शाहजहांपुर : अप्रैल में गेहूं की कटाई के बाद किसानों के खेत खाली हैं. ऐसे में किसान अगली फसल से पहले अपने खेतों में हरी खाद उगा सकते हैं. हरी खाद से मृदा स्वास्थ्य है में भी सुधार होगा. हरी खाद से खरीफ फसलों में भी उत्पादन मिलेगा. नाइट्रोजन की भी बचत होगी.
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के प्रभारी डॉ. एन सी त्रिपाठी ने बताया कि गेहूं की कटाई के बाद किसानों के खेत खाली रहते हैं. तो जरूरी है कि किसान अपने खेतों में हरी खाद तैयार कर लें. किसान अपने खेतों में उड़द, मूंग, लोबिया और ढैंचा की बुवाई कर सकते हैं. किसान इन फसलों को तैयार होने पर जोत कर मिट्टी में मिला दें. जिससे मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा बढ़ेगी.
ढैंचा से हरी खाद बनाने की विधि
डॉ. एन सी त्रिपाठी ने बताया कि हरी खाद की बुवाई करने से पहले सबसे पहले किसान खेत में पानी भरकर उसमें पर्याप्त नमी बना लें. नमी रहती किसान डिस्क हैरो से खेत को जोत कर भुरभुरा कर लें. इसके बाद 20 से 25 किलो ढैंचा का बीज बोकर पटेला लगाकर खेत को समतल कर दें. 15 से 20 दिन बाद खेत में सिंचाई कर दें. ढैंचा की हरी खाद 40 से 45 दिन में तैयार हो जाती है. जिसको डिस्क हैरो से जोत कर मिट्टी में मिलाने के बाद उसमें पानी भरकर सड़ा दें.
उड़द, मूंग और लोबिया की ऐसे करें खेती
डॉ एनपी त्रिपाठी ने बताया कि अगर आप उड़द, मूंग और लोबिया को हरी खाद के तौर पर खेत में बुवाई करना चाहते हैं. तो आप खेत को तैयार करने के बाद 8 से 10 किलो ग्राम बीज प्रति एकड़ के हिसाब से बुवाई कर सकते हैं. खेत को समतल करने के बाद के 20 दिन बाद खेत में सिंचाई करते हैं. जब फसल तैयार हो जाए तो फलियों को तोड़कर अलग कर लें और बचे हुए पौधों को डिस्क हैरो से जोत कर मिट्टी में मिला दें. फिर खेत में पानी भर दें. यह पौधे कुछ ही दिन में सड़ कर खाद में तब्दील हो जाएंगे.
मृदा स्वास्थ्य के लिए बेहतर है हरी खाद
डॉ एनसी त्रिपाठी ने बताया कि खेत में हरी खाद तैयार करने से मिट्टी में ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा बढ़ती है. मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ उत्पादन भी बढ़ता है. इसके अलावा अगली फसलों के लिए आपको कम मात्रा में नाइट्रोजन देना होगा. जिससे किसानों को आमदनी ज्यादा होगी.