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अंत्योदय दिवस पर पढ़ें पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अनमोल विचार

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नई दिल्ली : जाने माने विचारक, दार्शनिक और भारतीय जनसंघ के सह-संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती 25 सितंबर को मनाई जाती है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की याद में अंत्योदय दिवस मनाया जाता है। अंत्योदय का अर्थ है “अंतिम व्यक्ति का उदय”, अर्थात समाज के सबसे गरीब और पिछड़े व्यक्ति को समाज की मुख्यधारा में लाना है।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय गरीब और दलितों की आवाज थे। उन्होंने “अंत्योदय” का सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसका मतलब था समाज के सबसे निचले स्तर पर मौजूद व्यक्ति का उत्थान। ऐसे में यह दिन भारतीय समाज में गरीबों और वंचितों के उत्थान के प्रति समर्पण को दर्शाता है। 1916 को उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में जन्मे पं. दीनदयाल उपाध्याय भारतीय राजनीति के इतिहास में प्रमुख व्यक्तित्वों में से एक माने जाते हैं।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने यह मान्यता दी कि जब तक समाज के अंतिम व्यक्ति का विकास नहीं होता, तब तक समाज का समग्र विकास संभव नहीं है। इस विचारधारा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के चलते उनके जन्मदिन को अंत्योदय दिवस के रूप में मनाया जाता है। पं. दीनदयाल उपाध्याय ने कई ऐसे अनमोल विचार दिए जो आज की पीढ़ि को आगे बढ़ने, राष्ट्र को सशक्त बनाने और शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के लिए प्रेरित करते हैं। अंत्योदय दिवस के मौके पर पं. दीनदयाल उपाध्याय के अनमोल वचन पढ़िए।

नैतिकता के सिद्धांत किसी के द्वारा बनाए नहीं जाते, बल्कि खोजे जाते हैं।

शक्ति हमारे असंयत व्यवहार में नहीं बल्कि संयत कार्यवाही में निहित है।

शिक्षा एक निवेश है, जिसमें शिक्षित व्यक्ति समाज की सेवा करेगा।

मानवीय ज्ञान सभी की अपनी संपत्ति है।

बिना राष्ट्रीय पहचान के स्वतंत्रता की कल्पना व्यर्थ है।