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रेबीज से देश में सालाना पांच हजार से अधिक मौतें, 2022-23 में 50% से ज्यादा ने नहीं लगवाए पूरे टीके

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नई दिल्ली : देश के 18 चिकित्सा संस्थानों के साथ मिलकर आईसीएमआर ने 3.37 लाख से भी ज्यादा लोगों से बातचीत कर निष्कर्ष निकाला है कि भले ही बीते दो दशक में रेबीज का जोखिम कम हुआ है लेकिन अभी भी देश के सभी राज्यों को मिलकर कार्यों में तेजी लाने की जरूरत है क्योंकि साल 2022 से 2023 के बीच आधे से ज्यादा लोगों ने रेबीज का टीकाकरण बीच में ही छोड़ दिया।

भारत में हर साल करीब पांच हजार से ज्यादा लोगों की रेबीज संक्रमण से मौत हो जाती है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की ताजा रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है। देश के 18 चिकित्सा संस्थानों के साथ मिलकर आईसीएमआर ने 3.37 लाख से भी ज्यादा लोगों से बातचीत कर निष्कर्ष निकाला है कि भले ही बीते दो दशक में रेबीज का जोखिम कम हुआ है लेकिन अभी भी देश के सभी राज्यों को मिलकर कार्यों में तेजी लाने की जरूरत है क्योंकि साल 2022 से 2023 के बीच आधे से ज्यादा लोगों ने रेबीज का टीकाकरण बीच में ही छोड़ दिया। उन्होंने टीका लेने का कोर्स पूरा नहीं किया जबकि 20.5 फीसदी लोगों ने एक भी खुराक नहीं ली।

रिपोर्ट के मुताबिक, देश के 78,807 परिवारों के कुल 3,37,808 लोगों से पूछताछ के बाद मार्च 2022 से अगस्त 2023 के बीच 2,052 लोग मिले जो जानवरों के काटने से जुड़े हैं। इनमें ज्यादातर 76.8 फीसदी को बीते एक साल के दौरान जानवरों ने काटा। आबादी से तुलना करने पर यह पाया कि प्रति एक हजार की आबादी पर जानवरों के काटने की घटनाएं 6.6 फीसदी हैं। अगर पूरे देश की आबादी से इसका आकलन करें तो देश में एक साल के दौरान करीब 91 लाख मामले दर्ज होने चाहिए। शोधकर्ताओं ने जब इनमें से कुत्तों के काटे जाने वाले मामलों को अलग से देखा तो पाया कि एक हजार की आबादी पर यह दर 5.6 है। 2052 में से 323 पीड़ितों को एआरवी उपचार नहीं मिला और 1,043 कम से कम तीन खुराक ले सके। एक खुराक प्राप्त करने वाले 1,253 व्यक्तियों में से लगभग आधे 615 ने टीकाकरण का कोर्स पूरा नहीं किया। आईसीएमआर का यह सर्वे द लांसेट मेडिकल जर्नल ने प्रकाशित किया है।

कुत्ते पालने का शौक, पर नहीं कराते टीकाकरण
आईसीएमआर-एनआईई वैज्ञानिक डॉ. जेरोमी वेस्ले विवियन थंगराज ने चिंता जताते हुए कहा है कि केवल 50 फीसदी कुत्ते के मालिक ही अपने पालतू जानवरों को बीमारी के खिलाफ टीका लगवा रहे हैं जबकि टीकाकरण रेबीज संक्रमण के संचरण को रोकने के लिए काफी अहम है। हम नहीं जानते कि आवारा कुत्तों का टीकाकरण कितना हुआ है? उन्होंने बताया कि सर्वे में लगभग एक चौथाई घरों में पालतू जानवर होने की सूचना मिली जिनमें 18.6 फीसदी परिवारों ने बताया कि उनके पास एक पालतू कुत्ता है और केवल आधे पालतू कुत्तों का टीकाकरण किया गया।