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क्या जन्मजात भी हो सकती हैं हृदय की बीमारियां? बच्चों में कैसे करें इसकी पहचान

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नई दिल्ली : हृदय रोग दुनियाभर में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक हैं। लगभग सभी उम्र के लोगों को इसका शिकार पाया जा रहा है। अगर आपको लगता है कि ये सिर्फ उम्र बढ़ने के साथ होने वाली बीमारी है तो आंकड़े आपको गलत साबित कर सकते हैं। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के आंकड़ों के मुताबिक हृदय रोग की व्यापकता समय के साथ बढ़ती जा रही है। कम उम्र के लोगों में हार्ट अटैक के मामले पिछले 10 वर्षों से हर साल 2 प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं। यही कारण है कि सभी लोगों को हृदय रोगों से बचाव के उपाय करते रहने की सलाह दी जाती है।

क्या आप जानते हैं कि सिर्फ बुजुर्ग या वयस्क ही नहीं, बच्चे भी इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या का शिकार हो सकते हैं? इतना ही नहीं कुछ में तो जन्मजात हृदय रोगों की दिक्कत भी देखी जाती है, यानी बच्चों को भी इस समस्या से सुरक्षित नहीं माना जा सकता है।

हृदय रोग और इससे संबंधी बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके रोकथाम को लेकर लोगों को शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है। आइए जानते हैं बच्चों में ये दिक्कत क्यों होती है?

बच्चों में जन्मजात हृदय रोग

जन्मजात हृदय संबंधी दोष, हृदय की संरचना से जुड़ी समस्या है जिसके साथ ही बच्चा जन्म लेता है। कुछ मामलों में इसके उपचार की जरूरत नहीं होती है जबकि कुछ स्थितियां जटिल हो सकती हैं, जिसमें सर्जरी करवाने की आवश्यकता हो सकती है। कॉग्नेटिव हार्ट डिजीज के कारण कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं।

वाल्व संबंधी विकार, जैसे वाल्व का सिकुड़ना जिससे रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है।
हाइपोप्लास्टिक लेफ्ट हार्ट सिंड्रोम, जिसमें हृदय का बायां भाग अविकसित होता है।
दिल में छेद से जुड़े विकार।

क्यों होती है ये समस्या?

गर्भावस्था के पहले छह हफ्तों के दौरान, बच्चे का दिल और मुख्य रक्त वाहिकाएं बननी और दिल धड़कना शुरू हो जाता है। बच्चे के विकास के इस चरण में जन्मजात हृदय दोष विकसित हो सकते हैं। शोधकर्ता मानते हैं कि जीन में बदलाव, कुछ दवाओं या स्वास्थ्य स्थितियों के दुष्प्रभाव और पर्यावरण या जीवनशैली संबंधी कारक जैसे मां के धूम्रपान की आदत के कारण ये समस्याएं अधिक हो सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान रूबेला संक्रमण होने से बच्चे के हृदय विकास में बदलाव हो सकता है।
गर्भावस्था से पहले और उसके दौरान ब्लड शुगर कंट्रोल न रहने से भी ये दिक्कतें हो सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान शराब पीने या धूम्रपान करने से भी बच्चे में जन्मजात हृदय दोष का खतरा बढ़ जाता है।

बच्चों में कैसे करें इसकी पहचान?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बच्चों में हृदय रोगों की समय रहते पहचान जरूरी है ताकि इसका उचित इलाज हो सके और जटिलताओं को कम किया जा सके। कुछ लक्षणों पर गंभीरता से ध्यान दिया जाना चाहिए।
अन्य बच्चों के साथ शारीरिक रूप से तालमेल नहीं बिठा पाना।
खेलने या अन्य शारीरिक गतिविधि के कारण जल्दी सांस फूलने लगना।
शारीरिक गतिविधि के कारण जल्दी पसीना आना।
अक्सर बेहोश हो जाना, सांस लेने में दिक्कत होना।
हार्ट बीट कम या ज्यादा रहना।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, जन्मजात समस्याओं के अलावा भी बच्चों में हृदय रोग के कई जोखिम कारकों को बढ़ते हुए देखा जा रहा है। बच्चों में बढ़ता मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता और जंक-फास्ट फूड खाने की आदत उनमें कम उम्र में ही ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल जैसी गंभीर समस्याओं के खतरे को बढ़ाने वाली हो सकती है। बच्चों के लिए बाहर खेलना, वजन कम रखना और आहार पर ध्यान देना बहुत आवश्यक हो जाता है।