नई दिल्ली : भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। 1946 में गठित संविधान सभा ने इसे 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिनों में तैयार किया था। इसके बाद 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया था। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
26 जनवरी 1950 वह स्वर्णिम दिन है जब भारत का संविधान देश में लागू हुआ था। इसीलिए इस विशेष दिन को हर वर्ष गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत के संविधान को सबसे बड़ा लिखित संविधान होने का गौरव प्राप्त है। आज भी भारत के लिखित संविधान की मूल प्रति सुरक्षित रखी गई है। यह कागज पर लिखा हुआ संविधान है, जिसे दशकों से सहेज कर रखा गया है। हमारे संविधान ने भारत के हर नागरिक के अधिकार और कर्तव्य निर्धारित किए हैं। आजादी के लगभग तीन साल बाद भारत का संविधान लागू हुआ था। वास्तव में, भारतीय संविधान न सिर्फ एक दस्तावेज है, बल्कि इसे भारत की आत्मा और उसकी विविधता का प्रतीक भी माना जाता है। मगर क्या आप जानते हैं कि इस संविधान को बनाने की प्रक्रिया कैसी थी और इसकी खास बातें क्या हैं? आइए इस लेख में इसी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
संविधान निर्माण की पृष्ठभूमि
भारत के संविधान का निर्माण अचानक नहीं हुआ, बल्कि यह एक लम्बी प्रक्रिया का परिणाम था। इसकी नींव ब्रिटिश शासन के दौरान ही पड़ गई थी, जब भारतीय नेता स्वशासन की मांग कर रहे थे। 1940 में ब्रिटिश सरकार ने पहली बार संविधान सभा की आवश्यकता को स्वीकार किया, और अंततः कैबिनेट मिशन ने इस विचार को मूर्त रूप दिया।
संविधान सभा का गठन
1946 में संविधान सभा का गठन हुआ, जिसके सदस्य प्रांतीय विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से चुने गए थे। इस सभा में विभिन्न क्षेत्रों, धर्मों, जातियों और विचारधाराओं के प्रतिनिधि शामिल थे, जो भारत की विविधता को दर्शाते थे। 9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक हुई। विभाजन के बाद, 14 अगस्त 1947 को विभाजित भारत की संविधान सभा के रूप में इसकी फिर से बैठक हुई। वहीं 29 अगस्त 1947 को संविधान सभा की ड्राफ्टिंग समिति का गठन किया गया। उस समय ड्राफ्टिंग समिति में कुल सात सदस्य थे, जिन्होंने संविधान का एक मसौदा तैयार किया था। ये सदस्य थे- डॉ. भीम राव अमबेडकर , एन गोपाल स्वामी आयंगर, अलादी कृष्णस्वामी अययार, डॉ. के एम मुंशी, सैयद मोहम्मद सादुल्लाह, एन माधव राव, और टी टी कृष्णमचारी। साथ ही संविधान सभा ने बी एन राव को संवैधानिक सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया था।
कितने दिनों में तैयार हुआ था संविधान?
संविधान का प्रारूप तैयार करने में 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन लगे। इस दौरान संविधान सभा की 11 सत्रों में 167 दिनों तक बैठक हुई। संविधान के प्रत्येक अनुच्छेद पर विस्तार से बहस हुई और विभिन्न देशों के संविधानों से प्रेरणा ली गई। विशेष रूप से, भारत शासन अधिनियम 1935 का इस पर गहरा प्रभाव पड़ा, जिसके लगभग 250 अनुच्छेद भारतीय संविधान में शामिल किए गए हैं।
संविधान का पहला मसौदा
समिति ने संविधान का पहला मसौदा फरवरी 1948 में प्रकाशित किया गया। चर्चा के लिए आठ महीने का समय निश्चित हुआ। मसौदे पर सार्वजनिक टिप्पणी, आलोचनाएं और सुझाव दिए गए, जिसके बाद ड्राफ्टिंग समिति ने दूसरा मसौदा तैयार किया। दूसरा मसौदा अक्तूबर 1948 में प्रकाशित किया गया। वहीं भारतीय संविधान का अंतिम मसौदा डॉ. बी आर आंबेडकर ने 4 नवंबर, 1948 को संविधान सभा में पेश किया। इस दौरान संविधान की धाराओं पर विचार विमर्श हुआ।
कब तैयार हुआ संविधान?
इसके बाद 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा में भारत का संविधान पारित किया और दो महीने बाद 26 जनवरी 1950 को संविधान को लागू किया। इसे लागू करने के लिए दो महीने का समय इसलिए लगा, क्योंकि 26 जनवरी 1930 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था। इसी दिन को गणतंत्र दिवस के तौर पर भारत ने मनाने का फैसला करते हुए संविधान लागू किया।
संविधान की खास बातें
भारतीय संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है। जब इसे अपनाया गया था तब इसमें 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं। वर्तमान में इसमें कई संशोधन हो चुके हैं।
संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान को अपनाया था, और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। इसी दिन को हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।
भारत के संविधान की मूल प्रति आज भी सुरक्षित रखी हुई है।
यह संविधान की मूल प्रति संसद भवन की सेंट्रल लाइब्रेरी में गैस से भरे शीशे के बॉक्स में रखी हुई है।
संविधान की मूल प्रति को हाथ से प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने अपने हाथों से लिखा था।
भारतीय संविधान के मूल कॉपी को अंग्रेजी के इटैलिक शैली में लिखा गया था।
भारतीय संविधान का हिन्दी में अनुवाद डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में साल 1950 में किया गया था।
संविधान की पहली कॉपी देहरादून के सर्वे ऑफ इंडिया की प्रेस में छापी गई थीं। उस दौरान संविधान की एक हजार प्रतियां छापी गई थीं।