नई दिल्ली : वैश्विक आंकड़े बताते हैं, हृदय रोगों के कारण हर 33 सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत हो रही है , जिससे स्पष्ट है कि ये बीमारी वैश्विक स्वास्थ्य के लिए गंभीर चिंता का विषय है। आप भले ही अभी इस गंभीर समस्या से बचे हुए हैं पर ऐसा नहीं है भविष्य में आपको ये बीमारी नहीं हो सकती है, इसलिए हृदय रोगों से बचाव के लिए सभी लोगों को निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।
दुनियाभर में कई प्रकार की क्रोनिक बीमारियों का खतरा पिछले एक दशक में काफी तेजी से बढ़ा है। लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के साथ कई प्रकार के पर्यावरणीय कारकों को इसके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। हाल के कई अध्ययनों में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने हृदय रोगों के बढ़ते खतरे को लेकर सभी को सावधान किया है।
मेडिकल रिपोर्ट्स से पता चलता है कि युवा आबादी भी इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या का तेजी से शिकार होती जा रही है। डेथमीटर की रिपोर्ट के मुताबिक हृदय रोग और इसके कारण होने वाली जटिलताएं वैश्विक स्तर पर मृत्यु का प्रमुख कारण रहे हैं।
इस साल 23 दिसंबर तक अकेले कोरोनरी आर्टरी डिजीज के कारण 98.75 लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई। सीएडी साल 2024 में मृत्यु का प्रमुख कारण है। वैश्विक आंकड़े बताते हैं, हृदय रोगों के कारण हर 33 सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत हो रही है, जिससे स्पष्ट है कि ये बीमारी वैश्विक स्वास्थ्य के लिए गंभीर चिंता का विषय है। आश्चर्यजनक रूप से हृदय संबंधित समस्याओं जैसे हार्ट अटैक-कार्डियक अरेस्ट से मरने वाले लोगों में बड़ी संख्या 40 से कम आयु के वयस्कों की है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, आप भले ही अभी इस बीमारी से बचे हुए हैं पर ऐसा नहीं है भविष्य में आपको ये बीमारी नहीं हो सकती है, इसलिए हृदय रोगों से बचाव के लिए सभी लोगों को निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।
हृदय संबंधी रोगों का बढ़ता जोखिम
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक हृदय संबंधी रोगों के कारण वैश्विक स्वास्थ्य पर दबाव बढ़ता जा रहा है। हृदय रोगों के कारण होने वाली मौतों में से 60-70 फीसदी के लिए हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट जिम्मेदार है।
एक अन्य रिपोर्ट से पता चलता है कि डब्ल्यूएचओ के यूरोपीय क्षेत्र में हृदय रोगों के लिए हाइपरटेंशन मुख्य कारक है। यहां किए गए अध्ययनों में पाया गया है कि 30-79 वर्ष की आयु के लगभग तीन में से एक व्यक्ति को हाइपरटेंशन की दिक्कत है, जिसके कारण हार्ट अटैक होने का खतरा बढ़ जाता है।
हाई ब्लड प्रेशर के अलावा लाइफस्टाइल से संबंधित कई अन्य कारकों के चलते भी लोगों में ये जानलेवा बीमारी बढ़ रही है जिसको लेकर सभी लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
बढ़ते हृदय रोगों के लिए क्या चीजें जिम्मेदार हैं?
हृदय रोग क्यों होते हैं इसको समझने के लिए किए गए अध्ययनों में शोधकर्ताओं ने जिन कारकों को प्रमुख माना है उनमें तंबाकू का उपयोग, आहार से संबंधित गड़बड़ी और मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता, शराब-धूम्रपान की आदत और वायु प्रदूषण मुख्य हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, हृदय संबंधी बीमारी का जल्द से जल्द पता लगाना महत्वपूर्ण है ताकि परामर्श और दवाओं के साथ प्रबंधन शुरू किया जा सके। समय पर उपचार और आदतों में सुधार करके हृदय रोगों की गंभीरता और इससे मौत के खतरे को कम किया जा सकता है।
आप भी तो नहीं पीते हैं शराब?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बड़ी संख्या में युवाओं में शराब पीने की आदत देखी गई है, ये हृदय स्वास्थ्य के लिए बहुत समस्याकारक है। अल्कोहल कई ऐसी स्थितियां उत्पन्न कर सकता है जो न सिर्फ हृदय पर अतिरिक्त दबाव को बढ़ाती हैं साथ ही हार्ट अटैक जैसी जानलेवा समस्याओं का भी कारण बन सकती हैं। डॉक्टर कहते हैं, अल्कोहल के सेवन की कोई सुरक्षित मात्रा नहीं है, इससे इससे बिल्कुल दूरी बना लेना जरूरी है।
अल्कोहल से होने वाली समस्याओं के लिए मेडिकल में अल्कोहल-इंड्यूस कार्डियोमायोपैथी का जिक्र मिलता है, जो शराब के कारण हृदय को होने वाली क्षति को दर्शाता है। यह नुकसान इसलिए होता है क्योंकि आपकी हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे वह उतनी अच्छी तरह से पंप नहीं कर पातीं जितना उसे करना चाहिए। समय के साथ दिल के प्रभावी रूप से रक्त पंप न कर पाने के कारण ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है जो जानलेवा समस्याओं को कारण बनती है।
वजन बढ़ना भी खतरनाक
वजन बढ़ना या मोटापे की स्थिति भी आपके हृदय स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। खास तौर पर कमर के आस-पास यानी पेट की चर्बी बढ़ना। इस तरह की समस्या के शिकार लोगों की धमनियों में वसायुक्त पदार्थ जमा होने लग जाते हैं, जिसे एथेरोस्क्लेरोसिस कहा जाता है। अगर दिल को रक्त पहुंचाने वाली धमनियां क्षतिग्रस्त या अवरुद्ध हो जाती हैं और उनमें रुकावट आ जाती है, तो इससे दिल का दौरा पड़ सकता है, इसलिए वजन कम करना भी हृदय को स्वस्थ रखने के लिए बहुत जरूरी है।