क्या होती है शेयरेंटिंग, खुद माता-पिता पहुंचाते हैं बच्चे की निजता और सुरक्षा को नुकसान

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नई दिल्ली : आप अपने बच्चे की हर तरह की तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट करती हैं। किसी में वह रो रहा है तो कहीं 99 फीसदी अंकों के साथ पास हुआ है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि आपकी इस शेयरेंटिंग का बच्चे के मन पर क्या असर पड़ेगा और यह उसे नुकसान पहुंचा सकती है? जानकार शेयरेंटिंग को डिजिटल ओवर शेयरिंग कहते हैं।

“दीदी, यह क्या किया आपने? सुहाना की सारी डिटेल्स फेसबुक पर शेयर करने की क्या जरूरत थी?” शिखा ने अपनी बड़ी बहन साधना को कॉल करके कहा तो साधना चहकते हुए बोली, “अरे, क्यों न करूं? मेरी बेटी का मेडिकल एंट्रेंस क्लियर हुआ है, बताना तो पड़ेगा न सबको।” इस बात पर शिखा ने दोबारा से कहा, “माना, बहुत खुशी की बात है, लेकिन अपने बच्चों की हर डिटेल सोशल मीडिया पर शेयर करना ठीक नहीं। वक्त खराब है, आप समझ नहीं रहीं।” तभी साधना बोली, “अगर सोशल मीडिया पर नहीं डालूंगी तो लोगों को मेरी बेटी के बारे में पता कैसे चलेगा?”

साधना की इस बात पर शिखा ने फिर से दीदी को समझाते हुए कहा, “देखो दीदी, हर माता-पिता की जिंदगी में ऐसे कई पल आते हैं, जब उन्हें अपने बच्चों की उपलब्धियों पर बहुत गर्व महसूस होता है। पिछले दिनों डॉटर्स डे पर लाखों पेरेंट्स ने अपनी बेटियों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कर उनके नाम प्यार भरे संदेश पोस्ट किए थे। ये पेरेंट्स का प्यार जताने का एक तरीका था। वहीं 12वीं और 10वीं बोर्ड परीक्षाओं के रिजल्ट आने पर भी माता-पिता अपने बच्चों की तस्वीरें मार्कशीट के साथ सोशल मीडिया पर पोस्ट करना नहीं भूलते। अपने बच्चों की उपलब्धियां हर माता-पिता के लिए अहम होती हैं, लेकिन इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं है कि उनकी फोटोज और जानकारियां सोशल मीडिया पर पोस्ट करें।”

साधना की तरह हर चीज बिना सोचे-समझे ऐसे ही सोशल मीडिया पर शेयर कर देने को विशेषज्ञ ‘शेयरेंटिंग’ का नाम देते हैं। शेयरेंटिंग काफी समय से चलन में भी है, जिसका सबसे ज्यादा शिकार हैं बच्चे।

पहले समझें, क्या है ‘शेयरेंटिंग’

सोशल मीडिया के दौर में शेयरेंटिग काफी चलन में है। इसका मतलब है पेरेंट्स की ओर से अपने बच्चों के बारे में सोशल मीडिया पर जानकारी शेयर करना। इस जानकारी में फोटो, वीडियो, रिजल्ट और उनकी फ्यूचर प्लानिंग जैसी कई चीजें शामिल हो सकती हैं। अध्ययन बताते हैं कि शेयरेंटिंग एक तरह से डिजिटल ओवर शेयरिंग है। इसमें माता-पिता बच्चों के बारे में अत्यधिक जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर कर देते हैं।

आमतौर पर हर माता-पिता को यह बात सामान्य लगती है, लेकिन असल में इसके कई दूरगामी परिणाम बच्चे और माता-पिता, दोनों को भुगतने पड़ सकते हैं, क्योंकि एक तरह से शेयरेंटिंग से बच्चे की निजता और सुरक्षा के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक संबंधों और भविष्य की संभावनाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कई मामलों में यह माता-पिता और बच्चों के बीच दूरी का कारण भी बनता है।

बच्चों पर बढ़ता है दबाव

कई बार अति उत्साह में माता-पिता बच्चों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर करने के साथ ही ‘नेक्स्ट गोल’, ‘अगली उपलब्धि’, ‘अभी और पड़ाव पार करने हैं’ और ‘रुकना नहीं है, दूर तक जाना है’ जैसी बातें लिख देते हैं। उनका उद्देश्य बच्चों को प्रेरित करना होता है, लेकिन कभी-कभी यही बातें बच्चों के लिए दबाव बन जाती हैं, जैसा कि रौनक के साथ हुआ।

रौनक ने 10वीं क्लास में 98 प्रतिशत नंबर हासिल किए। उसकी उपलब्धि से खुश होकर रौनक के माता-पिता ने अपने-अपने सोशल मीडिया हैंडल पर उसकी तस्वीर के साथ लिखा, “अब कदम 100 प्रतिशत पर रुकेंगे।” बस, यह देखते ही रौनक परेशान हो गया और धीरे-धीरे उस पर मानसिक दबाव बढ़ने लगा।

विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह की किसी भी पोस्ट से बच्चे तनाव में आ सकते हैं। अगर बच्चा माता-पिता द्वारा बनाए गए गोल को प्राप्त नहीं कर पाता तो उसके मन में सैकड़ों-हजारों लोगों के सामने शर्मिंदा होने का डर बैठ जाता है। इससे उसका आत्मविश्वास टूट सकता है, क्योंकि जो बातें घर की चहारदीवारी में होनी चाहिए थीं, उन्हें माता-पिता ने सोशल मीडिया पर शेयर कर सार्वजनिक कर दिया। इसलिए बच्चों को अपनी इच्छाएं या गोल आप जितना निजी तौर पर बताएंगी, उतना ही अच्छा रहेगा।

सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा

“हाय नेहा, पहचाना? सुना है, तुम मॉडलिंग करना चाहती हो। इसमें मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं।” नेहा चौंक गई और उसने पूछा, “आप मुझे कैसे जानते हैं?” इस पर उस लड़के ने बात को घुमाते हुए कहा, “अरे, तुम्हें कौन नहीं जानता! जगह-जगह तुम्हारी खूबसूरती और एक्टिंग के चर्चे हैं। विश्वास नहीं होता तो तुम शाम को सात बजे मेरे ऑफिस में आकर मिल सकती हो। लोकेशन मैं शेयर कर दूंगा।” कॉल डिस्कनेक्ट हो गई। नेहा इस बारे में सोचती रही, फिर उसने अपनी सहेली से यह बात शेयर की। दोनों जब इस बात की तह तक पहुंचीं तो पता चला कि कुछ दिन पहले उसकी मम्मी ने अपने इंस्टाग्राम पर नेहा की कॉलेज एनुअल फंक्शन की फोटो डालते हुए लिखा था- “फ्यूचर की फेमस मॉडल।”

देखा आपने शेयरेंटिंग आपके बच्चों की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकती है, क्योंकि सोशल मीडिया के माध्यम से आप अपने बच्चे की सभी जानकारियां, जैसे- उम्र, स्कूल, शौक, फ्रेंड सर्कल और रूटीन शेयर कर देती हैं। ऐसे में यह अपराधियों को न्योता देने जैसा हो सकता है।

बुलिंग का खतरा

आपको जानकर हैरानी होगी कि शेयरिंग से कई बच्चे इस चिंता में रहते हैं कि उनके माता-पिता उनकी कैसी तस्वीरें या जानकारी सोशल मीडिया पर पोस्ट करेंगे। 13 साल की निक्की की मम्मी ने उसकी गुस्से में जिद करते हुए एक छोटी-सी वीडियो अपने फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट कर दी, जो कि तेजी से वायरल भी हो गई। निक्की जब स्कूल गई तो उसके दोस्त उसे छेड़ने लगे और उसकी तरह एक्टिंग करके दिखाने लगे। निक्की को ये सब बहुत बुरा लगा और वह घर आकर काफी देर तक रोती रही।

असल में, आज के समय में बच्चे अपनी सोशल इमेज को लेकर काफी संवेदनशील रहते हैं। उन्हें एक स्पेस चाहिए और वे अपनी छवि को खुद गढ़ना चाहते हैं, लेकिन अगर पेरेंट्स शेयरेंटिंग के आदी हैं तो इससे बच्चे पर नकारात्मक असर पड़ता है। कई बार बच्चे ग्रुप में ये फोटोज शेयर कर मजाक बनाते हैं, जिससे पीड़ित बच्चा अपमानित महसूस करता है। निक्की के साथ जो हुआ, वह आपके बच्चे के साथ न हो, इसके लिए आपको अपने सोशल मीडिया हैंडल पर कुछ भी शेयर करने से पहले विचार करना चाहिए।

खो सकता है बचपन

अब माही की बात देख लीजिए! उसका आधा दिन तो इंस्टाग्राम पर अपनी फोटोज और वीडियो शेयर करने में बीत जाता है। अगर वह शॉपिंग करने के लिए मॉल भी जाती है तो अलग-अलग स्टाइल की फोटोज और वीडियो बनाना नहीं भूलती। इस चक्कर में उसका पढ़ाई पर कम और सोशल मीडिया पर आकर्षक दिखने के प्रति ज्यादा फोकस रहता है।

जानकारों के अनुसार, इससे बच्चे का बचपन तक छिन सकता है। जब बच्चा यह बात जानने लगता है कि माता-पिता सोशल मीडिया पर उसकी फोटो या वीडियो शेयर करेंगे तो वह खुद को ज्यादा आकर्षक दिखाने की कोशिश करने लगता है, क्योंकि बच्चे हमेशा सबकी तारीफ चाहते हैं। ऐसे में वे खुद पर जरूरत से ज्यादा ध्यान देने लगते हैं। धीरे-धीरे यह उनकी आदत बन जाती है। ऐसे में उनका बचपन कहीं खो जाता है। छुट्टियों में किसी हिल स्टेशन पर गए हों या त्योहारों का सेलिब्रेशन हो, कुछ बच्चों का पूरा फोकस आस-पास का माहौल महसूस करने की जगह फोटो खिंचवाने में रहता है। यह इस बात का संकेत है कि बच्चा सोशल मीडिया से अत्यधिक प्रभावित है। कई बार पोस्ट की गई फोटो पर लाइक्स और कमेंट कम आने पर बच्चे तनाव में आ जाते हैं और खुद को आकर्षक दिखाने की और अधिक कोशिशों में लग जाते हैं।

भविष्य पर भी असर

आज के समय में सोशल मीडिया के जरिये किसी की छवि बनाना और बिगाड़ना, दोनों ही बहुत आसान है। ऐसे कई उदाहरण भी आए दिन देखने को मिलते हैं। दरअसल, सोशल मीडिया पर पोस्ट की गईं जानकारियां सालो-साल तक मौजूद रहती हैं। ऐसे में माता-पिता की ओर से पोस्ट की गई फोटो, वीडियो या जानकारी का दुरुपयोग भविष्य में बच्चे के खिलाफ करने की भी आशंका रहती है। मसलन, बच्चा किसी महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत हो और उसकी बचपन की कोई मजाकिया तस्वीर सोशल मीडिया पर मौजूद हो तो प्रतिद्वंद्वी इसका उपयोग उसकी छवि खराब करने के लिए कर सकते हैं। इसलिए यह हर माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे सोशल मीडिया की गंभीरता को समझें और संयम के साथ इसका उपयोग करें।

आप ही तो बचाएंगी उन्हें

आर्यभट्ट कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. वर्षा सिंह बताती हैं, अति हर चीज की बुरी होती है, चाहे वह पेरेंट्स का अपने सोशल अकाउंट पर बच्चों से संबंधित जानकारी शेयर करना ही क्यों न हो। बच्चे दिन भर क्या कर रहे हैं, उनका रूटीन क्या है, ये सब सोशल मीडिया पर शेयर करना उनकी सुरक्षा को प्रभावित करता है, क्योंकि आजकल बहुत आसान है फिल्टर लगाकर किसी की भी फोटो को एडिट कर देना। ऐसा करने से बच्चे ट्रोल हो सकते हैं और मीम्स का हिस्सा बन सकते हैं।

आज की दुनिया में बहुत आसान है किसी भी जानकारी का दुरुपयोग करना। दूसरी बात कि बच्चों से उम्मीदें बढ़ जाती हैं। मान लीजिए, बच्चा समान्य रंग और कद-काठी है, लेकिन आपने उसकी कोई तस्वीर फिल्टर लगाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी तो बच्चा इस तुलना से परेशान हो सकता है और आत्मविश्वास की कमी महसूस कर सकता है। इसलिए अगर आप अपने साथ बच्चे की कोई तस्वीर डाल रही हैं तो पहले बच्चे से बात कर लें, खासकर किशोरावस्था के बच्चों से, क्योंकि वे बहुत संवेदनशील होते हैं। साथ ही अगर आप छोटी-छोटी बातें सोशल मीडिया पर अपडेट कर रही हैं तो यह बिल्कुल सही नहीं है, क्योंकि शेयर करने की भी एक सीमा है।