नई दिल्ली : हर साल गणेश उत्सव का इंतजार लोग सालभर करते हैं। यह उत्सव भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से प्रारंभ होता है और 10 दिनों तक चलता है। उत्सव के पहले दिन भगवान गणेश की स्थापना लोग अपने घरों में करते हैं और अंतिम दिन भगवान गणेश की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है।
वैसे तो एक समय में यह उत्सव विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, और गोवा में मनाया जाता था, लेकिन अब यह पूरे देश और विश्व भर में लोकप्रिय हो गया है। इसकी धूम आपको जगह-जगह देखने को मिल जाएगी।
अगर आपने अपने घर पर बप्पा की स्थापना नहीं की है, और आप भगवान गणेश के दर्शन को मंदिर जाना चाहते हैं तो हम आपको कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो दिल्ली में स्थित हैं। तो अगर आप दिल्ली एनसीआर में रहते हैं, तो बप्पा के इन मंदिरों के दर्शन करने अवश्य जाएं।
प्राचीन श्री गणेश मंदिर, कनॉट प्लेस
दिल्ली का दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस यानी कि सीपी में बप्पा का ये मंदिर स्थित है। इस प्रसिद्ध मंदिर के केंद्र में भगवान गणेश की भव्य मूर्ति स्थापित है। गणेश चतुर्थी के बाद से अनंत चतुदर्शी तक दस दिन यहां विशेष पूजा और उत्सव का आयोजन होता है।
श्री सिद्धिविनायक गणेश मंदिर, आर.के. पुरम
आर.के. पुरम में स्थित श्री सिद्धिविनायक मंदिर दिल्ली का एक प्रमुख गणपति मंदिर है। यह मंदिर मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर की तर्ज पर बना है और दिल्ली में गणेश भक्तों के बीच काफी लोकप्रिय है। हर मंगलवार और गणेश चतुर्थी के समय यहां श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। आप गणेश उत्सव के दौरान यहां भी दर्शन को जा सकते हैं।
गणेश मंदिर, सरोजिनी नगर
अगर सरोजनी नगर जाने का प्लान है तो आप इस मंदिर के दर्शन अवश्य करके आएं। वैसे तो यहां हमेशा भीड़ रहती है, लेकिन आप चाहें तो बुधवार को यहां भगवान गणेश का आशीर्वाद लेने आएं। बुधवार को इस मंदिर में काफी भीड़ मिलती है।
गणेश मंदिर, द्वारका सेक्टर-7
दिल्ली के द्वारका में स्थित ये गणेश मंदिर क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध है। यहां भगवान गणेश के भक्तों की भीड़ हमेशा लगी रहती है। अब जब गणेश उत्सव चल रहा है तो आप यहां दर्शन करने जा सकते हैं।
दिल्ली हाट के पास गणेश मंदिर
दिल्ली हाट में वैसे तो घूमने की काफी जगह हैं, लेकिन यहां सबसे खास है गणपति बप्पा का मंदिर। इस मंदिर में भगवान गणेश बेहद खूबसूरत सी मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर में गणेश उत्सव के दौरान विशेष पूजा, भजन, कीर्तन और अनुष्ठान होते हैं।