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पिछले पांच साल में इतने क्यों बढ़ गए हैं हार्ट अटैक के मामले? विशेषज्ञों से समझिए इसकी वजह

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नई दिल्ली : हृदय रोगों का खतरा वैश्विक स्तर पर बढ़ता हुआ देखा जा रहा है, कम उम्र के लोग यहां तक 20 से कम आयु वालों में भी इसका जोखिम देखा जा रहा है। आप भी अक्सर हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट की घटनाओं के बारे में सुनते-पढ़ते होंगे। हाल के वर्षों में ऐसी खबरें अधिक सुनने को मिल रही हैं।

गुरुवार को भी ऐसा ही मामला सामने आया जिसमें जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री और सुरनकोट से भाजपा उम्मीदवार सैयद मुश्ताक अहमद बुखारी का हार्ट अटैक से निधन हो गया, वह 75 वर्ष के थे। इससे पहले मंगलवार को हैदराबाद में एक शोरूम में खरीदारी करते समय 37 वर्षीय व्यक्ति की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी।

हार्ट अटैक को लेकर सामने आ रहे आंकड़े काफी डराने वाले हैं। नेशनल सेंटर फॉर हेल्थ स्टैटिस्टिक्स के आंकड़ों के अनुसार, साल 2019 में 18 से 44 वर्ष की आयु के केवल 0.3% अमेरिकी वयस्कों को दिल का दौरा पड़ा था। इस आयु वर्ग में हार्ट अटैक के मामले अभी भी दुर्लभ माने जाते हैं, हालांकि पिछले चार-पांच वर्षों में इसमें काफी वृद्धि हुई है।

युवाओं में बढ़ रहा है खतरा

एनसीएचएस डेटा से पता चलता है कि वृद्ध लोगों में दिल के दौरे कहीं अधिक आम माने जाते रहे हैं, पर कई कारणों से युवा आबादी भी इसका शिकार होती जा रही है। कोलंबिया विश्वविद्यालय में हृदय रोग विशेषज्ञ और महामारी विज्ञानी डॉ. एंड्रयू मोरन कहते हैं, दुनियाभर में बढ़ते हार्ट अटैक और हृदय रोगों के मामलों के लिए मोटापा की समस्या को एक कारक माना जा सकता है। वैसे तो मोटापा का समस्या सभी आयु वर्ग के लोगों में देखी जा रही है पर युवा आबादी में इसका जोखिम ज्यादा बढ़ गया है।

अगर वजन को कंट्रोल कर लिया जाए तो हृदय रोगों के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

महामारी के दौरान बढ़ गया जोखिम

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, कोरोना महामारी ने कई तरह से हृदय स्वास्थ्य को प्रभावित किया है। महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन में लोगों की शारीरिक निष्क्रियता बढ़ी, जिसने मोटापा और इसके कारण हृदय स्वास्थ्य की समस्याओं को बढ़ा दिया है। इसके अलावा कई अध्ययनों से स्पष्ट होता है कि कोविड-19 ने हृदय प्रणाली को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। संक्रमण का शिकार रहे कई लोगों में मायोकार्डिटिस की समस्या देखी गई है। हृदय की मांसपेशियों पर वायरस के दुष्प्रभावों ने क्रोनिक हृदय संबंधी मामलों को जन्म दे दिया है।

डरा रहे हैं आंकड़े

एक अध्ययन में पाया गया कि कोविड महामारी के पहले दो वर्षों के दौरान 25 से 44 वर्ष की आयु के लोगों में दिल के दौरे से होने वाली मौतों की संख्या अपेक्षा से 30% अधिक थी। इसी तरह से एक अन्य अध्ययन में पाया गया है कि यूएस. में हर 100 में से चार लोगों में कोविड से ठीक होने के एक वर्ष में दिल से संबंधित कोई न दिक्कत हुई है।

बढ़ते जोखिमों को देखते हुए हृदय रोग विशेषज्ञों ने कहा, हमें मोटापा और उच्च रक्तचाप जैसे जोखिम कारकों पर ध्यान देना होगा, जो युवा वयस्कों में हृदय रोगों का खतरा बढ़ा रहे हैं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

अमर उजाला से बातचीत में अपोलो हॉस्पिटल में कार्डियक सर्जन डॉ निरंजन हिरेमथ कहते हैं, हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के मामले पहले भी होते रहे हैं पर अपेक्षाकृत अब इसकी रिपोर्टिंग ज्यादा है। निश्चित ही कोरोना महामारी ने हृदय स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया है और पिछले कुछ वर्षो में इससे मौत के मामले भी बढ़े हैं। मोटापा, लाइफस्टाइल में गड़बड़ी और धूम्रपान जैसी आदतों को कम करके आप अपने जोखिमों से बचाव कर सकते हैं।

ये सोचना कि हृदय रोग सिर्फ उम्र बढ़ने पर ही होते हैं, ये सबसे बड़ी भूल है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी लोगों को इससे बचाव को लेकर सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।