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कब से शुरू हो रही है छठ पूजा? जानें महापर्व से जुड़ी रोचक बातें

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नई दिल्ली : छठ पूजा को सूर्य षष्ठी ,छठ पर्व डाला पूजा, डाला छठ और छठी के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि छठी माता की पूजा से सभी मनोकामना पूरी होती है। चलिए जानते हैं इस पर्व से जुड़ी कुछ रोचक बातें ।

छठ पूजा वैसे तो बिहार और पूर्वांचल का त्योहार है, लेकिन अब ये त्योहार धीरे-धीरे वैश्विक तौर पर मनाया जाने लगा है। चार दिन चलने वाला ये त्योहार हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत दिवाली के छह दिन बाद होती है। महिलाएं ये व्रत अपने संतान की सुख शांति और लंबी उम्र के लिए करती हैं। इस साल छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर से हो रही है जो कि 7 नवंबर तक की जाएगी। इस त्योहार की शुरुआत नहाया-खाया से होती है। इसके बाद दूसरे दिन खरना होता है। तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन सूर्योदय होते समय सुबह सूर्यदेव को अर्घ्य देकर व्रत को पूरा किया जाता है।

छठ पूजा को सूर्य षष्ठी ,छठ पर्व डाला पूजा, डाला छठ और छठी के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि छठी माता की पूजा से सभी मनोकामना पूरी होती है। चलिए जानते हैं इस पर्व से जुड़ी कुछ रोचक बातें ।

छठ पूजा से जुड़ी कुछ रोचक बातें

छठ पूजा में मुख्य रूप से सूर्य देवता और छठी माता की पूजा की जाती है।

माना जाता है कि छठ पूजा करने से सभी मनोकामना पूरी होती होती है।

ये व्रत चार दिनों का होता है और ये सबसे कठिन व्रत माना जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार छठी माता ब्रह्मा जी की मानस पुत्री माना जाता है।

बच्चों की छठी में छठी माता की पूजा की जाती है, जिससे कि बच्चे की उम्र लंबी हो और बच्चा स्वस्थ रहता है।

माना जाता है कि सबसे पहले छठी माता की पूजा माता सीता ने की थी ।

इस व्रत को महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए भी करती हैं और अपनी संतान की सुख शांति लंबी उम्र के लिया ये व्रत किया जाता है।

इस पूजा के लिए पास की नदी के घाटों को बेहद सुन्दर तरीके सजाया जाता है ।

इस दिन महा प्रसाद में ठेकुआ बनाया जाता है इसके साथ और भी बहुत से पकवान बनाए जाते हैं।

सबसे प्राचीन या पुराने त्योहारों में से एक है, जिसे पीढ़ी दर पीढ़ी मनाया जाता है।

इस पूजा के समय बहुत ही शुद्धता बरतनी पड़ती है, इसमें बहुत ही संयम के साथ रहना पड़ता है।

इसमें विशेष भोजन और वस्तुओं की आवश्यकता होती है और त्योहारों की तुलना में इसमें कुछ अलग भोग बनता है। इसमें गुड़ की खीर, घिया चने की सब्जी चावल, गुझिया, मिठाईयां, फल और सब्जी जैसे पकवान बनाए जाते हैं।

नई फसल और फसलों से बने भोजन को सूर्यदेव और छठी माता को भोग लगाते हैं।
छठ पर्व भारत ही नहीं विदेशों में भी मनाया जाता है। फिजी, मॉरीशस, त्रिनिदाद और टोबैगो आदि देशों भी अपनी सभ्यताओं और रीति-रिवाजों के अनुसार सूर्य की पूजा की जाती है।
बहुत कम लोग जानते हैं कि छठ साल में दो बार मनाया जाता है। पहला चैत्र शुक्ल षष्ठी होली के कुछ दिनों के बाद और दूसरा कार्तिक माह की शुक्ल षष्ठि को यानी कि दिवाली के कुछ दिन बाद।