नई दिल्ली : औद्याेगिक बिजली उपभोक्ताओं को दी जाने वाली एक रुपये की सब्सिडी बंद कर दी गई है। घरेलू उपभोक्ताओं को 300 यूनिट तक ही सब्सिडी की राहत मिलेगी।
हिमाचल में औद्याेगिक बिजली उपभोक्ताओं को दी जाने वाली एक रुपये की सब्सिडी बंद कर दी गई है। घरेलू उपभोक्ताओं को 300 यूनिट तक ही सब्सिडी की राहत मिलेगी। 1 अक्तूबर से नई दरों के तहत बिजली बिल जारी होंगे। 300 यूनिट से कम बिजली की खपत करने वाले उपभोक्ताओं को स्लैब अनुसार 1.83 रुपये से लेकर 3.53 रुपये प्रति यूनिट की सब्सिडी मिलती रहेगी। प्रतिमाह 300 यूनिट से अधिक बिजली खपत करने वालों को 1.03 रुपये की सब्सिडी अब नहीं मिलेगी। इन उपभोक्ताओं को अब प्रति यूनिट 5.22 रुपये की जगह 6.25 रुपये चुकाने होंगे। 66 केवी से अधिक क्षमता वाली सप्लाई लेने वाले औद्योगिक उपभोक्ताओं को अब 5.66 से 6.06 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलेगी।
एक रुपये की सब्सिडी बंद करने से सरकार को सालाना करीब 700 करोड़ रुपये के राजस्व की बचत होगी। करोड़ों रुपये बचने से सरकार काम को गति दे पाएगी। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि उद्योगों को मिलने वाली एक रुपये की सब्सिडी बंद होने के बावजूद हिमाचल प्रदेश में पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड से सस्ती बिजली उपभोक्ताओं को मिलेगी। प्रदेश की आर्थिकी को मजबूत करने में जुटी सरकार ने बीते दिनों ही बिजली सब्सिडी को बंद करने का एलान किया था। गुरुवार को प्रदेश सरकार के ऊर्जा सचिव ने राज्य विद्युत विनियामक आयोग को पत्र जारी कर एक रुपये की सब्सिडी को बंद करने को कहा है।
हालांकि, 20 केवीए के अधिक क्षमता वाली सप्लाई लेने वाले वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को दी जाने वाली एक रुपये की सब्सिडी सरकार पहले ही बंद कर चुकी है। इन उपभोक्ताओं को अब 6.31 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलेगी। अधिकांश दुकानदार इसके दायरे में नहीं आएंगे। इससे छोटे दुकानदारों को कोई फर्क नहीं पडे़गा। वहीं होटल, मॉल सहित बड़े कारोबारियों और उद्योगपतियों पर राज्य सरकार के इस फैसले का असर पड़ेगा।
सरकार ने उद्योगों को दी जाने वाली सब्सिडी को बंद करने के बावजूद बिजली शुल्क में कमी कर बड़ी राहत भी दी है। सरकार ने छोटे उद्योगों को बड़ी राहत देते हुए बिजली शुल्क को 11 फीसदी से घटाकर 3 फीसदी कर दिया है। मध्यम उद्योगों का बिजली शुल्क 17 से घटाकर 10.5 फीसदी किया गया है। सीमेंट और स्टोर क्रशर के अलावा अन्य बड़े उद्योगों का बिजली शुल्क 19 फीसदी से कम कर 16.5 फीसदी किया गया है।