नई दिल्ली : बड़ी संख्या में ऐसे भी लोग हैं जो देर रात या 12 बजे के बाद सोते हैं। रात में देर से सोने और नींद पूरी न होने की स्थिति सेहत के लिए कई प्रकार से हानिकारक हो सकती है।
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जितना जरूरी रोजाना रात में अच्छी नींद लेना है, उतना ही समय पर सोना और जागना भी है। ज्यादातर अध्ययन कहते हैं, रात में 10 बजे तक सो जाना चाहिए। मेटाबॉलिज्म को ठीक रखने और आपको कई प्रकार की बीमारियों से बचाए रखने के लिए ये जरूरी है।
हालांकि डॉक्टर्स कहते हैं, बड़ी संख्या में ऐसे भी लोग हैं जो देर रात या 12 बजे के बाद सोते हैं। रात में देर से सोने और नींद पूरी न होने की स्थिति सेहत के लिए कई प्रकार से हानिकारक हो सकती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया, अगर आप रात में अक्सर देर से सोते हैं तो इससे मूड से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। दीर्घकालिक तौर पर इसके सेहत से संबंधित और भी कई तरह के नुकसान हो सकते हैं। आजकल की दौड़ती-भागती जीवनशैली, बढ़ते डिजिटल स्क्रीन के इस्तेमाल और काम के दबाव के कारण नींद भी काफी अधिक प्रभावित हो गई है। अगर आप भी इसका शिकार हैं तो सावधान हो जाइए।
रात में देर रात तक जागना हानिकारक
डॉक्टर कहते हैं, जब हम रात में देर रात तक जागते हैं, तो इससे हमारी नींद का प्राकृतिक चक्र प्रभावित होता है। इसके कारण गहरी नींद नहीं मिल पाती है जो कि शारीरिक और मानसिक रूप से शरीर को रिफ्रेश करने के लिए जरूरी है। नींद का चक्र बाधित होने से नींद की अवधि और गुणवत्ता भी प्रभावित होने लगती है। ये मेटाबॉलिज्म से संबंधित समस्याओं, रोग प्रतिरोधक क्षमता, मानसिक स्वास्थ्य सभी के लिए हानिकारक है।
डॉक्टर बताते हैं, वयस्कों के लिए रात में 10 से 11 बजे तक सो जाना अच्छा माना जाता है। 12 बजे या इसके बाद सोने की आदत कई प्रकार की बीमारियों को बढ़ाने वाली हो सकती है।
मेटाबोलिज्म की समस्या
रात में देर से सोने से मेटाबोलिज्म पर बुरा असर पड़ता है। शोध से पता चला है कि जो लोग नियमित रूप से देर से सोते हैं, उनके शरीर में वसा का स्तर बढ़ सकता है। मेटाबोलिज्म धीमा होने से वजन बढ़ने की आशंका अधिक होती है और मोटापे का खतरा बढ़ता है। अधिक वजन की स्थिति डायबिटीज, हृदय रोग और पाचन से संबंधित कई अन्य विकारों का भी कारण बन सकती है।
मेंटल हेल्थ पर असर
अच्छी नींद लेना मेंटल हेल्थ को ठीक रखने के लिए जरूरी है। देर रात तक जागने से मूड स्विंग्स, अवसाद और चिंता जैसी मानसिक समस्याएं जन्म ले सकती हैं। अध्ययनों में पाया गया है कि जब आप रात में देर से सोते हैं तो इससे शरीर में सेरोटोनिन और डोपामिन जैसे हार्मोन्स का असंतुलन हो सकता है जिसके कारण मानसिक थकावट और चिड़चिड़ापन बढ़ता है। दीर्घकालिक रूप से ये स्ट्रेस और एंग्जाइटी को भी बढ़ा सकती है।
हार्ट और डायबिटीज का खतरा
रात में देर तक जगने की आदत को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ाने के लिए जिम्मेदार पाया गया है। नींद की कमी से शरीर में स्ट्रेस हार्मोन का स्तर बढ़ने लगता है, जिससे हृदय पर अधिक दबाव पड़ता है। इस आदत से हृदयघात स्ट्रोक और अन्य हृदय संबंधी रोगों का खतरा भी बढ़ सकता है।
इसी तरह से देर से सोने वाले लोगों के लिए शुगर के स्तर को नियंत्रित करना भी मुश्किल हो सकता है। इससे शरीर में इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता घट जाती है, जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मुश्किल पैदा करती है।
