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कैसी होती है सुरक्षा दस्ते के डॉग की ट्रेनिंग और कैसे होते हैं ये श्वान?

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नई दिल्ली : भारतीय सेना के डॉग फैंटम ने अपनी असाधारण बहादुरी और समर्पण का परिचय देते हुए वीरगति प्राप्त की। सेना ने इस शहीद फैंटम को श्रद्धांजलि दी, लेकिन क्या आप इन फैंटम डॉग की ट्रेनिंग और बाकी चीजों के बारे में जानते हैं?

अगर आपसे कहा जाए कि एक डॉग ने देश की सेवा करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया है तो शायद आपकी आंख में आंसू हों। दरअसल, बीते सोमवार को जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में आतंकियों के खिलाफ किए गए ऑपरेशन में फैंटम डॉग ने सर्वोच्च बलिदान दिया। जब हमारी सेना के जवान आतंकियों के करीब पहुंच रहे थे, उस वक्त फैंटम दुश्मन की गोलीबारी का सामना कर रहा था जिसमें वो गंभीर रूप से घायल हो गया है और इसके बाद वो शहीद हो गया। सेना ने इस शहीद फैंटम को श्रद्धांजलि दी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये फैंटम डॉग तैयार कैसे होते हैं? इनकी ट्रेनिंग कैसी होती है और इन्हें सेना में कब शामिल किया गया? शायद नहीं, तो चलिए जानते हैं इस बारे में…

पहले ये जान लें
शहीद फैंटम डॉग विशेष पैरा बलों का हिस्सा था। आतंकियों का पीछा करते हुए और उनका पता लगाते हुए वो शहीद हो गया। भारतीय सेना ने अपने शहीद फैंटम को श्रद्धांजलि दी है और साथ ही उसकी असाधारण बहादुरी और समर्पण को स्वीकार किया है।

कुछ जानकारी फैंटम डॉग के बारे में
शहीद फैंटम डॉग बेल्जियम मालिनोइस नस्ल का था जिसका जन्म 25 मई 2020 को हुआ था। इस डॉग को भारतीय सेना में 12 अगस्त 2022 को शामिल किया गया था। ये डॉग भारतीय सेना की व्हाइट नाइट कोर का हिस्सा था।

कैसी होती है ट्रेनिंग?
जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में आंतकियों को ढूंढते हुए शहीद हुए फैंटम डॉग की ट्रेनिंग काफी कठिन और चुनौतीपूर्ण होती है। इन डॉग को सेना देश के अलग-अलग हिस्सों में बने अपने डॉग ट्रेनिंग फैकल्टी में ट्रेंड करती है।

इन डॉग को जंगल में खोज करना, किसी एरिए में सैनिटाइजेशन जैसे स्पेशल टेक्टिकल ऑपरेशंस में ट्रेंड किया जाता है। यही नहीं, इन्हें कई अन्य विशेष क्षमताओं में भी पूरी तरह ट्रेंड किया जाता है। जो डॉग सेना में शामिल होते हैं उनकी तीन महीने की बेसिक ट्रेनिंग होती है जिसमें उन्हें कमांड दी जाती है। रोजाना तीन से चार घंटे ये ट्रेनिंग चलती है। हालांकि, खास मिशन पर जाने के लिए डॉग की सुबह, दोपहर, शाम और रात में दो-दो घंटे तक ट्रेनिंग होती है। इस ट्रेनिंग में डॉग को कैसे चलना है, हमला होने की स्थिति में क्या करना है, कैसे बैठना है और अपने ट्रेनर का आदेश मानना है जैसी चीजें सिखाई जाती हैं।

ट्रेनिंग के वीडियो में दिखाया गया है कि ये डॉग सूंघते हुए अपने टारगेट तक पहुंच जाते हैं और उसके बाद उस पर हमला कर देते हैं। इन डॉग के दांतों की पकड़ इतनी मजबूत होती है कि इससे छूट पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।

किन डॉग्स को शामिल किया जाता है भारतीय सेना में?
भारतीय सेना में जो डॉग शामिल किए जाते हैं उनमें सभी डॉग बेल्जियन शेफर्ड और असॉल्ट बैब्राडोर हैं। इन डॉग को दो साल की उम्र में भारतीय सेना में भर्ती किया जाता है और फिर 10 साल की उम्र में इनको रिटायर कर दिया जाता है। रिटायरमेंट के बाद इन डॉग्स को मेरठ में बने वृद्धाश्रम भेज दिया जाता है और यहीं पर इन्हें कोई आर्मी अफसर ही गोद ले लेता है।