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धार्मिक ही नहीं मकर संक्रांति का है वैज्ञानिक महत्व, जानिए पर्व की रोचक बातें

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नई दिल्ली : मकर संक्रांति का त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। मकर संक्रांति सूर्य, पृथ्वी और ऋतुओं के बीच के संबंध को दर्शाने वाला पर्व है। आइए, मकर संक्रांति से जुड़ी धार्मिक और वैज्ञानिक रोचक बातों को जानते हैं।

मकर संक्रांति भारत का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। यह त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। मकर संक्रांति सूर्य, पृथ्वी और ऋतुओं के बीच के संबंध को दर्शाने वाला पर्व है। आइए, मकर संक्रांति से जुड़ी धार्मिक और वैज्ञानिक रोचक बातों को जानते हैं।

मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व

सूर्य पूजा- मकर संक्राति पर भगवान सूर्य देव की भूजा की जाती है। यह दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है जिसे उत्तरायण भी कहते हैं।

स्नान- इस दिन गंगा, यमुना, गोदावरी और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है। यह पुण्य अर्जित करने और पापों से मुक्ति का पर्व है।

दान-पुण्य- इस दिन तिल, गुड़, चावल और वस्त्रों का दान करना विशेष फलदायी माना गया है।

मकर संक्रांति अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम और तरीकों से मनाई जाती है, जैसे कि तमिलनाडु में पोंगल, पंजाब में लोहड़ी, गुजरात में उत्तरायण और उत्तर प्रदेश में खिचड़ी।

मकर संक्रांति का वैज्ञानिक महत्व

मकर संक्रांति से सूर्य दक्षिणासनय से उत्तरायण की ओर बढ़ता है। इसका वैज्ञानिक कारण है। सूर्य धीरे धीरे उत्तरी गोलार्ध की ओर झुकता है, जिससे दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं।

मकर संक्रांति से शीत ऋतु का अंत और वसंत ऋतु की शुरुआत होती है। यह समय कृषि के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि फसल कटाई का मौसम शुरू होता है।

सूर्य की किरणों में विटामिन डी प्रचुर मात्रा में मिलता है। इस समय सूर्य की किरणें स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी मानी जाती हैं।

मकर संक्रांति पर सूर्य की स्थिति भूमध्य रेखा से मकर रेखा की ओर होती है। यह दिन खगोलीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह साल का पहला सोलर ट्रांजिट या सूर्य का राशि परिवर्तन होता है।