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पांच साल की उम्र तक का हर बच्चा हो सकता है संक्रमित’, जोखिमों से लेकर बचाव तक डॉक्टर ने दी सारी जानकारी

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नई दिल्ली : यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया, इंग्लैंड में मेडिकल प्रोफेसर डॉ पॉल हंटर कहते हैं, लगभग हर बच्चे को पांच साल की उम्र से पहले कम से कम एक बार एचएमपीवी का संक्रमण होगा। आइए जानते हैं कि आप अपने बच्चे को इससे कैसे बचा सकते हैं?

ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस चीन के बाद अब दुनिया के कई अन्य देशों में भी फैलता जा रहा है। दिसंबर के मध्य से चीन में शुरू हुआ संक्रमण अब तक भारत, मलेशिया, कजाखस्तान, ब्रिटेन, अमेरिका, ग्रीस, सिंगापुर जैसे देशों में भी रिपोर्ट किया जा चुका है। संक्रमण के बढ़ते जोखिमों को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अलर्ट किया है।

वैसे तो अब तक की रिपोर्ट्स से पता चलता है कि एचएमपीवी ज्यादा खतरनाक नहीं है और इसके कारण गंभीर रोग विकसित होने का खतरा भी कम देखा जा रहा है, हालांकि संक्रमण के प्रसार को रोकना जरूरी है क्योंकि ये उन लोगों में स्वास्थ्य जटिलताओं को बढ़ाने वाला हो सकता है जिनकी रोग प्रतिरोधक यानी इम्युनिटी क्षमता कमजोर है।

जिन देशों में अब तक संक्रमण के मामले रिपोर्ट किए गए हैं वहां की स्थिति पर एक नजर डालें तो पता चलता है कि संक्रमण के ज्यादातर शिकार पांच साल से कम उम्र के बच्चे, 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग या फिर वे लोग हो रहे हैं जिनका इम्युनिटी काफी कमजोर है।

ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि इस संक्रामक रोग का खतरा बच्चों में अधिक होता है, इसलिए सभी माता-पिता को विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।

‘पांच साल तक के हर बच्चे में संक्रमण का खतरा’

चीन से मिल रही जानकारियों के मुताबिक वहां एचएमपीवी के शिकार अधिकतर मामले बच्चों के हैं। बच्चों में इसके खतरे को लेकर यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया, इंग्लैंड में मेडिकल प्रोफेसर डॉ पॉल हंटर कहते हैं, लगभग हर बच्चे को पांच साल की उम्र से पहले कम से कम एक बार एचएमपीवी का संक्रमण होगा। इतना ही नहीं जीवनभर में कई बार फिर इस संक्रमण का खतरा हो सकता है। ऐसा पिछले कई दशकों से चला आता रहा है, इसमें कुछ नया नहीं है।

डॉ पॉल कहते हैं, संभवत: आरएनए वायरस में म्यूटेशन के कारण इस बार मामले अधिक चर्चा में हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि वर्तमान में इसको लेकर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। चूंकि इस बार नए म्यूटेशन का डर है इसलिए माता-पिता को अतिरिक्त सावधानी जरूर बरतनी चाहिए।

क्या कहते हैं बाल रोग विशेषज्ञ?

भारत में भी एचएमपीवी के मामले बढ़ रहे हैं। यहां कर्नाटक, मुंबई, बंगलूरू, नागपुर, तमिलनाडु और अहमदाबाद में मामले सामने आए हैं, जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है।

भारतीय बच्चों में इसका कितना खतरा है, उन्हें किस प्रकार की सावधानियां बरतनी चाहिए? इस बारे में जानने के लिए हमने दिल्ली स्थित एक अस्पताल में पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ विभु कवात्रा से बातचीत की।

डॉ विभू बताते हैं, पहले भी बच्चे इस वायरस से संक्रमित होते रहे हैं। कई बार बच्चों में वायरस और बैक्टीरिया का पता लगाने के लिए किए जाने वाले बायोफायर टेस्ट में एचएमपीवी पॉजिटिव आ जाता है। रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस और एचएमपीवी बच्चों में बहुत कॉमन हैं, दोनों ही वायुमार्ग में सूजन पैदा करते हैं, ये दोनों ही छोटे बच्चों को अक्सर होते रहते हैं।

कुछ बच्चों में हो सकती हैं गंभीर समस्याएं

डॉ विभू कहते हैं, एक से पांच साल की उम्र वाले बच्चे कभी न कभी इसकी चपेट में आते ही हैं क्योंकि ये सामान्य खांसी-जुकाम जैसा ही है। कुछ मामलों में इसके संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने या फिर आईसीयू की भी आवश्यकता हो सकती है, ये अमूमन तब होता है जब बच्चे में वायरल लोड बहुत अधिक हो। हालांकि सभी बच्चे में गंभीर रोग का खतरा हो, ऐसा जरूर नहीं है। ज्यादातर बच्चों में ये संक्रमण होकर ठीक भी हो जाता है और इसका पता भी नहीं चलता।

बच्चों को संक्रमण से कैसे बचाएं?

बच्चों को कैसे इस संक्रमण से बचाया जा सकता है, इस बारे में डॉ विभू कहते हैं, एचएमपीवी के बहुत तेजी से बढ़ने के पीछे इसमें नए म्यूटेशन की आशंका जताई जा रही है। अगर ऐसा है तो हो सकता है कि संक्रमण खतरनाक रूप भी ले, हालांकि इसकी पुष्टि के लिए अध्ययनों की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।

फिलहाल चूंकि संक्रमण का डर बढ़ रहा है ऐसे में बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए हाथों का स्वच्छता, भीड़-भाड़ और ठंड से बचाव जैसे सामान्य उपाय काफी हैं। अगर आपके क्षेत्र में एचएमपीवी के मामले हैं और आपके बच्चे को कुछ दिनों से सर्दी-खांसी, सांस लेने में दिक्कत हो रही हो तो इस बारे में किसी चिकित्सक से सलाह ले लें। घबराएं नहीं, एचएमपीवी आसानी से ठीक हो रहा है।