बांका. किसान आज परंपरागत फसलों जैसे- गेहूं व मक्का की खेती छोड़कर नकदी फसलों की खेती की ओर रूख कर रहे हैं. इसमें केले की खेती से किसानों को काफी लाभ हो रहा है, केला एक नकदी फसल है. इसके बाजार में भाव भी ठीक मिल जाते हैं. इसकी साल के 12 महीने होती है. इस हिसाब से देखा जाए तो केले की खेती किसानों के लिए काफी लाभकारी साबित हो रही है.
आपको बता दे की बांका जिला के अमरपुर प्रखंड अंतर्गत सुरिहरी गांव निवासी संजय झा 1 एकड़ की भूमि में दो नस्ल की किले की खेती कर रहे हैं. बताते हैं कि केले की खेती एक नगदी फसल है अगर आप केले की पौधों को एक बार लगाते हैं तो 5 साल तक फल ले सकते हैं, इससे किसान को तुरंत पैसे मिलते हैं. बता दें कि केला भारत का प्राचीनतम स्वादिष्ट पौष्टिक पाचक एवं लोकप्रिय फल है. हमारे देश में प्राय हर गांव में केले के पेड़ मिल जाते हैं. केले की खेती कम लागत में शानदार मुनाफा होता है यही वजह है कि बहुत से किसान केले की खेती कर रहे हैं.
बड़े भाई के आईडिया से बदली जिदंगी
किसान संजय ने बताया कि उन्हें केले की खेती करने का आईडिया बड़े भाई पिंकू मिश्रा से मिला है. इसके बाद अमरपुर कृषि कार्यालय किसान सलाहकार जयराम चौधरी की सलाह पर उन्होंने एक एकड़ G9 और जहाजी केले की खेती शुरू कर दी. उन्होंने बताया कि केले की खेती के लिए गर्मतर एवं सम जलवायु उत्तम मानी जाती है. वर्षा वाले क्षेत्रों में केले की खेती बेहतरीन हमारे यहां सामान्य रूप से केला के अनुकूल ना मौसम है ना भूमि फिर भी समुचित व्यवस्था कर केले की खेती की शुरुआत की.
ऐसे होती है सिचाई
उन्होंने बताया कि केले की खेती के लिए g9 और जहाजी नस्ल के पौधे की खरीदारी करने के बाद भूमि को तैयार कर 10 बाय 10 की दूरी पर एक-एक पौधे को लगाया जाता है. वह सिंचाई के लिए ठंड के मौसम में एक बार और गर्मी के मौसम में दो बार करनी पड़ती है. वही समय-समय रासायनिक खाद का भी प्रयोग करना पड़ता है. साथ ही बताते हैं की कला का पौधे जब बढ़ते हैं तो साथ में कई पौधों का जन्म होता है उसे समय मात्र एक एक थैले में दो पौधे ही रहने दिया जाता है बाकी अन्य पौधों को काट दिया जाता है. जिसे पौधे का अच्छा विकास होता है. किसान ने बताया कि केले की फसल के लिए किसी बाजार की आवश्यकता नहीं होती है.