प्रयागराज : महाकुंभ 2025 में 14वें अखाड़े का गठन किया गया. इसका नाम रामधारी अखाड़ा रखा गया है. इस अखाड़े का काम पूरी दुनिया में राम राज्य की स्थापना करना है. महाकुंभ में विश्व धर्म महासभा में अखाड़े की पहली बैठक हुई. इसमें पूरी दुनिया में राम राज्य की स्थापना पर मंथन किया गया.13 में से 9 अखाड़े उत्तर भारत में : राम राज्य स्थापना न्यास के अध्यक्ष डॉ. मल्लिकार्जुन राव का कहना है कि चूंकि 13 अखाड़ों में से 9 प्रमुख अखाड़े उत्तर भारत में ही हैं. दक्षिण भारत में एक भी अखाड़ा नहीं है. ऐसे में दक्षिण भारत का प्रतिनिधित्व नहीं हो पाता है. वहां के संत बिखरे हुए हैं.
दक्षिण भारत में भी लाखों साधु–संत रहते हैं. उनको एकत्रित करने और संगठित करने के लिए रामधारी अखाड़े का गठन किया गया है. जो राम को धारण करेगा वह इस अखाड़े से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जुड़ेगा.डॉ. मल्लिकार्जुन राव ने बताया कि दक्षिण भारत में रामलला के भक्तों को एकत्रित करने के लिए हैदराबाद के नजदीक कामारेड्डी में रामलला के विग्रह की स्थापना की गई है. मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है. यहीं पर रामधारी अखाड़े का कार्यालय भी खोला गया है. यही इस अखाड़े का मुख्यालय होगा.डॉ. मल्लिकार्जुन राव ने 14वें अखाड़े के बारे में बताया. (
धर्माधिकारी का होगा चयन : डॉ. राव का कहना है कि भारत में सनातन बोर्ड के गठन की मांग चल रही है. हमने विश्व धर्म महासभा में पार्लियामेंट मेंबर्स की तरह की धर्माधिकारी का चयन करने का निर्णय लिया गया है. जितने पार्लियामेंट के सदस्य उतने धर्माधिकारी. ये पार्लियामेंट ऑफ धर्मा होगा. पार्लियामेंट ऑफ धर्मा के द्वारा हम चारों स्तंभों को नियंत्रित करना चाहते हैं. चारों स्तंभों में भी अनीति और भ्रष्टाचार बढ़ गया है. भारत में धर्म ही प्रथम स्थान पर रहना चाहिए. कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका और प्रेस को आगे नहीं रखना चाहिए. धर्म के बाद बाकी चार पिलर्स रहने चाहिए.मतों के आधार पर नहीं होगा धर्माधिकारी का चयन : डॉ. राव का कहना है कि पार्लियामेंट ऑफ धर्मा में मतों के आधार पर चुनाव नहीं होगा.
इनका चयन उस असेंबली के धर्माचार्य, साधु–संन्यासी करेंगे. पहले भी भारत में सब चुनाव से नहीं होता था. आजादी के बाद से चुनाव आयोग का गठन किया गया. 70 वर्ष पहले हजारों साल से धर्माचार्य ही इस देश का नियंत्रण करते थे. राजा सबसे उत्तम है, राजा अगर गलती करे तो उसे कौन दंड देगा? ऐसे में धर्म राजा को दंड देता है. इसीलिए धर्म को सर्वोपरि माना गया है. प्रभु राम ने धर्म के विरुद्ध आचरण करने पर रावण को मृत्युदंड दिया. पार्लियामेंट में आधा मेंबर्स पर मुकदमे हैं. सुप्रीम कोर्ट में भी कई जस्टिस जांच के घेरे में हैं. ऐसे में धर्म की सर्वोपरि होना चाहिए.
राम राज्य स्थापना न्यास का भी गठन : महाकुंभ में 25 फरवरी को हुई बैठक में देश-दुनिया के कोने कोने से सनातनी और संत महात्मा आए थे. इस दौरान 14वें अखाड़े के अलावा राम राज्य स्थापना न्यास का भी गठन किया गया. हालांकि अभी नव गठित इस 14वें अखाड़े को मान्यता नहीं मिली है. न्यास के पहले अध्यक्ष डॉ. मल्लिकार्जुन राव ने बताया कि राम राज्य की स्थापना के लिए न्यास और रामधारी अखाड़ा काम करेगा.
रामराज्य क्या है? रामराज्य कैसा था? रामराज्य में लोग कैसे होते थे? रामराज्य का विस्तार क्या है? इन सभी विषयों पर इस बैठक में मंथन हुआ. कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं.पूरी दुनिया में राम राज्य की स्थापना हमारा लक्ष्य : मल्लिकार्जुन राव ने बताया कि रामराज्य का सेंटर अयोध्या है. पूरी दुनिया में राम राज्य की स्थापना हमारा लक्ष्य है. न्यास भारत में जगह-जगह संस्कृत भाषा में गुरुकुल चलाएगा. जो माहौल गुरुकुल का होता था वैसा ही माहौल रखा जाएगा. हमें मालूम है कि राम राज्य की स्थापना में समय लगेगा. शिक्षा, संस्कार और धर्म राम राज्य स्थापना का हथियार होगा. न्यास शिक्षा के साथ ही साथ गो आधारित व्यवसाय की शुरुआत भी करेगा. देसी पैथी से इलाज करेगा. सनातनियों को अपने साथ जोड़ेगा. विश्व धर्म महासभा का भी होगा प्रारंभ होगा. इसके लिए महाकुंभ में अलग-अलग राज्यों और वर्ग के साथ बैठक हुई है.
जानिए कौन हैं डॉ. मल्लिकार्जुन राव? : डॉ. मल्लिकार्जुन ने 60 देशों में जाकर रामायण के ऊपर शोध किया है. हैदराबाद के रहने वाले डॉ. राव आर्कियोलौजी में पीएचडी हैं. उन्होंने 35 वर्षों तक विभिन्न विश्वविद्यालयों में अपनी सेवाएं दी हैं. विभिन्न लेखकों द्वारा विभिन्न भाषाओं में लिखी गई दुनियाभर से 100 से अधिक रामायण का संकलन और उनपर शोध किया है. उनका कहना है कि राम राज्य की अवधि 11 हजार साल की रही है. वाल्मीकि रामायण में राम के केवल 40 साल का जीवन चरित्र है. 100 करोड़ श्लोकों में भगवान राम के संपूर्ण जीवन का वर्णन है. विभिन्न देशों से अब तक जुटाए गए रामायण के सहारे राम राज्य कैसा हो, उस पर काम चल रहा है.
जानिए 13 अखाड़ों के नाम : रामधारी अखाड़े के अलावा 13 अन्य अखाड़े भी हैं. इनमें निरंजनी अखाड़ा, अटल अखाड़ा, महानिर्वाण अखाड़ा, जूना अखाड़ा, आह्वान अखाड़ा, पंचाग्नि अखाड़ा, निर्मोही अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, नागपंथी गोरखनाथ अखाड़ा, वैष्णव अखाड़ा, निर्मल पंचायती अखाड़ा, उदासीन पंचायती बड़ा अखाड़ा, उदासीन नया अखाड़ा हैं.