नई दिल्ली : मोबाइल फोन किस तरह से इंसानों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहे हैं, इसपर लंबे समय से चर्चा होती रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, मोबाइल पर लोगों का अधिक समय बीत रहा है जिससे स्क्रीन टाइम बढ़ता है। बढ़े हुए स्क्रीन टाइम को अध्ययनों में सेहत के लिए कई प्रकार से हानिकारक माना जाता रहा है। कुछ रिपोर्ट्स में इस बात को लेकर भी चिंता जताई जाती रही है कि मोबाइल फोन का अधिक इस्तेमाल और अक्सर कान से लगाकर बात करने से ब्रेन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। क्या वास्तव में मोबाइल फोन मस्तिष्क में कैंसर का जोखिम बढ़ा रहे हैं, इस बारे में हालिया अध्ययन में बड़ा खुलासा हुआ है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के शोधकर्ताओं ने अध्ययनों की व्यापक समीक्षा के आधार पर राहत भरी खबर दी है। विशेषज्ञों ने बताया कि मोबाइल फोन से मस्तिष्क या सिर के कैंसर का खतरा नहीं होता है।
मोबाइल फोन के अधिक इस्तेमाल को वैसे तो संपूर्ण सेहत के लिए हानिकारक प्रभावों वाला माना जाता रहा है, हालांकि इस अध्ययन में इससे होने वाले कैंसर के जोखिमों से पर्दा उठ गया है।
5,000 से अधिक अध्ययनों समीक्षा
ये अध्ययन ऑस्ट्रेलियन रेडिएशन प्रोटेक्शन और परमाणु सुरक्षा एजेंसी के नेतृत्व में किया गया है। शोधकर्ताओं ने इसके लिए मोबाइल फोन और इसके दुष्प्रभावों को लेकर किए गए 5,000 से अधिक अध्ययनों की जांच की। अंतिम विश्लेषण में 1994 और 2022 के बीच मनुष्यों पर होने वाले मोबाइल के दुष्प्रभावों के 63 अवलोकन संबंधी अध्ययनों को शामिल किया गया।
अर्पंसा में वैज्ञानिक और समीक्षा के प्रमुख लेखक प्रोफेसर केन कारिपिडिस कहते हैं, कई स्तर पर किए गए जांच के आधार पर हम कह सकते हैं कि मोबाइल से ब्रेन कैंसर होने की बातों में प्रमाणिकता नहीं है।
मोबाइल और कैंसर के संबंधों के बीच अध्ययन
इस अध्ययन में लंबे समय तक मोबाइल के उपयोग के कारण केंन्द्रीय तंत्रिका तंत्र के कैंसर, लार ग्रंथि ट्यूमर और ब्रेन ट्यूमर पर ध्यान दिया गया। प्रोफेसर कारिपिडिस कहते हैं, क्योंकि हम कॉल करते समय सिर के पास मोबाइल फोन रखते हैं इसलिए अक्सर ये चिंता रही है कि फोन से निकलने वाले रेडिएशन के कारण ब्रेन में कैंसर हो सकता है।
पहले के अध्ययनों में किया गया था अलर्ट
मोबाइल फोन और कैंसर के बीच के संबंध के शुरुआती अध्ययनों से इस खतरे को लेकर अलर्ट किया गया था।
इसे व्यापक तौर पर समझने के लिए वैज्ञानिकों ने इस बार ब्रेन ट्यूमर वाले और बिना कैंसर वाले लोगों के समूह के बीच के जोखिमों की जांच की। इस आधार पर विशेषज्ञ कहते हैं, निष्कर्ष से हम पूरी तरह आश्वस्त हैं। निश्चित ही मोबाइल फोन का उपयोग बढ़ गया है लेकिन ब्रेन ट्यूमर की दर स्थिर बनी हुई है।
क्या कहते हैं शोधकर्ता?
सिडनी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और पर्यावरणीय कैंसर समिति के अध्यक्ष टिम ड्रिस्कॉल कहते हैं, मुझे लगता है कि लोगों को इस अध्ययन से आश्वस्त होना चाहिए हालांकि यह याद रखना जरूरी है कि अध्ययन परिपूर्ण नहीं हैं और मोबाइल फोन का अधिक उपयोग सेहत के लिए कई अन्य मामलों में ठीक नहीं है।
प्रोफेसर कारिपिडिस ने कहा कि वैसे तो मोबाइल फोन के कारण पुरुषों-महिलाओं में प्रजनन क्षमता पर असर के भी संकेत नहीं मिले हैं। पर इसका मतलब ये नहीं है मोबाइल पूरी तरह सुरक्षित हैं। इसके शारीरिक-मानसिक दुष्प्रभावों को लेकर सावधान रहना सभी के लिए जरूरी है। इसको समझने के लिए अगले स्तर का अध्ययन किया जा रहा है।