नई दिल्ली : वास्तु शास्त्र में तीन ऊर्जाओं का विशेष महत्व होता है। ये तीन ऊर्जाएं हैं सत्व, रजस और तमस। यह ऊर्जाएं व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक जीवन को प्रभावित करती हैं।
वास्तु शास्त्र में सत्व, रजस और तमस ऊर्जाओं का विशेष महत्व है। यह ऊर्जाएं व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक जीवन को प्रभावित करती हैं। इन ऊर्जाओं का संतुलन न केवल घर के वातावरण को सकारात्मक बनाता है, बल्कि परिवार के सदस्यों के जीवन में शांति, समृद्धि और संतुलन भी लाता है। इन ऊर्जाओं को पहचानकर और वास्तु नियमों के अनुसार उनका संतुलन स्थापित करके हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं। तीनों ऊर्जाओं का संतुलन व्यक्ति और परिवार के जीवन में शांति, समृद्धि और स्थिरता लाता है।
1 .सत्व ऊर्जा: शुद्धता और शांति की प्रतीक
सत्व ऊर्जा शुद्धता, सकारात्मकता और शांति का प्रतीक है। यह ऊर्जा घर के माहौल को शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक बनाती है।
महत्व: यह ऊर्जा मानसिक शांति, स्वस्थ विचार और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती है।
वास्तु में भूमिका: सत्व ऊर्जा उत्तर-पूर्व दिशा में प्रबल होती है। पूजा स्थल या ध्यान कक्ष इसी दिशा में बनाए जाने चाहिए।
संतुलन के उपाय: घर को साफ-सुथरा रखें और नियमित रूप से धूप-अगरबत्ती जलाएं। ध्यान और सकारात्मक मंत्रों का जाप करें। घर में तुलसी का पौधा लगाएं और प्राकृतिक रोशनी का अधिकतम उपयोग करें।
2.रजस ऊर्जा: सक्रियता और गतिशीलता की प्रतीक
रजस ऊर्जा जीवन में गति, उन्नति और क्रियाशीलता को बढ़ावा देती है। यह ऊर्जा व्यक्ति को प्रेरित और उत्पादक बनाती है।
महत्व: यह ऊर्जा कार्यक्षमता को बढ़ाती है और जीवन में प्रगति लाने में सहायक होती है।
वास्तु में भूमिका: रसोई और दक्षिण-पूर्व एवं उत्तर-पश्चिम दिशा रजस ऊर्जा का केंद्र मानी जाती है।
संतुलन के उपाय: रसोई में लाल और नारंगी जैसे गर्म रंगों का उपयोग करें। घर में सही प्रकाश व्यवस्था रखें और नियमित रूप से खिड़कियां खोलें ताकि ताजी हवा प्रवेश कर सके। घर में घड़ी लगाएं जो सही समय दिखाए, क्योंकि यह रजस ऊर्जा को सक्रिय करती है।
3.तमस ऊर्जा: स्थिरता और विश्राम की प्रतीक
तमस ऊर्जा स्थिरता, विश्राम और आराम प्रदान करती है, लेकिन इसका असंतुलन नकारात्मकता और आलस्य ला सकता है।
महत्व: यह ऊर्जा शरीर और मन को आराम देने के लिए आवश्यक है।
वास्तु में भूमिका: दक्षिण-पश्चिम दिशा तमस ऊर्जा के लिए आदर्श स्थान है।
ऊर्जाओं के संतुलन के लिए विशेष वास्तु उपाय
घर का मुख्य द्वार: घर का प्रवेश द्वार उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में होना चाहिए। यह सत्व ऊर्जा को घर में प्रवेश करने देता है।
पानी का स्रोत: घर में उत्तर-पूर्व दिशा में जल का स्रोत होना चाहिए। यह सकारात्मक ऊर्जा को सक्रिय करता है।
दीवारों के रंग: दीवारों के लिए हल्के और प्राकृतिक रंगों का उपयोग करें, क्योंकि ये ऊर्जा को संतुलित करते हैं।
धातु का उपयोग: घर में पीतल और तांबे की वस्तुएं रखें, क्योंकि ये सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं।
मंत्रोच्चार: नियमित रूप से ‘ओम’ और अन्य सकारात्मक मंत्रों का उच्चारण करें। यह घर में सत्व ऊर्जा को बढ़ाता है।