नई दिल्ली : हृदय रोग दुनियाभर में तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है, जिसका खतरा सभी उम्र के लोगों में देखा जा रहा है। हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट जैसे मामलों के कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है, इसमें बड़ी संख्या उन लोगों की भी है जो 30 से कम उम्र के हैं। कोरोना महामारी के बाद इसका खतरा और भी बढ़ गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं सभी लोगों को अपनी हार्ट हेल्थ को लेकर गंभीरता से ध्यान देते रहने की आवश्यकता है। जिम करते-करते भी लोग हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, हृदय रोगों से मौत के बढ़ते आंकड़े चिंताजनक हैं। हालांकि इनमें से कई लोगों की जान बचाई जा सकती है अगर समय पर इसके संकेतों पर गंभीरता से ध्यान देकर सीपीआर और आपातकालीन चिकित्सा उपलब्ध करा दी जाए।
हृदय रोग और इससे संबंधी बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके रोकथाम को लेकर लोगों को शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है।
हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट जैसे मामलों में हर एक मिनट की कीमत होती है, ‘गोल्डन टाइम’ पर अगर स्थिति समझ में आ जाए तो इससे जानलेवा जोखिमों को कम किया जा सकता है।
‘गोल्डन ऑवर’ बहुत महत्वपूर्ण
अमर उजाला से बातचीत के दौरान ओपोलो हॉस्पिटल में कार्डियोवस्कुलर सर्जन डॉ निरंजन हिरेमथ ने बताया, हार्ट अटैक की स्थिति में ‘गोल्डन टाइम’ बहुत महत्वपूर्ण है। ये दिल का दौरा पड़ने के बाद के पहले 60 मिनट होते हैं, जिसमें तत्काल चिकित्सा सहायता प्राप्त करना सबसे महत्वपूर्ण होता है। हार्ट अटैक-कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में लक्षणों की समय पर पहचान कर सीपीआर देने से जान बचने की संभावना 60-70 फीसदी तक बढ़ जाती है।
सीपीआर के साथ समय रहते रोगी को आपातकालीन चिकित्सा प्रदान करना भी आवश्यक है।
हार्ट अटैक के संकेतों को न करें अनदेखा
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, दिल का दौरे पड़ने के कई कारण हो सकते हैं। जिन लोगों के परिवार में पहले से किसी को हृदय रोगों की दिक्कत रही हो, कोलेस्ट्रॉल-ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है उन्हें अपने जोखिमों को लेकर और भी सतर्क रहने की जरूरत होती है। हाई ब्लड प्रेशर को हार्ट अटैक का प्रमुख जोखिम कारक माना जाता है। हार्ट अटैक की स्थिति में कुछ संकेतों पर ध्यान देना सबसे जरूरी हो जाता है।
अगर किसी को सांस फूलने, छाती में तेज दर्द या भारीपन, अत्यधिक थकान लगने, बहुत पसीना आने या चक्कर आने की समस्या हो रही है तो इसे हार्ट अटैक का संकेत माना जा सकता है। कभी-कभी, ऐसी घटनाएं बिना किसी चेतावनी के भी हो सकती हैं।
‘गोल्डन ऑवर’ में सीपीआर और आपातकालीन चिकित्सा जरूरी
डॉक्टर कहते हैं, गोल्डन ऑवर के दौरान सीपीआर देना सबसे कारगर तरीका है जिससे लोगों की जान बचाई जा सकती है। कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन एक जीवनरक्षक तकनीक है जो हार्ट अटैक जैसी आपात स्थितियों में जीवनरक्षक साबित हो सकती है। हार्ट अटैक की स्थिति में छाती को सही गति से दबाने की यह प्रक्रिया रक्त के संचार को ठीक रखने में मददगार हो सकती है।
जानिए सीपीआर कैसे दिया जाता है?
शरीर के संकेतों पर गंभीरता से दें ध्यान
डॉक्टर कहते हैं हार्ट अटैक जैसी जानलेवा स्थितियों से बचे रहने के लिए जरूरी है कि आप हार्ट अटैक के संकेतों पर गंभीरता से ध्यान देते रहें। चक्कर आना, सिर घूमना, बेहोशी जैसी दिक्कत लग रही है तो ये भी हृदय संबंधी समस्याओं का संकेत हो सकता है। अगर आपको ये लक्षण महसूस होते हैं, तो लेट जाएं और आराम करें। हार्ट अटैक की स्थिति में तुरंत एस्प्रिन की टेबलेट लेने से ब्लड क्लॉटिंग की समस्या को कम कर सकते हैं।