नई दिल्ली : एचएमपीवी के मामले भारत में भी बढ़ते जा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, किसी बीमारी से बचाव या इसके खतरे को कम करने के लिए जागरूकता और लोगों तक बीमारी के बारे में सही जानकारी पहुंचाना सबसे आवश्यक है। आइए ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस से जुड़े कुछ मिथ्स और फैक्ट्स जानते हैं।
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस इन दिनों दुनियाभर में काफी सुर्खियां बटोर रहा है। वजह है दिसंबर के मध्य से चीन में शुरू हुआ इसका संक्रमण जो देखते ही देखते कई देशों में फैल गया है। एचएमपीवी के मामले भारत में भी बढ़ते जा रहे हैं, जो और भी चिंता बढ़ाने वाला है। एक हालिया अध्ययन की रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने बताया कि वायरस में दो नए म्यूटेशन देखे गए हैं जो संभवत: इसके तेजी से बढ़ने का कारण हो सकते हैं। पांच साल से कम उम्र के बच्चों, 65 साल से अधिक आयु के बुजुर्ग और कमजोर इम्युनिटी वालों में इसका खतरा अधिक हो सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ एचएमपीवी को ज्यादा गंभीर रोगकारक नहीं मानते हैं हालांकि कुछ लोगों में इससे संक्रमण के कारण जटिलताएं हो सकती हैं। इससे बचाव के लिए उपाय करते रहना जरूरी है। वैश्विक स्वास्थ्य संगठनों ने एचएमपीवी के प्रसार को कम करने पर जोर दिया है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, किसी बीमारी से बचाव या इसके खतरे को कम करने के लिए जागरूकता और लोगों तक बीमारी के बारे में सही जानकारी पहुंचाना सबसे आवश्यक है। एचएमपीवी चूंकि ज्यादातर लोगों के लिए अभी नया है इसलिए इस रोग को लेकर जानकारियों और तथ्यों की भी कमी है। सही जानकारी के अभाव में रोकथाम मुश्किल हो सकता है।
आइए ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस से जुड़े कुछ मिथ्स और फैक्ट्स जानते हैं।मिथ- ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस कोई नया वायरस है जो तेजी से बढ़ रहा है।
एचएमपीवी के मामले सामने आने के बाद से लोगों के बीच चर्चा है कि ये कोई नया वायरस है। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि एचएमपीवी कोई नया वायरस नहीं है। ये दुनियाभर में 60 साल से अधिक समय से है और पिछले करीब 25 साल से हम सभी इसके बारे में जानते हैं।
अमेरिकी फिजिशियन डॉ रविंद्र गोडसे ने बताया कि ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस आरएनए वायरस है, जिसका मतलब है कि ये म्यूटेट होता रहता है। इस वायरस में हुए नए म्यूटेशन के कारण ही दुनियाभर में ये तेजी से बढ़ रहा है।
मिथ- कोविड-19 जैसा गंभीर और खतरनाक है ये वायरस
पूरी दुनिया अब भी कोरोना के खतरे से बाहर निकल नहीं पाई है, इसी बीच चीन से शुरू हुए एचएमपीवी के संक्रमण ने लोगों की चिंताएं और बढ़ा दी हैं। कोविड-19 की ही तरह से एचएमपीवी भी श्वसन वायरस है और वायुमार्ग को प्रभावित करता है, जिसके कारण इसके लक्षण भी कोविड से मिलते-जुलते हैं।
हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, ये कोविड-19 जैसा गंभीर या खतरनाक रोगकारक नहीं है। एचएमपीवी के ज्यादातर मामलों में हल्के स्तर की श्वसन समस्याएं हो रही हैं और अधिकतर रोगी आसानी से ठीक भी हो रहे हैं। एचएमपीवी किसी बड़ी स्वास्थ्य समस्या का कारण बनेगा इसकी आशंका काफी कम है।
मिथ- एचएमपीवी केवल बच्चों को संक्रमित करता है।
अमर उजाला से बातचीत में दिल्ली स्थित एक अस्पताल में पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ विभु कवात्रा ने बताया कि निश्चित ही एचएमपीवी बच्चों को अधिक प्रभावित कर रहा है। लगभग हर बच्चे को पांच साल की उम्र से पहले कम से कम एक बार एचएमपीवी का संक्रमण होगा। इतना ही नहीं जीवनभर में कई बार फिर इस संक्रमण का खतरा हो सकता है।
हालांकि इससे इतर बच्चों के साथ-साथ वयस्कों और बुजुर्गों में भी संक्रमण के मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं। मुख्यरूप ये कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को प्रभावित करता है। गुरुवार को अहमदाबाद में एक 80 वर्षीय व्यक्ति को भी संक्रमित पाया गया है।
मिथ- तेजी से बढ़ रहा है संक्रमण, क्या फिर लगेगा लॉकडाउन?
एचएमपीवी के बढ़ते मामलों के बीच सोशल मीडिया पर खबरें चलने लगी कि एक बार फिर से लॉकडाउन लग सकता है।
चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस संक्रमण को लेकर शुरुआत में जो खबरें और वीडियो सामने आए उसमें अस्पतालों-श्मशान घाटों पर उसी तरह की भीड़ देखी गई जैसे कोरोना की दूसरी लहर के समय था। ऐसे में सवाल उठने लगे कि क्या फिर से लॉकडाउन लगेगा।
डॉक्टर कहते हैं, चीन की स्थिति को देखकर लोगों को भले ही डर लग रहा हो, पर वहां की स्थिति काफी अलग है जिसकी अन्य देशों से तुलना नहीं की जानी चाहिए। ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के कारण लॉकडाउन की आशंका नहीं है क्योंकि इसकी गंभीरता कोविड जैसी नहीं है।