नई दिल्ली : स्मोकी फूड्स को आमतौर पर गर्मागर्म होने और अपने स्वाद के कारण पसंद किया जाता है। लेकिन यह आपकी सेहत के लिए कितना फायदेमंद है?
आजकल हर चीज ट्रेंडी होने के साथ-साथ खाना भी ट्रेंडी होने लगा है। दरअसल, अब रेस्तरां में खाने को स्वादिष्ट बनाने के साथ-साथ उसे कूल और स्टाइलिश बनाने के लिए उसमें स्मोकी इफेक्ट डाला जाता है, ताकि खाना ज्यादा स्वादिष्ट नजर आए। असल में, स्मोकी फूड वे खाद्य पदार्थ होते हैं, जिनमें धुएं का स्वाद और खुशबू होती है। यह स्वाद और खुशबू मुख्यतः भोजन को धुएं में पकाने या स्मोकिंग प्रक्रिया के दौरान आती है। लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए कितना लाभकारी या नुकसानदायक है, इस बारे में जान लेना भी बहुत जरूरी है।
क्या है ये स्मोक
इस स्मोकी या फॉगी इफेक्ट के लिए आमतौर पर लकड़ी का धुआं इस्तेमाल किया जाता है। यह स्मोक कई तरह का होता है, जैसे- हॉट स्मोक और कोल्ड स्मोक, जो कि खाने के स्वाद को बढ़ा देते हैं। वहीं ड्राई आइस के साथ लिक्विड नाइट्रोजन का इस्तेमाल करके भी इसे उत्पन्न किया जाता है। यह एक तरह का केमिकल होता है और इसका तापमान 196 डिग्री सेल्सियस होता है। अगर यह केमिकल हमारी त्वचा के संपर्क में आ जाए तो इससे स्किन सेल्स को नुकसान हो सकता है।
वहीं लिक्विड नाइट्रोजन तेजी से फैलता है, जो शरीर के अंदरूनी अंगों के लिए खतरनाक हो सकता है और उसकी परत को नुकसान पहुंचा सकती है। विशेष रूप से यह पाचन क्रिया और पेट के लिए बेहद नुकसानदेह साबित हो सकता है। अगर इसे गलत तरीके से निगला जाए तो यह टिश्यू और ऑर्गन को भी नुकसान पहुंचा सकता है। सिर्फ इतना ही नहीं, इसके कई अन्य गंभीर स्वास्थ्य जोखिम भी हो सकते हैं।
फेफड़े और सांस
यह धुंआ सीधा आपकी सांसों और फेफड़ों पर असर डालता है। धुएं में मौजूद छोटे कण सांस के जरिये अंदर जा सकते हैं, जिससे एलर्जी, अस्थमा और सांस की अन्य समस्याएं हो सकती हैं। वहीं स्मोक्ड खाना नियमित रूप से खाने से शरीर में सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ सकता है, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है।
सोडियम का अत्यधिक सेवन
स्मोकिंग की प्रक्रिया में अत्यधिक तापमान और धुएं का इस्तेमाल करने से खाने के कई पोषक तत्वों का नाश हो जाता है, जिससे खाने की गुणवत्ता भी घट जाती है। स्मोक इफेक्ट वाले खाद्य पदार्थों में आमतौर पर अधिक मात्रा में नमक और प्रिजर्वेटिव्स मिलाए जाते हैं, जिससे उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और किडनी की समस्या हो सकती है।
बचाव
जितना हो सके, आप स्मोकी फूड से दूरी बनाएं और ग्रिल, बेक या स्टीम फूड का सेवन करें। तापमान को नियंत्रित रखें, ताकि खाना ज्यादा देर तक धुएं में न पके।
पाचन पर पड़ता है असर
आहार विशेषज्ञ अंशु चौहान कहती हैं, धुएं और उच्च ताप के संपर्क से बनाए जाने वाले खाद्य पदार्थों में पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन और हेटेरोसाइक्लिक एमाइन जैसे हानिकारक कार्बनिक यौगिकों की मात्रा अधिक होती है।
यह भोजन में पाए जाने वाले महत्वपूर्ण पोषक तत्वों, जैसे विटामिन और खनिजों को नष्ट कर देते हैं और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं, जैसे लिवर, गुर्दे में मेटाबॉलिक डिसऑर्डर के जोखिम को भी बढ़ावा देते हैं। ये दोनों रसायन कैंसर कारक माने जाते हैं, खासकर जब लंबे समय तक इस तरह के भोजन का सेवन किया जाए। पोषक तत्व गर्मी के प्रति संवेदनशील होते हैं और स्मोकी प्रक्रिया के दौरान भोजन से बाहर निकल जाते हैं। ऐसे में तैयार भोजन में प्रोटीन भी विकृत हो जाता है, जो उसकी संरचना को बदल सकता है। इस कारण उसे पचा पाने में कठिनाई हो सकती है।