नई दिल्ली:–काम के पुराने ढर्रे को अब अलविदा कहने का समय आ गया है। 2025 से भारत सरकार द्वारा लागू किए जाने वाले नए Labour Code के तहत कर्मचारियों को 4 दिन काम करने और 3 दिन छुट्टी पाने का विकल्प मिलेगा। यह बदलाव न सिर्फ नौकरीपेशा लोगों की ज़िंदगी को संतुलित बनाएगा बल्कि काम के तनाव को भी काफी हद तक कम करेगा। इस आर्टिकल में हम आपको इस नए कानून के हर पहलू को आसान भाषा में समझाएंगे, ताकि आप जान सकें कि ये बदलाव आपके लिए कैसे फायदेमंद है।
नया लेबर कोड भारत सरकार द्वारा श्रमिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया एक समग्र कानून है, जिसमें पुराने 29 श्रम कानूनों को मिलाकर 4 नए कोड्स में बदला गया है। इसका उद्देश्य श्रमिकों को बेहतर वेतन, सुरक्षित कार्यस्थल, सामाजिक सुरक्षा और काम के घंटों में लचीलापन देना है। ये कोड हैं – वेज कोड, सोशल सिक्योरिटी कोड, इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड और ऑक्युपेशनल सेफ्टी एंड हेल्थ कोड। इससे कंपनियों को भी कामकाज आसान होगा और कर्मचारियों को भी अधिक पारदर्शिता और अधिकार मिलेंगे।
नया लेबर कोड दरअसल चार प्रमुख श्रम कानूनों को मिलाकर बनाया गया है:
वेज कोड
इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड
सोशल सिक्योरिटी कोड
ऑक्युपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड
इनका मकसद है कर्मचारियों और नियोक्ताओं के बीच पारदर्शिता लाना, काम के घंटे तय करना, ओवरटाइम को स्पष्ट करना और वर्क-लाइफ बैलेंस को बेहतर बनाना।
दिन का काम और 3 दिन की छुट्टी: क्या है ये व्यवस्था?
4 दिन का काम और 3 दिन की छुट्टी की व्यवस्था का मतलब है कि कर्मचारी सप्ताह में सिर्फ 4 दिन काम करेंगे, लेकिन हर दिन 12 घंटे की शिफ्ट करनी होगी, जिससे कुल 48 घंटे का वीकली वर्क आवर पूरा हो सके। यह नियम पूरी तरह वैकल्पिक है, यानी कर्मचारी चाहें तो पारंपरिक 5 या 6 दिन का शेड्यूल भी चुन सकते हैं। इसका मकसद है लोगों को वर्क-लाइफ बैलेंस देना, ताकि वे परिवार, आराम और निजी विकास के लिए ज्यादा समय निकाल सकें।
सरकार ने नए कोड में यह व्यवस्था दी है कि कंपनियां अपने कर्मचारियों से हफ्ते में 4 दिन काम करवा सकती हैं, बशर्ते कि वे रोज़ 12 घंटे की शिफ्ट में काम करें। इसका मतलब यह है कि:
सप्ताह के कुल 48 घंटे काम करना अनिवार्य होगा
चाहे वह 6 दिन × 8 घंटे हो या 4 दिन × 12 घंटे
कर्मचारियों को अतिरिक्त छुट्टी देने की अनुमति होगी
वर्क-लाइफ बैलेंस बेहतर होगा: लंबे वीकेंड्स से परिवार व खुद के लिए समय मिलेगा।
ट्रैवल का समय बचेगा: सप्ताह में कम बार ऑफिस आने-जाने से यात्रा का खर्च और समय दोनों बचेंगे।
मानसिक स्वास्थ्य में सुधार: 3 दिन का रेस्ट लंबे समय में तनाव कम कर सकता है।
फ्रीलांस या पार्ट टाइम काम के मौके: बाकी दिनों में लोग अन्य स्किल्स या फ्रीलांसिंग कर सकते हैं।