नई दिल्ली : अध्ययन में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने एक ऐसे तरीके के बारे में बताया है जिसकी मदद से याददाश्त को बेहतर बनाए रखने में मदद मिल सकती है। इसकी मदद से अल्जाइमर रोग और डिमेंशिया होने के जोखिमों को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है।
अक्सर चीजों या जगहों के नाम भूल जाना बहुत आम सी समस्या है, ये किसी को भी हो सकती है। हालांकि अगर इसके कारण आपका सामान्य जीवन बाधित होने लग जाए, रोजमर्रा के कामकाज में दिक्कतें महसूस होने लगें तो आपको सावधान हो जाने की जरूरत है। कई बार ये अल्जाइमर या डिमेंशिया का संकेत भी हो सकता है।
अल्जाइमर रोग मस्तिष्क से संबंधित विकार है जिसमें धीरे-धीरे स्मृति और सोचने की क्षमता कम होने लग जाती है। अगर समय रहते इसपर ध्यान न दिया जाए तो इसके कारण दिनचर्या के सरल कार्यों को करने में भी काफी दिक्कत हो सकती है। अल्जाइमर रोग के कारण डिमेंशिया होने का खतरा रहता है जिसके कारण जटिलताएं और भी गंभीर हो सकती हैं।
हाल के अध्ययन में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने एक ऐसे तरीके के बारे में बताया है जिसकी मदद से याददाश्त को बेहतर बनाए रखने में मदद मिल सकती है। इतना ही नहीं इसकी मदद से अल्जाइमर रोग और डिमेंशिया होने के जोखिमों को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है।
आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
अध्ययन में क्या पता चला?
चीन की तियानजिन मेडिकल यूनिवर्सिटी और स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि एरोबिक व्यायाम करने से डिमेंशिया का खतरा 35 फीसदी तक कम हो सकता है। दिल और सांसों की सेहत को बेहतर करने के लिए किए जाने वाले रनिंग-साइकिलिंग जैसे अभ्यास की मदद से न सिर्फ आप आपनी स्मृति क्षमता को ठीक रख सकते हैं साथ ही इससे डिमेंशिया का जोखिम भी कम किया जा सकता है।
इस अध्ययन के निष्कर्ष ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में प्रकाशित किए गए हैं।
कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस का ठीक रहना जरूरी
अध्ययन में 39 से 70 साल के 61,000 से ज्यादा लोगों को शामिल किया गया। इन लोगों को अध्ययन शुरू होने पर डिमेंशिया नहीं था। इस अध्ययन की शुरुआत में साल 2009-2010 में प्रतिभागियों को उनकी फिटनेस स्तर के आधार पर तीन समूहों में बांटा गया। प्रतिभागियों ने कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस का स्तर मापने के लिए 6 मिनट का साइक्लिंग टेस्ट दिया।
डिमेंशिया विकसित होने के लिए बौद्धिक कामों और आनुवंशिक स्कोर का भी अनुमान लगाया गया। अगले 12 साल में 553 लोगों में डिमेंशिया विकसित हुआ।
क्या कहते हैं शोधकर्ता?
कार्डियोरेस्पिरेटरी या एरोबिक फिटनेस असल में एक माप है। इसमें शारीरिक गतिविधि या व्यायाम के वक्त मांसपेशियों और अंगों तक ऑक्सीजन कितनी अच्छी तरह से पहुंचती है, इसको मापा जाता है। उम्र के साथ जैसे-जैसे मांसपेशियां कमजोर होती जाती हैं, ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए संचार और श्वसन तंत्र की क्षमता कम होती जाती है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों की कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस बेहतर थी, उनकी याददाश्त और सोचने की क्षमता बेहतर थी और डिमेंशिया का खतरा कम था।
एरोबिक व्यायाम की बनाएं आदत
अध्ययन में पाया गया कि जो लोग शारीरिक रूप से एक्टिव थे और फिटनेस बेहतर थी, उनमें न केवल डिमेंशिया का खतरा कम था, बल्कि उनमें यह बीमारी कम फिटनेस वाले लोगों के मुकाबले औसतन 18 महीने बाद शुरू हुई।
शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि एरोबिक फिटनेस को बेहतर बनाना डिमेंशिया को रोकने का एक प्रभावी तरीका हो सकता है। ये उन लोगों के लिए फायदेमंद पाया गया जिनमें आनुवांशिक तौर से इस बीमारी का खतरा अधिक था। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, याददाश्त को ठीक रखने, डिमेंशिया से बचे रहने और कई अन्य प्रकार की शारीरिक समस्याओं से बचाव के लिए भी सभी लोगों को नियमित तौर पर एरोबिक व्यायाम जरूर करना चाहिए।