मध्यप्रदेश : कुछ क्षेत्रों में इनका इतना आतंक है कि लोग दिन और रात के समय गली-मोहल्लों से निकलने में डर रहे हैं। नगर पालिका इनकी संख्या को नियंत्रित करने के लिए कोई कार्यक्रम नहीं चला रहा है।
सीहोर शहर में आवारा कुत्ते यानी स्ट्रीट डॉग एक बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं। शहर में शायद ही ऐसा कोई मोहल्ला या फिर गली होगी, जहां पर आवारा कुत्तों का झुंड न हो। रात के समय यह काफी खतरनाक हो जाते हैं। दिन के समय भी कई जगह ये पीछे पड़ जाते हैं। बावजूद इसके नगर पालिका इन्हें नहीं पकड़ रहा है और शहर में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या से शहरवासी परेशान हैं।
कुछ क्षेत्रों में इनका इतना आतंक है कि लोग दिन और रात के समय गली-मोहल्लों से निकलने में डर रहे हैं। नगर पालिका इनकी संख्या को नियंत्रित करने के लिए कोई कार्यक्रम नहीं चला रहा है, जिससे शहर में आवारा स्ट्रीट डॉग की तेजी से संख्या बढ़ रही है। पिछले कई वर्षों में शहर के 35 वार्डों में आवारा स्ट्रीट डॉग की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है, जिसकी मुख्य वजह नपा द्वारा स्ट्रीट डॉग की संख्या पर नियंत्रण नहीं किया जाना बताया जा रहा है।
नगर पालिका के पास शहर में स्ट्रीट डॉग का कोई आंकड़ा भी नहीं है। इसके बावजूद यदि प्रति वार्ड में 100 से 150 कुत्तों का एवरेज निकाले तो शहर के 35 वार्डों में तीन हजार से पांच हजार आवारा स्ट्रीट डॉग हो सकते हैं, जिस पर किसी का नियंत्रण नहीं है और यह बढ़ते ही जा रहे हैं। इनकी संख्या रोकने के लिए नगर पालिका कोई व्यापक अभियान नहीं चला रहा है। रात के समय शहर के अधिकांश चौराहों, कॉलोनियों के चौराहों व गलियों में आवारा स्ट्रीट डॉग समूह बनाकर बैठे रहते हैं।
बता दें कि इस दौरान सड़क पर बाइक, साइकिल या पैदल निकलने वाले लोगों पर ये कभी भी हमला कर देते हैं। ऐसे में लोगों में डर बना रहता है, जिन क्षेत्रों में स्ट्रीट डॉग की संख्या ज्यादा है। वहां के रहवासी रात में बच्चों को भी अकेला नहीं खेलने देते। रात दस बजे के बाद आने वाले लोगों को इनका खतरा रहता है। वाहन आने पर यह अचानक ही हमला कर रहे हैं।
स्कूली बच्चों के पीछे लपक रहे स्ट्रीट डॉग
तहसील चौराहा के पास स्थित महारानी लक्ष्मी बाई और टैगोर स्कूल के पास स्ट्रीट डॉग का काफी आंतक है। हालत है कि स्कूल में आने और जाने के समय विद्यार्थियों पर कई बार ये पीछे पड़ जाते हैं, जिससे हादसे का डर बना रहता है। छात्रा अनुपमा ने कहा के यहां के स्ट्रीट डॉग लगभग प्रतिदिन किसी ने किसी छात्रा पर लपक रहे हैं, जिसके चलते हमें दौड़ लगानी पड़ती है।
चल रहा स्ट्रीट डॉग के ब्रिडिंग का सीजन
पशु चिकित्सकों के मुताबिक अगस्त, सितम्बर व अक्तूबर महीने में इनकी ब्रिडिंग का सीजन होता है। ऐसे में इन तीन महीने में इनके पास से गुजरने पर इन्हें खतरे का आभास हो तो ये हमला कर देते हैं। साथ ही यह शहर में ग्रुप बनाकर घूमते हैं।
जिला अस्पताल में एवरेज पांच मरीज पहुंच रहे प्रतिदिन
स्ट्रीट डॉग की संख्या लगातार बढ़ने के कारण यह लोगों पर हमला भी कर रहे हैं। यही कारण है कि जिला अस्पताल में औसतन प्रतिदिन पांच मरीज कुत्ते के काटे पहुंच रहे हैं। कई बार यह संख्या 10 से 20 तक भी पहुंच जाती है। लोगों की समस्या तब अधिक बढ़ जाती है, जब जिला अस्पताल में स्ट्रीट डॉग के काटे के इंजेक्शन नहीं मिलते हैं और मरीजों को बाजार से खरीद कर लाना पड़ता है।
यह जानना अत्यन्त जरूरी
डॉग चाहे आवारा हो या पालतू, यदि उसका टीकाकरण नहीं हुआ है, तो उसके काटने से रेबीज होने की आशंका बराबर बनी रहती है
पालतू कुत्ता सड़क पर गंदगी न करें, यह तय करना उसके मालिक की जिम्मेदारी है और स्ट्रीट डॉग की गंदगी साफ करना नपा की जवाबदेही है
इस संबंध में नगर पालिका के सीएमओ भूपेन्द्र दीक्षित का कहना है कि शहर के स्ट्रीट डॉग पर कंट्रोल करने के लिए योजना तैयार की जा रही है। डेंजर स्ट्रीट डॉग को शहर के बाहर छोड़ा जाएगा।