नई दिल्ली: बहुत जल्द आसमान में ठहरने वाला है चंद्रमा. ऐसा हर 18.6 साल बाद होता है. यानी चांद क्षितिज पर सबसे ज्यादा दूरी से उदय और अस्त होगा. इन दोनों प्राकृतिक घटनाओं के बीच का समय बढ़ जाएगा. इतना ही नहीं यह आसमान में सबसे ऊंचे और सबसे निचले प्वाइंट पर भी जाएगा.
8 अप्रैल 2024 को पूर्ण सूर्य ग्रहण हुआ था. इसके बाद अंतरिक्ष में दुनियाभर को नॉर्दन लाइट्स यानी अरोरा बोरियेलिस दिखाई पड़े. अब साल 2006 के बाद आसमान की ओर निहारने वालों और वैज्ञानिकों को स्टडी करने का एक शानदार मौका मिल रहा है. जब चंद्रमा क्षितिज पर सबसे दूर उत्तरी इलाके में उदय होगा. सबसे दूर दक्षिणी इलाके में अस्त होगा.
चंद्रमा हर 18.6 साल के बाद अपने सबसे ऊंचे और निचले प्वाइंट्स पर पहुंचता है. 18.6… असल में चंद्रमा के घुमाव का एक समय चक्र है. इसकी वजह ये है कि सूरज की तरह चंद्रमा एक ही रास्ता नहीं अख्तियार करता. अगर आप क्षितिज पर चंद्रमा के उगने और अस्त होने की पोजिशन देखो तो यह लगातार बदलती रहती है.
सौर मंडल जब फ्लैट महसूस होता है. तब सभी ग्रह सूर्य की साथ एक ही प्लेन में रहते हैं. इसे एकिलीप्टिक कहते हैं. धरती अपने अक्ष यानी धुरी पर 23.4 डिग्री झुकी हुई है. जबकि एकिलीप्टिक की स्थिति में ऐसा नहीं माना जाता. इसलिए सूरज के उगने और अस्त होने का कोण 47 डिग्री होता है.
चंद्रमा का ऑर्बिट 5.1 डिग्री झुका हुआ है. इसलिए यह हर महीने 57 डिग्री की रेंज में उगता और अस्त होता है. इसलिए चंद्रमा अक्सर क्षितिज पर अलग-अलग पोजिशन से उगता और अस्त होता है. लेकिन यह काम सूरज नहीं कर सकता.
दुनिया भर में चंद्रमा के इस उदय और अस्त होने की गणना को ही बताते हुए कई प्राचीन इमारतें और दस्तावेज हैं. जैसे – स्टोनहेंज, कैलेनिश और न्यूग्रेंज. ये सभी प्रमुख चंद्र ठहराव के समय चंद्रोदय और चंद्रास्त को सही तरीके से दिखाते हैं. इस शानदार खगोलीय घटना के महत्व को दर्शाते हैं.
यह नजारा आपको सितंबर 2024 से मार्च 2025 के बीच देखने को मिलेगा. अगर आपके यहां आसमान साफ रहा तो आप इस खगोलीय नजारे का भरपूर आनंद ले सकते हैं. इसे देखने का बेहतर समय होता है चंद्रमा के उगने और अस्त होने का.