़ने के कारण आपको हार्टबर्न या एसिड रिफ्लक्स होने की दिक्कत अधिक हो सकती है।

समय पर समस्या का पता लगाना जरूरी

जॉन्स हॉपकिन्स के विशेषज्ञों ने एक रिपोर्ट में बताया कि पाचन तंत्र के विकार संज्ञानात्मक क्षमता को भी प्रभावित कर सकते हैं, इसी तरह से मानसिक स्वास्थ्य विकारों के कारण पाचन रोगों का जोखिम रहता है। इस कनेक्शन को समझना बहुत जरूरी है।

अगर आप भी लंबे समय से पाचन स्वास्थ्य समस्याओं से परेशान हैं तो एक बार डॉक्टर से मिलकर जरूर पता लगा लें कि कहीं आपको स्ट्रेस या फिर अवसाद की दिक्कत तो नहीं है?