नई दिल्ली : उनके साथी जब उनसे कोई मदद या चीज मांगते हैं तो वे उन्हें साफ मना कर देते हैं, बिना यह सोचे कि सामने वाले को कितना बुरा लगेगा। इस तरह का रूखा स्वभाव उनके भविष्य को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
बच्चों का अपने साथियों, माता-पिता को सही से जवाब न देना उनके शरारती स्वभाव का हिस्सा होता है। मगर कई बच्चों का स्वभाव बहुत ज्यादा रूखा होता है। उनके साथी जब उनसे कोई मदद या चीज मांगते हैं तो वे उन्हें साफ मना कर देते हैं, बिना यह सोचे कि सामने वाले को कितना बुरा लगेगा। इस तरह का रूखा स्वभाव उनके भविष्य को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
कारण जानें
कई बच्चे प्राकृतिक रूप से ही रूखे स्वभाव के होते हैं तो कई किसी कारणवश ऐसा करते हैं। अगर यह रूखापन एकदम से उनके व्यवहार में आया है तो इसके कई कारण हो सकते हैं। इनमें परिवार का वातावरण, अकेलापन, माता-पिता के प्यार का अभाव, आवश्यकता या इच्छाओं की अनदेखी और सामाजिक अस्वीकारता शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा माता-पिता का ध्यान आकर्षित करने के लिए भी बच्चे ऐसा कर सकते हैं, जिसे आपको जानना चाहिए।
संवाद है पहला हल
बच्चे नासमझ होते हैं। वे समझ नहीं पाते कि उनका रूखा व्यवहार दूसरों को कैसे प्रभावित कर सकता है और रिश्तों में परेशानियां बढ़ा सकता है। इसलिए आप उनसे बात करें और उन्हें शांति से समझाएं कि उनका ऐसा करना गलत है। अगर वे ऐसा किसी कारण से कर रहे हैं तो उसका सही हल निकालें, ताकि यह व्यवहार उनके स्वभाव का हिस्सा न बने।
परिणाम का अहसास
बच्चों को कुछ भी सिखना आसान नहीं होता। कई बार उन्हें डराना भी पड़ता है, इसलिए आप उन्हें बताएं कि अगर वे लोगों से ऐसे ही रूखा व्यवहार करते रहे तो कोई उनसे बात नहीं करेगा और साथ नहीं खेलेगा। वहीं अगर बच्चा बोले कि ‘मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता’, तो डांटें नहीं, बल्कि प्यार से समझाएं।
उदाहरण दें, उदाहरण बनें
बच्चों को सिखाने का सबसे प्रभावी तरीका है कि आप खुद उदाहरण प्रस्तुत करें। यदि आप दूसरों के साथ सहानुभूति दिखाती हैं तो बच्चे इसे देखकर खुद सीखेंगे। वहीं अगर आपको लगता है कि बच्चे के आस-पास कोई ऐसा व्यक्ति है, जो उसके लिए उदाहरण बन सकता है तो आप उसके व्यवहार से भी सिखाने की कोशिश करें। जब भी बच्चा किसी के साथ अच्छा व्यवहार करे तो उसकी सराहना करें। इससे उसे समझ आएगा कि सकारात्मक व्यवहार के लिए उसे सम्मान और प्यार मिलता है।
भावनाओं का सही उपयोग
अधिकतर लोगों का जीवन भावनाओं की गलत अभिव्यक्ति करते-करते ही गुजर जाता है। ऐसे में आप अपने बच्चों को गुस्से या नकारात्मक भावनाओं को सही तरीके से व्यक्त करना जरूर सिखाएं। आप उन्हें सिखाएं कि गुस्से या झुंझलाहट के बावजूद दूसरों के साथ सम्मान से कैसे पेश आना है।
सकारात्मक गतिविधियां
व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए उन्हें टीम वर्क, सहानुभूति और दूसरों की मदद करने जैसी गतिविधियों में शामिल करें। आप उन्हें सामूहिक खेल, समूह परियोजनाओं या समाज सेवा जैसे कार्यों में सम्मिलित करें। इससे उनके भीतर सहानुभूति और दूसरों की मदद करने की भावना विकसित होगी।
ड्रॉइंग, क्ले, सैंड टॉय या म्यूजिक
बाल मनोवैज्ञानिक गार्गी मालगुड़ी कहती हैं, बच्चे के व्यवहार में रूखापन आने का मतलब है कि वह कहीं न कहीं भावनात्मक रूप से अस्थिर है। दूसरा कारण है कि वह अपने आस-पास के वातावरण और करीबी लोगों को देखकर ऐसा कर रहा है। तीसरा मुख्य कारण है कि उसे किसी चीज की कमी है, जो आप उसे दे नहीं रही हैं। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि आप बच्चे को अपना कीमती समय दें और उसे गहराई से समझें। जब आप उसे समझेंगी तो वह आपको बताएगा कि उसके जीवन में क्या उथल-पुथल चल रही है, जिससे उसका व्यवहार बदल गया है। सब समझने के बाद आप उसके व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए ड्रॉइंग, क्ले, सैंड, टॉय या म्यूजिक जैसी थेरेपी का सहारा ले सकती हैं।