आर्थराइटिस ने बिगाड़ दी है हालत? इन आसान उपायों से लक्षणों में पा सकते हैं आराम

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नई दिल्ली : लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी ने हमारी सेहत को कई प्रकार से प्रभावित किया है। विशेषतौर पर बढ़ती शारीरिक निष्क्रियता के कारण कई प्रकार के दुष्प्रभाव देखे जा रहे हैं। इसका सबसे ज्यादा असर हड्डियों की सेहत पर होता है। हड्डियों में होने वाली दिक्कतें चलने-उठने में दिक्कतें पैदा कर सकती हैं जिससे जीवन की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है।

जोड़ों में दर्द की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। गठिया, हड्डियों में दर्द, सूजन और कुछ प्रकार की अन्य स्थितियों के कारण आपको ये दिक्कतें होती हैं। डॉक्टर कहते हैं, जोड़ों में दर्द के लिए ऑस्टियोपोरोसिस-ऑस्टियोआर्थराइटिस नामक बीमारी को प्रमुख कारण माना जाता है, समय के साथ इसका खतरा युवाओं में भी बढ़ता जा रहा है।

जोड़ों में दर्द की समस्या

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया लाइफस्टाइल-आहार में गड़बड़ी भी जोड़ों में दर्द को बढ़ाने वाली हो सकती है। अगर आपको भी अक्सर ये दिक्कत रहती है तो इस बारे में किसी विशेषज्ञ से मिलकर दर्द के कारणों का सही निदान जरूर करा लें। ऑस्टियोआर्थराइटिस तब होता है जब आपके जोड़ में आर्टिकुलर कार्टिलेज टूट जाते हैं। इन स्थितियों में जोड़ों की हड्डियां आपस में रगड़ती हैं और इस घर्षण के कारण तेज दर्द का अनुभव हो सकता है।

बढ़ने न पाए वजन

अतिरिक्त वजन, घुटने और कूल्हे जैसे जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है, जिससे दर्द और सूजन बढ़ने लगती है। संतुलित आहार और नियमित व्यायाम के माध्यम से वजन को कंट्रोल बनाए रखने में मदद मिल सकती है। जोड़ों पर पड़ने वाले तनाव और असुविधा को कम करने के लिए शरीर का वजन कम रखना जरूरी है। लाइफस्टाइल और आहार में सुधार करके जोड़ों की समस्याओं में काफी हद तक सुधार करने में मदद मिल सकती है।

रोज करें व्यायाम

जोड़ों में दर्द के शुरुआती चरणों में नियमित व्यायाम और स्ट्रेचिंग की मदद से गठिया के सूजन को कम करने और जोड़ों के दर्द से राहत पाने में मदद मिल सकती है। स्ट्रेचिंग करने से मांसपेशियों पर पड़ने वाला अतिरिक्त दबाव कम होता है और रक्त का संचार ठीक बना रहता है। मांसपेशियों में रक्त का संचार ठीक रहने से दर्द से आराम पाया जा सकता है।

जोड़ों के दर्द को कैसे कम करें?

प्रभावित जोड़ों पर हीट-कोल्ड थेरेपी करने से भी दर्द और सूजन से अस्थायी राहत मिल सकती है। हीट थेरेपी जैसे गर्म पानी से स्नान या हीटिंग पैड से रक्त परिसंचरण में सुधार होता है और मांसपेशियों की कठोरता कम होती है। जबकि कोल्ड थेरेपी जैसे आइस पैक से सूजन और जोड़ों में होने वाले दर्द को कम किया जा सकता है। कोल्ड थेरेपी की मदद से दर्द वाले रिसेप्टर्स सुन्न हो जाते हैं। दर्द से आराम पाने के लिए ये उपाय भी काफी प्रभावी हो सकते हैं।