नई दिल्ली : दुनिया के कई देश इन दिनों मंकीपॉक्स का संक्रमण झेल रहे हैं। अफ्रीकी देशों से शुरू हुआ ये वायरल संक्रमण यूएस-यूके सहित कई एशियाई देशों में भी बढ़ता जा रहा है। वायरल जूनोटिक रोग से मध्य और पश्चिमी अफ्रीका के देश सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। कांगो में अब तक 18 हजार से अधिक संदिग्ध मामले सामने आए हैं, जबकि कम से कम 610 लोगों की इससे जान जा चुकी है।
हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पड़ोसी देश पाकिस्तान में संक्रमण का पांचवा मामला सामने आया है। मंकीपॉक्स संक्रमण को चूंकि कई मामलों में गंभीर और जानलेवा माना जाता है इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे ‘ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित’ कर दिया था। मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत में भी अलर्ट जारी किया गया है, फिलहाल यहां अब तक संक्रमण के मामले सामने नहीं आए हैं।
आइए जानते हैं कि मंकीपॉक्स कितना खतरनाक है और इससे बचाव के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए?
नए स्ट्रेन के कारण बढ़ रहा है संक्रमण
हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों ने एमपॉक्स के बढ़ते मामलों के लिए इसके नए स्ट्रेन ‘क्लेड आईबी’ को जिम्मेदार माना है। विशेषज्ञों ने कहा इस बात की गंभीर चिंता है कि वायरस म्यूटेट हो रहा है और नए स्ट्रेन पैदा कर रहा है। यह उन देशों में भी रिपोर्ट किया जा रहा है जहां अब तक एमपॉक्स का खतरा नहीं था।
इस बीच भारत में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी लोगों को संक्रमण को लेकर सावधानी बरतने की सलाह दी है। मंत्रालय ने एमपॉक्स कैसे फैलता है और संक्रमण की स्थिति में क्या करें, इस बारे में विस्तार से जानकारी साझा की है।
कैसे फैलता है ये संक्रमण?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक पोस्ट में बताया, एमपॉक्स एक वायरल संक्रमण है जो संक्रमित वस्तुएं, निकट संपर्क, और शरीर के तरल पदार्थों से फैल सकता है। संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग की गई वस्तुएं जैसे कपड़े, चादर, तौलिए आदि के इस्तेमाल से बचें। संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ या घाव के संपर्क में आने से भी संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता है। सामुदायिक तौर पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।
जानिए, एमपॉक्स कैसे फैलता है!
एमपॉक्स एक वायरल संक्रमण है जो संक्रमित वस्तुएं, निकट संपर्क, और शरीर के तरल पदार्थों से फैल सकता है।
यदि लक्षण दिखाई दें या पुष्ट मामले के संपर्क में आएं, तो तुरंत अपनी स्वास्थ्य सुविधा से संपर्क करें और संदिग्ध मामलों की सूचना देने क लिए नीचे…
कितने दिनों तक रहता है असर?
मंत्रालय ने बताया, कुछ स्थितियों में संक्रमण का असर दो-चार सप्ताह तक रह सकता है। हालांकि अगर मरीजों का समय पर निदान होकर सहायक उपचार मिल जाए तो उनके ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है।
इसके अलावा यदि किसी में लक्षण दिखाई दें या संक्रमित रोगियों के संपर्क में आएं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। संदिग्ध मामलों की सूचना देने के लिए इस लिंक पर क्लिक करने के लिए भी अपील की गई है।
मंकीपॉक्स का क्या उपचार है?
मंकीपॉक्स के उपचार के लिए अब तक कोई विशिष्ट दवा तो नहीं है हालांकि इसके कुछ टीकों पर अध्ययन जरूर चल रहा है। एंटीवायरल दवा टेकोविरिमैट जो मूल रूप से चेचक के लिए है, इसका एमपॉक्स के उपचार के लिए अध्ययन किया जा रहा है। यूनाइटेड स्टेट्स फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में गंभीर एमपॉक्स मामलों के लिए जेएनएनईओएस नामक चेचक के टीके को भी मंजूरी दी है।