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बच्चों को व्यस्त रखने के लिए अगर आप भी थमा देते हैं मोबाइल तो जान लीजिए इसके गंभीर नुकसान

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नई दिल्ली : अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि जो माता-पिता अपने बच्चे को बिजी रखने के लिए “डिजिटल डमी” का उपयोग करते हैं, उन बच्चों में समय के साथ मानसिक और शारीरिक बीमारियों का खतरा अन्य बच्चों की तुलना में काफी अधिक हो सकता है। कहीं आप भी तो ये गलती नहीं कर रहे हैं?

मोबाइल-कंप्यूटर और टेलीविजन जैसे स्क्रीन्स से हम सभी दिनभर किसी न किसी तरह से घिरे ही रहते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि स्क्रीन पर बढ़ता आपका ये समय सेहत को कई प्रकार से गंभीर नुकसान पहुंचाने वाला हो सकता है? कई अध्ययन इसको लेकर गंभीर चिंता जताते रहे हैं कि बढ़ा हुआ स्क्रीन टाइम शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार की सेहत को नुकसान पहुंचाने वाला हो सकता है। विशेषतौर पर बच्चों में बढ़ते स्क्रीन टाइम को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने गंभीर चिंता व्यक्त की है।

अगर आप भी अपने बच्चे को व्यस्त रखने के लिए मोबाइल थमा देते हैं तो सावधान हो जाइए। जाने-अनजाने आपकी ये एक आदत बच्चे की सेहत को बहुत नुकसान पहुंचाने वाली हो सकती है।

एक नए अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि जो माता-पिता अपने बच्चे को बिजी रखने के लिए “डिजिटल डमी” का उपयोग करते हैं, उन बच्चों में समय के साथ मानसिक और शारीरिक बीमारियों का खतरा अन्य बच्चों की तुलना में काफी अधिक हो सकता है।

प्रीस्कूल-आयु के बच्चों में देखे गए दुष्प्रभाव

वैज्ञानिकों की टीम ने एक हालिया अध्ययन में पाया है कि बहुत ज्यादा स्क्रीन टाइम प्रीस्कूल-आयु के बच्चों में नींद की गुणवत्ता को कम कर सकता है। शोध के अनुसार, लैपटॉप, टैबलेट या स्मार्टफोन के सामने बच्चों का बीतने वाला अधिक समय उनमें एकाग्रता की समस्या और अस्थिर मनोदशा जैसी दिक्कतों का भी कारण बन सकती है। इसके अलावा बढ़े हुए स्क्रीन टाइम के कारण बच्चों की संज्ञानात्मक क्षमता में कमी के भी मामले देखे जा रहे हैं जो उनके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाली हो सकती है।

अर्ली चाइल्ड डेवलपमेंट एंड केयर जर्नल में प्रकाशित शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि बच्चों को स्वस्थ रखने और भविष्य में उन्हें कई प्रकार की गंभीर समस्याओं से बचाने के लिए स्क्रीन टाइम को कम करना सबसे जरूरी हो गया है।

अध्ययन में क्या पता चला?

बच्चों की सेहत पर बढ़े हुए स्क्रीनटाइम के दुष्प्रभावों को जानने के लिए कनाडा और चीन के वैज्ञानिकों ने विस्तृत शोध किया। वैज्ञानिकों ने पाया कि स्क्रीनटाइम बढ़ने के कारण नींद तो प्रभावित होती ही है साथ ही इसके कारण दीर्घकालिक तौर पर हाइपरएक्टिव अटेंशन प्रॉब्लम यानी एकाग्रता बनाए रखने में दिक्कत, संज्ञानात्मक समस्याओं के बढ़ने की दिक्कत देखी गई है।

शंघाई नॉर्मल यूनिवर्सिटी से प्रीस्कूल शिक्षा के विशेषज्ञ और अध्ययन के लेखक प्रोफेसर यान ली कहते हैं, हमारे परिणाम संकेत देते हैं कि अत्यधिक स्क्रीन टाइम प्रीस्कूल बच्चों के दिमाग को उत्तेजित अवस्था में ले आता है जिससे नींद की गुणवत्ता और इसकी अवधि दोनों खराब हो सकती है।

संज्ञानात्मक कौशल में गिरावट

स्क्रीनटाइम का बढ़ना बच्चों के सोचने, समझने और समस्याओं को हल करने की क्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। नतीजतन किसी काम पर बच्चों का ध्यान लंबे समय तक केंद्रित नहीं रह पाता।

इसको लेकर जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में प्रकाशित एक अन्य शोध से पता चलता है कि जिन बच्चों के दिन का 2 घंटे से अधिक समय स्क्रीन्स के सामने बीतता है उन बच्चों के भाषा और सोचने की क्षमता में कमी आ सकती है। कैनेडियन पब्लिक हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में ऐसे बच्चों में स्कूल के प्रदर्शन में गिरावट की भी दिक्कत देखी गई।

क्या है सलाह?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञ 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए दिन में एक घंटे से अधिक स्क्रीनटाइम को हानिकारक बताया है। विशेषज्ञों ने कहा बढ़ा हुआ स्क्रीनटाइम बच्चों में अवसाद और चिंता की समस्या को भी बढ़ाता जा रहा है। सभी माता-पिता को सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे का स्क्रीन पर समय कम से कम बीते।

स्क्रीन टाइम कम करने के लिए माता-पिता बच्चों के साथ गुणवत्ता समय बिताएं और उन्हें आउटडोर गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करें। भविष्य को स्वस्थ बनाने के लिए ये प्रयास मौजूदा समय की जरूरत हैं।