नई दिल्ली : एनडीए-3 में जिस प्रकार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पुरानी टीम को लेकर आगे बढ़ रहे हैं, इससे यह भी माना जा रहा है कि शायद मौजूदा स्पीकर ओम बिरला को भी एक और कार्यकाल मिल जाए, लेकिन इस बीच जो बड़ी बात सामने आ रही है कि यदि लोकसभा स्पीकर बदलना पड़ा तो छत्तीसगढ़ की पूर्व प्रभारी डी.पुरंदेश्वरी का नाम सामने तेजी से आ रहा है।
आपको बता दें कि आगामी 24 जून से शुरू हो रहे 18वीं लोकसभा के पहले सत्र के दौरान 26 जून को लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होना तय है। इसके साथ ही नये स्पीकर को लेकर घटक दलों में भी चर्चा तेज है। सबसे ज्यादा दबाव टीडीपी की तरफ से बताया जा रहा है कि वह अपना स्पीकर बनाना चाहती है, लेकिन सत्ता पक्ष इसके लिए तैयार नहीं। कहा जा रहा है कि यदि टीडीपी जिद पर अड़ती है तो भाजपा डी. पुरंदेश्वरी का नाम आगे कर सकती है ताकि नायडू नहीं न कर सकें।
दरअसल छत्तीसगढ़ की पूर्व बीजेपी प्रभारी डी.पुरंदेश्वरी आंध्र प्रदेश भाजपा की अध्यक्ष हैं और वह टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू की पत्नी की बहन भी हैं। ऐसे में टीडीपी के लिए उनकी उम्मीदवारी का विरोध करना आसान नहीं होगा।
वहीं यह भी माना जा रहा है कि शायद मौजूदा स्पीकर ओम बिरला को भी एक और कार्यकाल मिल जाए। लेकिन यह काफी इस बात पर निर्भर करेगा कि एनडीए के घटक दलों का रुख क्या रहता है। इसमें दो बातें देखने यह वाली होंगी। एक तो यह कि टीडीपी अपने उम्मीदवार को लेकर दबाव नहीं डाले। दूसरा, ओम बिरला को लेकर घटक दलों का रुख क्या रहता है?
इसके अलावा भाजपा से कुछ वरिष्ठ सांसदों के नाम भी स्पीकर पद के लिए चल रहे हैं। इनमें सातवीं बार सांसद बने भृतहरि माहताब और छह बार के सांसद राधामोहन सिंह के नाम भी प्रमुख हैं।
जदयू करेगी भाजपा के उम्मीदवार का समर्थन
जदयू के नेता केसी त्यागी ने शुक्रवार को स्पष्ट कर दिया है कि उनका दल स्पीकर के चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार का समर्थन करेगा। इससे यह तो स्पष्ट है कि जदयू अपना कोई उम्मीदवार नहीं लाने जा रही है, लेकिन यह भी देखना होगा कि क्या जदयू भाजपा के उम्मीदवार पर अपनी सहमति जरूरी समझती है या इसे भाजपा पर ही छोड़ देती है।
पुराने इतिहास पर डालें नजर
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में जब टीडीपी एनडीए में शामिल हुई थी। उस समय चंद्रबाबू नायडू ने अपने दल का स्पीकर बनाने में सफलता हासिल की थी। तब जीएमसी बालयोगी पहले 12वीं एवं बाद में 13वीं लोकसभा के स्पीकर बने थे। स्पीकर पद चाहने की एक वजह यह भी मानी जा रही है कि इसके जरिये टीडीपी सुरक्षित होना चाहती है कि उसके दल को यदि तोड़ा जाता है तो ऐसे में स्पीकर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं