नई दिल्ली : सोनम कपूर ने एक कार्यक्रम में बताया कि वह किशोरावस्था से ही पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम से पीड़ित हैं जिसके कारण उन्हें काफी ट्रोल होना पड़ा। आइए पीसीओएस के बारे में जानते हैं।
बॉलीवुड अभिनेत्री सोनम कपूर ने हाल ही में एक कार्यक्रम में बताया कि वह किशोरावस्था से ही एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या से जूझ रही हैं। उन्हें पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम की दिक्कत है। इस बीमारी के कारण उनके चेहरे पर बहुत ज्यादा बाल हो गए थे, जिस वजह से उन्हें खूब ट्रोल होना पड़ा। इन घटनाओं ने उन्हें मानसिक तौर पर काफी आघात पहुंचाया। सोनम कहती हैं, लोग मेरे चेहरे पर बाल होने का मजाक उड़ाते थे और कहते ये “अनिल कपूर की बेटी” है इसलिए इसके भी ज्यादा बाल हैं। इसके अलावा 16 साल की उम्र में वजन बढ़ने और इसके कारण होने वाली जटिलताओं ने भी मुझे बहुत परेशान किया।
सोनम कहती हैं, पीसीओएस के कारण मुझे कई हार्मोनल समस्याएं भी हुईं। जब मैं 16 साल की हुई तो मोटापे का शिकार हो गई, यह वह समय होता है जब आपको सबसे सुंदर होना चाहिए। मेरे चेहरे पर बाल थे और मुंहासे निकलने लगे। समय के साथ ये लक्षण तो ठीक हो जाते हैं पर इसका मानसिक असर बहुत परेशान करने वाला होता है।
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम महिलाओं में होने वाली बहुत कॉमन समस्या है। भारत में हर पांच में से एक महिला में ये दिक्कत देखी जाती है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। आइए पीसीओएस के बारे में जानते हैं।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के बारे में जानिए
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम प्रजनन आयु की महिलाओं में होने वाली बीमारी है। हार्मोनल परिवर्तन से जुड़ी इस समस्या में आपका मासिक धर्म चक्र प्रभावित हो जाता है। इसमें या तो कई बार पीरियड्स होता ही नहीं या फिर कई दिनों तक होता रह सकता है।
पीसीओएस की समस्या के कारण आपकी ओवरी के बाहरी किनारे पर तरल पदार्थों से भरे छोटे-छोटे सिस्ट हो सकते हैं। पीसीओएस का समय पर निदान और लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए उपचार आवश्यक हो जाता है।
पीसीओएस की पहचान कैसे की जाए?
पीसीओएस की समस्या आपके शरीर को कई प्रकार से प्रभावित करने वाली हो सकती है। मासिक धर्म का अनियमित होना इसका सबसे आम लक्षण है।
शरीर में एंड्रोजन हार्मोन का स्तर काफी बढ़ जाने के कारण चेहरे और शरीर पर बहुत ज्यादा बाल हो सकते हैं। चेहरे पर मुंहासे और कुछ महिलाओं में गंजापन का भी खतरा बढ़ जाता है। पीसीओएस के लक्षण आमतौर पर मोटापा से ग्रस्त लोगों में अधिक गंभीर होते हैं। पीसीओएस की जटिलताओं का अगर उपचार न किया जाए तो इससे गर्भावस्था में भी दिक्कतें हो सकती हैं।
क्यों होती है ये दिक्कत?
पीसीओएस की समस्या क्यों होती है इस बारे में विशेषज्ञों को सटीक जानकारी नहीं है। शोध से पता चलता है कि कुछ जीन पीसीओएस से जुड़े हो सकते हैं। जिन लोगों के परिवार में पहले से किसी को ये दिक्कत रही है उनमें पीसीओएस होने का जोखिम और बढ़ जाता है। जिन लोगों में इंसुलिन रेजिस्टेंस या फिर मोटापा की दिक्कत रही है उनमें भी पीसीओएस का जोखिम हो सकता है।
पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में टाइप-2 डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, हृदय और रक्त वाहिकाओं की बीमारी होने का खतरा भी देखा जाता रहा है।
पीसीओएस हो जाए तो क्या करें?
अध्ययनों से पता चलता है कि पीसीओएस को ठीक नहीं किया जा सकता है। उपचार के माध्यम से इसके लक्षणों को नियंत्रित करने और जटिलताओं को रोकने का प्रयास किया जाता है। लक्षणों को ठीक करने के लिए दवाओं के साथ रोगी को लाइफस्टाइल में सुधार करने की सलाह दी जाती है।
डॉक्टर आपको लो-कैलोरी वाले आहार के सेवन के साथ शारीरिक गतिविधियों की सलाह देते हैं जिससे वजन घटाने में मदद मिल सके। वजन को कंट्रोल में रखना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तनों और अधिक वजन के कारण डायबिटीज और हृदय रोग विकसित होने का खतरा भी अधिक होता है।