नई दिल्ली : ताड़ासन के नियमित अभ्यास से एक नहीं बल्कि अनेकों स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। यहां आपको दस कारण बताए जा रहे हैं, जिससे आप रोजाना ताड़ासन का अभ्यास करना चाहेंगे।
योग शरीर के आंतरिक और बाहरी सभी अंगों की सेहत के लिए असरदार क्रिया है। नियमित योगाभ्यास से शारीरिक स्वास्थ्य तो बेहतर रहता ही है, मानसिक सेहत भी दुरुस्त रहती है। अलग-अलग आसन और प्राणायाम शरीर के अलग अलग अंगों की सेहत के लिए लाभकारी हैं। कुछ योग ऐसे हैं, जिनके अभ्यास मात्र से कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। इन्हीं में से एक ताड़ासन है। ताड़ासन के नियमित अभ्यास से एक नहीं बल्कि अनेकों स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। यहां आपको दस कारण बताए जा रहे हैं, जिससे आप रोजाना ताड़ासन का अभ्यास करना चाहेंगे।
पोस्चर और रीढ़ को सीधा रखना
ताड़ासन शक्तिशाली आसन है, जो गलत पोस्चर और रीढ़ की हड्डी की खराबी को ठीक करने में मदद करता है। यह आसन स्पाइनल कर्व को प्रोत्साहित करता है और कोर मसल्स को मजबूत बनाता है। ताड़ासन के नियमित अभ्यास से पीठ दर्द, गर्दन में तनाव और खराब मुद्रा से जुड़ी अन्य समस्याओं को कम किया जा सकता है।
संतुलन और स्थिरता
ताड़ासन की स्थिति को बनाए रखने के लिए संतुलन और शारीरिक जागरूकता की आवश्यकता होती है। जैसे आपके पैर मजबूती से जमीन पर टिके होते हैं और आपकी मांसपेशियों में खिंचाव होता है। इससे शरीर स्थिर और गति को महसूस करने की क्षमता में सुधार होता है। वृद्ध लोगों या जो संतुलन संबंधी समस्याओं से परेशान होते हैं, उनके लिए यह आसन काफी फायदेमंद है।
श्वसन क्षमता में वृद्धि
ताड़ासन करते समय छाती खुली और रीढ़ लंबी होती है। यह अवस्था सांस लेने की अनुमति देती है। यह आसन गहरी सांस लेने को प्रोत्साहित करता है, जिससे फेफड़ों की क्षमता और ऑक्सीजन का सेवन बढ़ सकता है। अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वसन समस्याओं जैसी स्थितियों को कम करने में यह आसन मदद करता है।
सर्कुलेशन और मेटाबाॅलिज्म बढ़ाना
ताड़ासन की क्रिया पूरे शरीर में बेहतर रक्त प्रवाह करती है। बेहतर सर्कुलेशन यह सुनिश्चित करता है कि महत्वपूर्ण अंगों और ऊतकों को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की पूर्ति हो सके। इसके अतिरिक्त मुद्रा के दौरान मांसपेशियों का हल्का संकुचन मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा दे सकता है, वजन नियंत्रित रखने और मेटाबाॅलिज्म स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है।
मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता
ताड़ासन को ग्राउंडिंग पोज के तौर पर भी जाना जाता है, क्योंकि इसमें योग करने वाले के पैरों को धरती से जोड़ कर रखा जाता है। जड़ता और स्थिरता की यह भावना मानसिक स्पष्टता, एकाग्रता और शांति की भावना को बढ़ावा दे सकती है। ताड़ासन में सांस पर ध्यान केंद्रित करते हुए शरीर में खिंचाव लाया जाता है, जो तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है और समग्र मानसिक कल्याण में योगदान देता है।
अन्य कारण
शरीर के निचले हिस्से जैसे जांघों, घुटनों और टखनों को मजबूत बनाता है।
ताड़ासन के अभ्यास से पेट टोंड होता है।
इस योग से साइटिका से राहत मिलती है।
ताड़ासन का अभ्यास लंबाई बढ़ाने में सहायक है।
रीढ़ की हड्डी में खिंचाव लाकर उसके विकारों को दूर करता है।