भूपेश सरकार में क्वींस क्लब था अय्याशी-नशाखोरी का सेंटर! सीएसईबी के एसई का मिला संरक्षण

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क्वींस क्लब के संचालक व ठेकेदारों को सीएसईबी के अधिकारियों का भी संरक्षण मिला। विद्युत विभाग के एसई मनोज वर्मा का इन्हें प्रत्यक्ष सहयोग मिला। मनोज वर्मा पिछली सरकार बेहद वजनदार थे और वह सुपर सीएम की तरह काम करते थे। उन्होंने सीधे तौर पर क्वींस क्लब के संचालक और ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया। यहां तक उनसे बिजली बिल की भी वसूली नहीं की गई। जब उनसे वसूली के लिए अधिकारी अनुरोध करते तो वह मैं देख लूंगा कहकर टाल देते थे। मेहरबानी इतनी रही कि जब हाउसिंग बोर्ड लीज रद्द किया तब क्वींस क्लब के संचालक पर विद्युत विभाग की 32.50 लाख से ज्यादा की देनदारी थी, जिसकी वसूली आज तक नहीं हो सकी।

रायपुर। वीआईपी रोड स्थित क्वींस क्लब की लीज कैंसिल कर छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड ने अपने कब्जे में ले लिया है। काफी रस्साकसी और सरकार बदलने के बाद ही उसका एग्रीमेंट रद्द किया जा सका। कब्जे में लेने के बाद बोर्ड के अधिकारियों ने जब वहां का निरीक्षण किया तो पता चला कि क्लब के जिम, स्वीमिंग पूल, बैडमिंटन कोर्ट, टेनिस कोर्ट, स्नूकर टेबल, पूल टेबल, स्क्वैश, क्लब के कमरों आदि का मेंटेनेंस ही नहीं किया जा रहा था। इतना ही नहीं उस पर 33 लाख रुपए से ज्यादा का टैक्स भी बकाया है। इस टैक्स की वसूली हुई या नहीं इसे लेकर भी बोर्ड के अफसर कुछ नहीं कह रहे हैं।

अपने खुद के क्लब को वापस पाने के लिए बोर्ड अफसरों को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ गया। 30 साल की लीज पर क्लब का संचालन किया जा रहा था। लेकिन कुछ रसूखदारों के कारण यहां कई बार गैंगवार के हालात बने। गोली भी चली। उसके बावजूद लीज एग्रीमेंट खत्म नहीं किया गया। कोरोना काल में प्रतिबंध के बाद भी क्लब में जमकर नशाखोरी हुई। दोगुनी कीमत में शराब बिकी की गई और क्लब के कमरे भी बुक होते रहे। किसी ने भी उसका विरोध नहीं किया। सरकार बदलने के बाद एक मंत्री ने बोर्ड के अफसरों की क्लास लेकर पूरी जानकारी ली। उसके बाद ही क्लब की लीज कैंसिल कर लेने की कागजी प्रक्रिया शुरू की गई। अब इसे नए सिरे से फिर तीस साल के लिए लीज पर दिया जाएगा। क्वींस क्लब को बोर्ड ने 2008 में एमीनेंट इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के संचालक हरबक्श सिंह बत्रा को लीज पर दिया था। कई कारणों से उसे क्लब का संचालन छोडऩे के लिए नोटिस दिया गया। लेकिन हर बार पिछली सरकार के रसूखदारों ने उसे बचा लिया।

लीज पर देने को लेकर भी जबरदस्त विवाद

अनुबंध के तहत उसे हर साल 12 लाख रुपये हाउसिंग बोर्ड को देने थे, लेकिन 2015 के बाद से उसने पैसा देना बंद कर दिया। गोलीकांड के बाद जब क्लब चर्चा में आया तो उसे 64 लाख रुपए बकाया का नोटिस दिया गया। लेकिन उसने उस समय भी 36 लाख रुपए ही जमा किए। संपदा अधिकारी और अतिरिक्त आयुक्त के बीच इसे लेकर कहासुनी भी हुई थी। दोनों अफसरों के बीच करीब एक साल तक ठनी रही। आरोप था कि क्लब को सबलीज पर देने के लिए नियमों को तोड़ा गया है।

फरवरी में अंतिम सूचना देकर एग्रीमेंट किया रद्द

सरकार बदलने के बाद छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल ने 19 फरवरी 2024 एग्रीमेंट रद्द करने की अंतिम नोटिस दी। लेकिन बत्रा ने इस नोटिस का भी कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद एकपक्षीय कार्रवाई करते हुए 15 मार्च को एग्रीमेंट रद्द कर दिया गया। अपने कब्जे में लेने के बाद 6 जून से बोर्ड नए सिरे से इसका शुभारंभ कर रहा है। इस क्लब के पीछे सांसदों-विधायकों की विशेष आवासीय कॉलोनी है। क्लब की जमीन भी उसी योजना का हिस्सा है।

फिर लीज पर लेने के लिए राजनीति शुरू

अफसरों के अनुसार क्लब को फिर से 30 साल की लीज पर देने के लिए टेंडर जारी किया जाएगा। इसके लिए आचार संहिता खत्म होने का इंतजार किया जा रहा था। चर्चा है कि क्लब को लीज पर लेने के लिए दो ताकतवर नेताओं के कुछ समर्थकों में अभी से जोर आजमाइश शुरू हो गई है। उन्होंने बोर्ड के कुछ अफसरों को एप्रोच भी किया है। अब सभी को नए टेंडर का इंतजार है।

कोरोना काल में क्लब में चली थी गोली

कोरोना काल के लॉकडाउन के दौरान क्वींस क्लब में रोज चोरी-छिपे पार्टी होती थी। इसी तरह की पार्टी के दौरान एक दिन दो गुट भिड़ गए। उनके बीच विवाद इतना बढ़ा कि एक पक्ष ने गोली भी चला दी। इसके बाद बत्रा को नोटिस भी दी गई। बाद में सबकुछ जांच के नाम पर बंद कर दिया है। बताते चले कि बत्रा का ऐसा रसूख था कि वह नोटिस का जवाब देना भी जरूरी नहीं समझता था। क्लब के संचालन में जो ग्रुप उसकी मदद करता था उसका संबंध उस समय के पावरफुल मंत्री से था। इस वजह से न तो संचालक पर कोई कार्रवाई हुई और न ही हाउसिंग बोर्ड ये क्लब को वापस मिल सका।

हाउसिंग बोर्ड के तीन भ्रष्ट अफसरों ने किया खेल

क्वींस क्लब के लिए हाउसिंग बोर्ड के अफसरों ने सारे नियमों को तार-तार कर दिया। पड़ताल में यह पहले ही साफ हो चुका है कि क्वींस क्लब के अवैध निर्माण को लेकर हाउसिंग बोर्ड के तत्कालीन संपदा अधिकारी रहे और वर्तमान में अतिरिक्त आयुक्त हेमंत कुमार वर्मा के साथ अन्य अफसरों ने रसूखदारों के साथ मिलकर खेल किया था। क्वींस क्लब के अवैध निर्माण को लेकर भी सवाल उठे। जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा जारी नोटिस का भी तत्कालिन संचालक ने जवाब नहीं दिया है। इससे यह चर्चा जोरों पर रही कि रसूखदारों के दबाव के चलते प्रशासन भी सख्त कार्रवाई करने के मूड में नहीं है। क्वींस क्लब को लीज या सब-लीज पर देने में दस्तावेजों में की गई गड़बड़ी मामले में हरबख्श सिंह बत्रा समेत अन्य डायरेक्टरों को पुलिस ने दोबारा नोटिस जारी कर मूल दस्तावेज मांगे थे। मामले में जांच अब भी लंबित है।