नई दिल्ली : इस्राइल और आतंकी संगठन हमास के बीच काफी लंबे समय से जंग चल रही है। इस्राइल गाजा में लगातार हमास के आतंकियों को मार रहा है। हमास और इस्राइल के जंग में लेबनान का कट्टरपंथी संगठन हिजबुल्ला भी शामिल है। जब से हमास और इस्राइल के बीच लड़ाई शुरू हुई है, तब से हिज्बुल्लाह भी इसमें शामिल है। हिज्बुल्लाह बार-बार इस्राइल और उसकी सेना पर हमला करता रहा है। हमास और हिजबुल्ला दोनों मिलकर इस्राइल पर हमला कर रहे हैं। हिजबुल्ला को इस्राइल आतंकी संगठन मानता है।
इस्राइल ने अब हिज्बुल्लाह पर दो दिन के भीतर दो बड़े हमले किए हैं। मंगलवार को पेजर पर अटैक किए, जिसमें 12 लोगों की मौत हो गई और करीब चार हजार लोग घायल हुए। बुधवार को भी वॉकी-टॉकी, सोलर पैनल, फिंगरप्रिंट डिवाइसेस और रेडियो में धमाके हुए, जिसमें 25 लोगों की मौत हुई। इन हमलों में 37 से अधिक लोगों के मारे जाने और 5,000 से अधिक लोगों के घायल होने की खबर है। मारे गए लोगों में अधिकतर आतंकी ग्रुप हिज्बुल्लाह के लड़ाके हैं, जो बातचीत के करने लिए वॉकी-टॉकी का इस्तेमाल करते हैं।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि जिन डिवाइसेस में धमाके हुए हैं, उन्हें हिज्बुल्लाह ने करीब पांच महीने पहले ही खरीदा था। अब इस्राइल जिनका इस्तेमाल करना जरूरी है, उन चीजों को निशाना बना रहा है। जानकारों का कहना है कि यह मनोवैज्ञानिक युद्ध है। इस्राइली सेना के प्रमुख जनरल हार्जी हलेवी ने कहा कि आतंकियों के जीवन को ऐसे नर्क बना दिया जाएगा कि वो खाना खाने और पानी पीने भी से डरेंगे।
हिजबुल्लाह सांसद अली अम्मार के बेटे के जनाजे में एक धमाका हुआ। पेजर ब्लास्ट में अम्मार का बेटा मारा गया था। बताया गया है कि वॉकी-टॉकी का नाम ICOM V 82 है, जिसका निर्माण जापान में होता है। लेकिन जापान की कंपनी ने साफ किया है जितने भी वॉकी-टॉकी सेट में विस्फोट हुए हैं, उस मॉडल को उसने 10 साल पहले बनाना बंद कर दिया था।
इन पेजर्स और वॉकी-टॉकी में लीथियम बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है। इजरायली सीक्रेट एजेंसी मोसाद का हाथ इस पेजर ब्लास्ट के पीछे माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि मोसाद ने रिमोट से लीथियम बैटरी में विस्फोट करवाया। आइए जानते हैं लीथियम आयरन फॉस्फेट बैटरी के बारे में और इसका मोसाद से कनेक्शन क्या है।
मोसाद ने 50 ग्राम की लीथियम बैटरी को ऐसे बना दिया विस्फोटक, आखिर क्या है इस्राइल का खतरनाक ऑपरेशन? – फोटो : Adobe Stock
मोसाद क्यों लीथियम बैटरियों का इस्तेमाल कर रहा है?
लीथियम बैटरियां बेहद हल्की और कॉम्पैक्ट होती हैं। यह पहले की बैटरियों की तुलना में अधिक मात्रा में ऊर्जा एकत्रित करती हैं। लीथियम बैटरियों का कई तरह के उपकरणों में इस्तेमाल किया जाता है। वॉकी-टॉकी, कैमरे, स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसी चीजों में लीथियम बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है। इस्राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने वॉकी-टॉकी में धमाका कराया है। इसमें अभी तक 37 लोगों से अधिक लोगों की मौत हो गई है। माना जा रहा है कि मोसाद ने हिज्बुल्लाह या हमास के खिलाफ नई वॉर स्ट्रैटेजी अपनाई है। मोसाद के इस वार से दुश्मन अब डर गए हैं। आतंकी अब बैटरियों को निकालकर फेंक रहे हैं।
मोसाद ने ऐसे कराया विस्फोट
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विशेषज्ञ का दावा है कि लेबनान में हिज्बुल्लाह के लड़ाकों पर पूरी तरह से यह एक साइबर हमला था। उनका कहना है कि 50 ग्राम तक की लीथियम बैटरी में सात ग्राम टीएनटी के विस्फोट के बराबर गर्मी पैदा करने की ताकत होती है। उनका दावा है कि अगर लीथियम बैटरी को शॉर्ट-सर्किट कराया जाता है, तो यह कुछ ही सेकंड में बेहद तेजी से गर्म हो जाती है। मोसाद की तरफ से रिमोट कंट्रोल से इन लीथियम ऑयन बैटरी वाले पेजर्स को मैसेज भेजे गए। इनके आते ही पहले बीप-बीप की आवाज आने लगी। इन मैसेज को पढ़ने के लिए पेजर को जैसे ही आंख के पास लाया गया, उतनी ही देर में यह फट पड़ी। इसके कारण ही हिज्बुल्लाह के लड़ाके बड़ी संख्या में घायल हो गए।
वॉकी-टॉकी में ऐसे हुआ विस्फोट
एक रिपोर्ट में बताया है कि हिज्बुल्लाह के पेजर्स और वॉकी-टॉकी को हैक कर लिया गया और धमाके किए गए। पेजर के सर्वर में सेंध लगाकर इसमें एक ऐसे कोड डाले गए, जिससे पेजर में प्रोग्राम ओवरलोडिंग हुई। इसके कारण डिवाइस में ओवरहीटिंग हुई और लीथियम बैटरी में धमाका हो गया।
कब लगाए गए विस्फोटक?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोसाद ने इन वॉकी-टॉकी और पेजर्स में काफी पहले ही विस्फोटक बोर्ड लगवा दिए थे। इनमें तीन से 15 ग्राम तक विस्फोटक लगाए गए थे। इसमें लीथियम ऑयन बैटरी के साथ एक छोटा विस्फोटक छिपा दिया गया। इससे सिर्फ एक मैसेज से विस्फोट कराया गया। इससे साफ है कि इन्हें हिज्बुल्लाह को देने से पहले ही विस्फोटक लगा दिए गए।