ये आदतें बिगाड़ देंगी आपकी मेंटल हेल्थ, तुरंत कर लें इनमें सुधार वरना होगा पछतावा

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नई दिल्ली : मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखना संपूर्ण स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए जरूरी है। हालांकि लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के कारण वयस्कों-बुजुर्गों में मेंटल हेल्थ की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सामाजिक कलंक के डर के कारण लोग अपनी परेशानियों को लेकर डॉक्टर से मिलने नहीं जाते जिससे समय पर बीमारी का निदान और उपचार नहीं हो पाता है।

मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखना हमारे जीवन की गुणवत्ता को सुधारने और बेहतर महसूस करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हालांकि कुछ आदतें ऐसी होती हैं जो हमारी मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। सभी लोगों को इस बारे में जानना और बचाव के लिए प्रयास करते रहना जरूरी है।

मेंटल हेल्थ की समस्या

हम क्या खाते हैं, दिनचर्या कैसे है, कब सोते-जागते हैं, इन सभी का असर मेंटल हेल्थ पर पड़ता है। अनियमित और अपर्याप्त नींद से लेकर नकारात्मक सोच, आहार में गड़बड़ी ये सभी आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए दिक्कतें पैदा कर सकती है। इन आदतों को पहचानना और इन्हें बदलने की कोशिश करना मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। सही दिनचर्या और सकारात्मक आदतों को अपनाकर आप अपनी मानसिक स्थिति को ठीक रख सकते हैं।

सोशल मीडिया और रील्स खतरनाक

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बच्चों और वयस्कों के दिन का एक बड़ा समय मोबाइल फोन को स्क्रॉल करने और सोशल मीडिया पर बीतता है, जिसका उनके मानसिक स्वास्थ्य पर कई प्रकार से नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इसी संबंध में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस ने साल 2024 के लिए ‘ब्रेन रोट’ शब्द को ‘वर्ड ऑफ द ईयर’ घोषित किया है। ब्रेन रोट शब्द सोशल मीडिया पर अत्यधिक मात्रा में मौजूद दोयम दर्जे वाले कंटेट के कारण होने वाले मानसिक दुष्प्रभावों को लेकर चिंता को दर्शाता है।

यानी सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताना या रील्स स्क्रॉल करते रहना आपकी मेंटल हेल्थ के लिए ठीक नहीं है।

सोच को रखें सकारात्मक

नकारात्मक सोच और आत्म-आलोचना का आपकी मेंटल हेल्थ पर कई प्रकार से नकारात्मक असर होता है। बार-बार नकारात्मक विचार करना या खुद को दोषी ठहराना आत्मसम्मान को कम करता है। यह आदत चिंता और अवसाद को बढ़ावा देती है। “मैं अच्छा नहीं हूं” या “मैं यह नहीं कर सकता” जैसे विचारों से मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ता है। इसलिए जरूरी है कि अपनी सोच को सकारात्मक रखें और अच्छे विचारों का आदान-प्रदान करें।

अनियमित और अपर्याप्त नींद नुकसानदायक

नींद की कमी भी हमारे मस्तिष्क के कार्यों को धीमा कर देती है। इससे तनाव, चिंता और डिप्रेशन की संभावना बढ़ जाती है। नींद की कमी से याददाश्त कमजोर होती है और निर्णय लेने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, रोजाना 7-9 घंटे की गुणवत्तापूर्ण नींद लें। सोने और उठने का एक नियमित समय तय करें। सोने से पहले स्क्रीन टाइम कम करें और एक शांत माहौल बनाएं।