क्या है कांजीवरम और बनारसी साड़ी में अंतर ? खरीदने से पहले जान लें

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नई दिल्ली : कांजीवरम और बनारसी साड़ियां भारत की दो प्रसिद्ध और पारंपरिक साड़ियां हैं, जो अपनी विशिष्टता और पहचान के लिए जानी जाती हैं। आप भी इनके बीच के प्रमुख अंतर को जरूर जानें।

हर साल वर्ल्ड साड़ी डे 21 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन भारतीय परिधान साड़ी को वैश्विक पहचान दिलाने और उसकी खूबसूरती, विविधता, और सांस्कृतिक महत्व का जश्न मनाने के लिए समर्पित है। वर्ल्ड साड़ी डे का मुख्य मकसद है साड़ी की अद्वितीयता और विविधता का जश्न मनाना और इस परिधान को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना। यह दिन महिलाओं को अपनी जड़ों से जुड़ने और परंपराओं को गर्व से अपनाने का मौका देता है।

जब भी बात साड़ियों की होती है तो हर कोई बनारसी और कांजीवरम साड़ी का जिक्र अवश्य करता है। ये दोनों ही साड़ियां महिलाओं को न सिर्फ खूबसूरत दिखने में मदद करती हैं, बल्कि इसकी वजह से उनका अंदाज काफी हटकर भी लगता है। अक्सर लोग इन दोनों साड़ियों में फर्क नहीं कर पाते। ऐसे में हम वर्ल्ड साड़ी डे के दिन आपको इन दोनों साड़ियों में अंतर बताने जा रहे हैं, ताकि आप भी खरीदते समय धोखा न खाएं।

कांजीवरम साड़ी

कांजीवरम साड़ी अपने आप में ही काफी खूबसूरत और रॉयल दिखने वाला परिधान है। इसे मूलरूप से तमिलनाडु के कांजीवरम क्षेत्र में तैयार किया जाता है। इस साड़ी को शुद्ध रेशमी कपड़े पर तैयार किया जाता है।

बात करें इस साड़ी की डिजाइन की तो ये साड़ियां काफी भारी होती हैं और इनका बॉर्डर भी काफी भारी होता है, क्योंकि उसपर सोने-चांदी का काम होता है। इन साड़ियों में मंदिर, फूल, पशु-पक्षियों की पारंपरिक आकृतियां बनी होती हैं। कांजीवरम साड़ी की बॉडी और बॉर्डर को अलग-अलग बुनकर बाद में जोड़ा जाता है, जिससे एक स्पष्ट अंतर दिखाई देता है।

बनारसी साड़ी

शादियों मेें नई दुल्हनें ज्यादातर बनारसी साड़ी पहनना पसंद करती हैं। ये मूल रूप से उत्तर प्रदेश के वाराणसी क्षेत्र में बनाई जाती हैं। इन साड़ियों को शुद्ध रेशम के साथ-साथ कटक या शिफॉन फैब्रिक पर भी तैयार किया जाता है। इसकी डिजाइन काफी बारीक होती है।

ज्यादातर बनारसी साड़ियों पर मुगल कला से प्रेरित डिज़ाइन जैसे बेल-बूटे, फूल-पत्ते, जाली और जटिल रूपांकन देखने को मिलता है। इसके साथ-साथ इन पर जरी और मीना का काम अधिक होता है। बनारसी साड़ियां आपको पारंपरिक और विविध रंगों में उपलब्ध हो जाती हैं। इस पूरी साड़ी पर भारी बुनाई होती है, जिससे यह भव्य और शाही दिखती है।

ये है बड़ा अंतर

अगर आप साड़ी को हाथ से छूते हैं, तो कांजीवरम साड़ी की भारी और मजबूत बनावट तथा बनारसी साड़ी की हल्की और महीन बुनाई तुरंत समझ में आ जाती है। ऐसे में जब भी आप सिल्क की साड़ी खरीदने जाएं तो हाथ से पकड़ कर उसका काम देखें और ऊपर बताई गई बारीकी पर ध्यान दें।