रायपुर:–धरसींवा क्षेत्र स्थित मारुति प्लाइवुड इंडस्ट्रीज में इन दिनों गंभीर लापरवाही और श्रम कानूनों के उल्लंघन की तस्वीरें सामने आई हैं। टीएनपी न्यूज़ की टीम जब मौके पर पहुंची तो कैमरे में जो कैद हुआ, उसने इस मिल की असलियत उजागर कर दी।

बालश्रम की पुष्टि, मास्क और ग्लव्स नदारद
मिल परिसर में कई नाबालिग बच्चे काम करते देखे गए, जिनके हाथों में न दस्ताने थे और न ही चेहरे पर मास्क। प्लाइवुड निर्माण के दौरान उड़ने वाली धूल में बिना किसी सेफ्टी के यह बच्चे खुले में काम कर रहे थे। यह साफ तौर पर बाल श्रम निषेध कानून का उल्लंघन है।

फायर सेफ्टी भी नदारद, बड़ा हादसा कभी भी संभव
मिल में कहीं भी अग्निशमन यंत्र या फायर अलार्म जैसी कोई व्यवस्था नजर नहीं आई। लकड़ी, केमिकल और धूल के बीच यह लापरवाही किसी बड़े हादसे को न्योता दे रही है। अगर कोई आपात स्थिति उत्पन्न होती है, तो जान-माल का नुकसान तय है।

प्रदूषण का अड्डा बनी मिल, छात्रों और ग्रामीणों की सांसें फुलीं
इस मिल से निकलने वाली धूल और धुआं इतना अधिक है कि आसपास के स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं को आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत की शिकायत हो रही है। स्थानीय निवासी बताते हैं कि यह मिल अब उनके लिए सिरदर्द बन चुकी है।

अनाधिकृत कच्ची झोपड़ियां भी खड़ी, श्रमिकों की स्थिति दयनीय
मिल परिसर में कई अस्थायी झोपड़ियां बनाई गई हैं, जहां बिना किसी सुविधा के श्रमिक रहते हैं। न पीने का साफ पानी, न शौचालय की व्यवस्था – यह श्रमिक मानवाधिकार हनन जैसी स्थिति में काम कर रहे हैं।
प्रशासन से जवाब मांगती है टीएनपी न्यूज़ की टीम
टीएनपी न्यूज़ अब स्थानीय प्रशासन और श्रम विभाग से यह सवाल करता है कि –

क्या बाल श्रम पर रोक लगाने की ज़िम्मेदारी सिर्फ कागजों तक सीमित रह गई है?
क्या बिना फायर सेफ्टी के इस तरह की मिल को संचालन की अनुमति दी जा सकती है?
पर्यावरण विभाग कब इस प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग पर शिकंजा कसेगा?
