नई दिल्ली : छोटी दिवाली को लोग रात के समय यम का दीपक जलाते हैं, इसलिए इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। नरक चतुर्दशी की रात यम का दीपक जलाने से अकाल मृत्यु या किसी भी अनहोनी का खतरा टल जाता है।
इस साल 30 अक्तूबर को छोटी दिवाली का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन भी दिवाली की ही तरह दीपक जलाने की परंपरा है। लोग रात के समय यम का दीपक जलाते हैं, इसलिए इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। नरक चतुर्दशी की रात यम का दीपक जलाने से अकाल मृत्यु या किसी भी अनहोनी का खतरा टल जाता है। इसे “यम दीपदान” भी कहा जाता है, जो कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि पर किया जाता है। इसे मृत्यु के बाद नरक में जाने से बचने का उपाय भी माना जाता है।
क्यों जलाया जाता है यम का दीया?
नरक चतुर्दशी के दिन यम का दीपक जलाने के पीछे यह मान्यता है, कि इससे मृत्यु के भय का नाश हो जाता है और पूरे परिवार पर यमराज जी की कृपा बनी रहती है। छोटी दिवाली के दिन दीपदान करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन यमराज की पूजा करने से घर का वातावरण अच्छा बना रहता है। साथ ही पितरों का आशीर्वाद भी बना रहता है।
कब जलाया जाता है यम का दीपक?
यम का दीपक नरक चतुर्दशी की रात सूर्यास्त के बाद जलाया जाता है। इस दीपक को घर के मुख्य द्वार पर एक रखा जाता है। यह दीया मिट्टी का होता है। इस दीप में सरसों का तेल डालकर उसे दक्षिण दिशा की ओर रखना चाहिए। मान्यता है कि यह दीपक जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं। साथ ही घर में सुख-समृद्धि भी आती है।