डायनासोर के जमान की है ये मछली, 10 करोड़ साल पुरानी इस प्रजाति को कहते हैं जिंदा जीवाश्म

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नई दिल्ली : एलिगेटर गार को जिंदा जीवाश्म के रूप में भी जाना जाता है। दरअसल, इस मछली की प्रजाति 10 करोड़ साल से जीवित है। इसके मगरमच्छ जैसे मुंह की वजह से इसे एलिगेटर गार नाम दिया गया है। इसके मुंह के अंदर नुकीले दांतों की दो पंक्तियां होती हैं, जिसके बीच एक बार जाने के बाद शिकार का बच पाना लगभग नामुमकिन होता है। इसके दांत अपने शिकार को एक बार में चीर डालते हैं। हैरानी की बात ये है कि इस प्राचीन मछली को आजतक न प्राकृतिक आपदा मार पाई, न ही उस समय के डायनासोर से इन्हें कोई नुकसान हुआ और यह आज तक भी जिंदा हैं।

आमतौर पर ये मछली अमेरिका और मेक्सिको की नदियों में पाई जाती है। इसके अलावा मेक्सिको की खाड़ी में भी इनकी अच्छी खासी तादाद है। खाने में इनके मनपसंद केकड़े, मछली, पक्षी, स्तनधारी जीव, कछुए जैसे जीव हैं।

ये मछली दिखने में भी काफी खतरनाक लगती है। इसकी नाक बहुत लंबी होती है, जो किसी मगरमच्छ की तरह नजर आती है। वहीं शरीर पर कवच जैसे स्केल्स बने होते हैं। अगर ये पानी में ऊपरी सतह पर तैर रही हो, तो इसे कोई मगरमच्छ भी समझ सकता है। यही वजह है कि इसे एलिगेटर गार कहा जाता है।

100 साल तक जीती है ये मछली
यह मछली अधिकतम 8 फीट लंबी हो सकती है और इसका वजन 136 किलोग्राम तक हो सकता है। ये मछली बहुत तेजी से बढ़ती है। अंडे से निकलने के बाद यह पहले साल में ही करीब 2 फीट लंबी हो जाती हैं। इसके बाद ये अपने पूरे जीवन में बढ़ती रहती है। इसका अधिकतम जीवन 100 साल तक हो सकता है।

जिंदा जीवाश्म क्यों कहा जाता है?
एलिगेटर गार दुनिया के उन प्राचीन जीवों में से एक है, जो करोड़ों वर्षों से पृथ्वी पर मौजूद हैं। उनकी प्रजाति बिना किसी बदलाव के आज भी पृथ्वी पर जीवित है। जिस प्रकार इंसानों की प्रजाति का विकास बंदरों से हुआ। ऐसे इस मछली की प्रजाति में कोई बदलाव नहीं हुए हैं। इनका इवोल्यूशन लगभग रुक गया है।

एक जमाने में था इनका आतंक
1930 के आसपास इन मछलियों ने अमेरिका में आतंक मचाया हुआ था। उस समय टेक्सास गेम फिश कमीशन ने इन मछलियों को 200 वोल्ट की बिजली का झटका देकर मारने का आदेश दिया था। इसे गार डेस्ट्रॉयर कहा जाता है। लेकिन आज के समय में ये मछली फ्लोरिडा में संरक्षित हैं और टेक्सास में कई जगहों पर इसके शिकार पर रोक लग गई है।