नई दिल्ली : हम जिस मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं, उनसे एक विशेष प्रकार की तरंगें निकलती हैं, जिन्हें आम जनजीवन के लिए हानिकारक माना जाता है। मोबाइल रेडिएशन से मानसिक अवसाद समेत कई घातक बीमारियों के होने की आशंका रहती है।
जिंदगी का प्रमुख हिस्सा बन चुके मोबाइल फोन के रेडिएशन के बारे में जानना भी जरूरी है। यह कई तरह की बीमारियों का कारण भी बन सकता है। आधुनिक जीवनशैली में मोबाइल फोन सबसे अहम चीज है। हम मोबाइल के बिना एक मिनट भी अलग नहीं रह पाते, लेकिन कभी इन मोबाइल फोन्स से निकलने वाले रेडिएशन के बारे में जाना है? जो न केवल वातावरण में रहने वाले पशु-पक्षियों, बल्कि इंसान की सेहत पर भी बुरा असर करता है।
क्या है मोबाइल रेडिएशन?
दरअसल, हम जिस मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं, उनसे एक विशेष प्रकार की तरंगें निकलती हैं, जिन्हें आम जनजीवन के लिए हानिकारक माना जाता है। मोबाइल रेडिएशन से मानसिक अवसाद समेत कई घातक बीमारियों के होने की आशंका रहती है।
ऐसे करें मोबाइल रेडिएशन चेक
अगर आप अपने मोबाइल फोन के रेडिएशन को चेक करना चाहते हैं, तो इसके लिए मोबाइल से #07# डायल करना होगा। यह नंबर डायल करते ही, मोबाइल स्क्रीन पर रेडिएशन संबंधी जानकारी आ जाएगी। इसमें दो तरह से रेडिएशन के स्तर को दिखाया जाता है। एक ‘हेड’ और दूसरा ‘बॉडी’। हेड यानी फोन पर बातचीत करते हुए मोबाइल रेडिएशन का स्तर क्या है और बॉडी यानी फोन का इस्तेमाल करते हुए या जेब में रखे हुए रेडिएशन का स्तर क्या है?
कितना हो मोबाइल रेडिएशन
संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के ‘स्पेसिफिक एब्जॉर्प्शन रेट’ के तहत किसी भी स्मार्टफोन, टैबलेट या अन्य स्मार्ट डिवाइस का रेडिएशन 1.6 वॉट प्रति किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए। शरीर से डिवाइस की 10 मिलीमीटर की दूरी पर भी यह नियम लागू होता है। यदि फोन पर बात करते हुए या जेब में रखे हुए, आपका डिवाइस रेडिएशन की इस सीमा को पार करता है, तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
रेडिएशन से बचने के तरीके
टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों के मुताबिक, डिवाइस को रेडिएशन से बिल्कुल मुक्त तो नहीं किया जा सकता, लेकिन कुछ समय के लिए इससे बचाया जरूर जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, फोन को चार्ज पर लगाकर कभी बात न करें। इस वक्त मोबाइल रेडिएशन 10 गुना तक बढ़ जाता है। सिग्नल कमजोर होने या फिर बैटरी डिस्चार्ज होने पर कॉल न करें। इस दौरान भी रेडिएशन लेवल बढ़ जाता है।
जरूरत पड़ने पर ईयरफोन या हेडफोन का इस्तेमाल करें। इससे शरीर पर रेडिएशन का इफेक्ट कम पड़ता है। इंडियाज नेशनल स्पेसिफिक एब्जॉर्प्शन रेट लिमिट (आईएनएसएआरएल) के अनुसार, मोबाइल के रेडिएशन का मानक अधिकतम 1.6 वॉट प्रति किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए, जबकि चीन समेत कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां इसकी परवाह किए बिना स्मार्टफोन भारतीय बाजार में उतार रही हैं।