नई दिल्ली : कार्तिक माह में करवा चौथ, अहोई अष्टमी, धनतेरस, दिवाली और छठ जैसे बड़े त्योहार मनाए जाते हैं। इस माह में आने वाली देवउठनी एकादशी को भी पर्व की तरह मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार माह की निद्रा के बाद जागते हैं, और सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं।
विष्णु जी के जागने के बाद चातुर्मास का समापन होता है, और एक बार फिर से शुभ मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती हैं। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की साथ में पूजा अर्चना करने से वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहती हैं। साथ ही साधक को मनोवांछित फलों की प्राप्ति भी होती हैं।
पंचांग के अनुसार इस वर्ष 12 नवंबर 2024 को देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस तिथि पर हर्षण योग का निर्माण हो रहा है, जो शाम 7 बजकर 9 मिनट तक रहेगा। इस योग में कुछ खास उपाय करने से विवाह में आ रही बाधाएं, आर्थिक परेशानियां और करियर की दिक्कतें समाप्त होती हैं। ऐसे में आइए इन उपायों के बारे में जानते हैं।
देवउठनी एकादशी तिथि 2024
पंचांग के आधार पर कार्तिक माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर को शाम 06:46 मिनट से होगी। इसका समापन अगले दिन 12 नवंबर को दोपहर बाद 04:04 मिनट पर होगा।
देवउठनी एकादशी पर करें ये उपाय
देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु का केसर के दूध से अभिषेक करना चाहिए। मान्यता है कि करियर-कारोबार में आ रही बाधाएं दूर हो सकती हैं।
इस दिन भगवान विष्णु को पीले चंदन या हल्दी से बना तिलक लगाएं। इसके बाद उन्हें पीले ही रंग के फूल अर्पित करें। इससे शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवउठनी एकादशी पर तुलसी के पौधे में कच्चे दूध में गन्ने का रस मिलाकर चढ़ाएं। फिर तुलसी माता के समक्ष घी का दीपक जलाकर आरती करें। ऐसा करने से धन संबधी समस्याएं समाप्त होती हैं।
देवउठनी एकादशी पर पीपल के पेड़ पर जल का दान करना चाहिए। माना जाता है कि इसमें भगवान विष्णु का वास होता है। ऐसे में जल चढ़ाने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती हैं।
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह कराना बेहद शुभ होता है। कहते हैं कि इस दिन तुलसी विवाह कराने से शादी में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।
इस दौरान तुलसी माता के पौधे के पास पांच देसी घी के दीपक जलाएं। इसके बाद सच्चे मन से देवी की आरती करें। मान्यता है कि इससे हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं।