नई दिल्ली : हर साल शारदीय नवरात्रि के समापन के एक दिन बाद दशहरा मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान श्री राम ने माता सीता को लंकापति रावण से चंगुल से छुड़ाने के लिए लंका पर आक्रमण किया तो घमासान युद्ध हुआ। इस युद्ध में न सिर्फ रावण के भाई और पुत्रों की मृत्यु हुई।
युद्ध के आखिर में जब रावण खुद युद्ध के लिए उतरा तो आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि भगवान राम ने रावण का भी वध कर दिया। इसी वजह से हर साल इसी तिथि के दिन दशहरा मनाया जाता है।
ये दिन बुराई पर अच्छाई की विजय का दिन है। इसी वजह से सदियों बाद भी आज लोग जगह-जगह रावण का पुतला बनाकर उसे जलाते हैं। कई जगह तो बच्चे भी अपने घरों और कॉलोनियों में भी रावण का पुतला बनाते हैं। अगर आप भी अपने घर पर रावण का पुतला बनाने का सोच रहे हैं तो हम आपको इसकी आसान तरीका बताने जा रहे हैं।
पुतला बनाने का सामान
लकड़ी की छड़ें
रस्सी
कागज वाला गिफ्ट रैपिंग पेपर
कागज, कार्डबोर्ड
गोंद और टेप
ऐसे तैयार करें ढांचा
रावण का पुतला तैयार करने के लिए सबसे पहले बांस की लंबी छड़ों से रावण के शरीर का ढांचा तैयार करें। इसके लिए आपको सबसे पहले एक लंबी छड़ को मुख्य आधार बनाना है और इसके बाद हाथों, पैरों और सिर के हिस्सों को जोड़ना है। छड़ों को जोड़ते समय अच्छी तरह से बांधें, ताकि बार-बार उठाने पर ये खुले नहीं।
ढांचा तैयार करने के बाद कागज वाला गिफ्ट रैपिंग पेपर की मदद से रावण के कपड़े तैयार करें। इसके लिए धोती से लिए अलग रंग का कपड़ा पहनें और ऊपर वाले हिस्से के लिए अलग रंग के कागज का चयन करें। अब बारी आती है रावण का चेहरा तैयार करने की तो उसके लिए आपको रावण के दस सिर तैयार करने हैं। इसके लिए सबसे पहले ड्राइंग शीट पर रावण के एक जैसे 10 चेहरे बना लें और उनकी कटिंग करते हुए आसपास चिपका लें।
चेहरा बनाते वक्त ध्यान रखें कि रावण की मूछें शानदार होनी चाहिए। इसके बाद सभी सिरों के लिए कागज की मदद से मुकुट तैयार करें। 10 मुकुट बनाकर सभी चेहरों के ऊपर चिपका लें। इसके बाद स्केच कलर से चेहरे और मुकुट में अपने मन मुताबिक रंग भरें। इन सिरों को ढांचे के ऊपर की तरफ अच्छे से अटैच करें, ताकि ये हिले नहीं। आखिर में रावण के एक हाथ में कार्डबोर्ड से बनी तलवार दें। अब ये रावण दहन के लिए तैयार है।
बच्चों को समझाएं रावण दहन का महत्व
बच्चों के साथ जब रावण बनवा रहे हों तो उन्हें इसका महत्व भी जरूर बताएं। उन्हें समझाएं कि ये दिन बुराई पर अच्छाई की विजय का दिन है। इसी दिन असत्य पर सत्य की जीत हुई है। दशहरे का त्योहार ही हमें ये एहसास दिलाता है कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, उसका अंत निश्चित है।