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आखिर वट सावित्री व्रत में सुहागिन महिलाएं क्यों करती हैं बरगद की पूजा, जानिए इसके पीछे मान्यता…

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नई दिल्ली:– हिंदू धर्म में व्रत और त्योहार का महत्व होता है। आने वाले दिन 26 मई को सुहागिन महिलाओं द्वारा वट सावित्री व्रत रखा जाएगा। इस व्रत को महिलाएं पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए रखती है। इस दिन नवविवाहिता और महिलाएं सोलह श्रृंगार कर पूजा पाठ करती है। इस वट वृक्ष की पूजा में महिलाएं वट वृक्ष यानि बरगद के पेड़ की पूजा करती है। इस दिन ज्येष्ठ मास की सोमवती अमावस्या है, जो व्रत के फल को और भी अधिक शुभ बनाती है।

जानिए इस दिन क्यों की जाती है बरगद की पूजा
आपको बताते चलें कि, वट सावित्री व्रत में महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती है। इसके साथ परिक्रमा करने के बाद सावित्री-सत्यवान की कथा सुनने का महत्व होता है। कहते हैं कि, बरगद के वृक्ष में तीनों देवताओं यानि ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है इसलिए पूजा में वट वृक्ष को शामिल किया गया है। इसमें विस्तार से जानें तो, बरगद के पेड़ की जड़ें ब्रम्हा, तना, भगवान विष्णु तो वहीं इस वृक्ष की शाखाओं में भगवान शिव का वास होता है। कहते हैं वट सावित्री व्रत के दौरान बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

इसे लेकर पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जिस तरह सावित्री अपने समर्पण से अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस लाई थीं, उसी तरह इस शुभ व्रत को रखने वाली विवाहित महिलाओं को एक सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

जानें कैसे हुई वट वृक्ष की उत्पत्ति
आपको बताते चलें कि, वट वृक्ष की उत्पत्ति के लिए एक पौराणिक कथा प्रचलित है। इसके अनुसार, कहा जाता है कि यक्षों के राजा मणिभद्र से ही इस वटवृक्ष की उत्पत्ति हुई थी, और तभी से यह दिव्यता का वाहक बना। वट वृक्ष को उपयोगिता मानते हुए स्त्रियां वट सावित्री व्रत के दिन इस पेड़ की पूजा करती है जो काफी महत्व रखता है। पति की दीर्घायु और संतान सुख की कामना से इस पेड़ की पूजा करती हैं। अपने विशाल स्वरूप और छांव के साथ, एक ऐसी छाया देता है जो केवल शरीर को नहीं, आत्मा को भी शांति देती है।

कैसे करें वट सावित्री व्रत में बरगद की पूजा
यहां पर वट सावित्री व्रत में बरगद की पूजा का महत्व होता है इसके लिए विधि पूर्वक पूजा की जाती है इसकी विधि इस प्रकार है…

वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
इसके बाद व्रत का संकल्प लें और सोलह श्रृंगार करें
पूजा सामग्री में रोली, चंदन, अक्षत, फूल, फल, मिठाई, धूप-बत्ती और कच्चा सूत शामिल करें।
महिलाएं बरगद के पेड़ के नीचे एकत्र होकर व्रत कथा का श्रवण करें।
फिर बरगद के वृक्ष को जल चढ़ाएं और रोली-चंदन से तिलक करें।
कच्चे सूत को बरगद के तने के चारों ओर 7 या 11 बार लपेटते हुए परिक्रमा करें।
पूजा के बाद 7 या 11 सुहागिन स्त्रियों को सुहाग की सामग्री जैसे चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर, काजल और वस्त्र दान करें।