नई दिल्ली : स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बच्चों में मोटापे की समस्या के कारण भविष्य में हृदय रोगों के जोखिमों को लेकर सावधान किया है। अगर आपका बच्चा भी मोटापे का शिकार है और इसपर समय रहते ध्यान न दिया गया तो भविष्य में उसमें कई प्रकार की जानलेवा बीमारियां होने का जोखिम कई गुना तक बढ़ जाता है।
अधिक वजन या मोटापे को स्वास्थ्य के लिए सबसे खराब स्थिति माना जाता है, जिन लोगों का वजन सामान्य से अधिक होता है उनमें कई प्रकार की गंभीर और क्रोनिक बीमारियों का खतरा भी अधिक देखा जाता रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को अपनी हाइट के अनुसार वजन को कंट्रोल में रखने की सलाह देते हैं।
वजन बढ़ना या मोटापा वैसे तो सभी उम्र के लोगों के लिए नुकसानदायक है, पर अध्ययनों में विशेषज्ञ बच्चों में बढ़ती इस समस्या को लेकर चिंता जता रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार अगर आपका बच्चा भी मोटापे का शिकार है और इसपर समय रहते ध्यान न दिया गया तो भविष्य में उसमें कई प्रकार की जानलेवा बीमारियां होने का जोखिम कई गुना तक बढ़ जाता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बच्चों में मोटापे की समस्या के कारण भविष्य में हृदय रोगों के जोखिमों को लेकर सावधान किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, साल 1975 में पांच-19 वर्ष की आयु के 1% से भी कम बच्चे और किशोर मोटे थे, वहीं साल 2016 में ये आंकड़ा बढ़कर 124 मिलियन हो गया है। ये निश्चित ही गंभीर समस्या है जिसको लेकर सभी माता-पिता को सावधान हो जाने की जरूरत है।
मोटापा के कारण होने वाली दिक्कतें
मोटापा से मतलब है कि अगर आपका बॉडी मास इंडेक्स आपकी उम्र और लिंग के अन्य लोगों की तुलना में काफी अधिक है तो इसे मोटा कहा जाता है। बच्चों में मोटापे की समस्या में वैश्विक वृद्धि देखी जा रही है। भारतीय बच्चे भी इसका तेजी से शिकार हो रहे हैं।
कई शोध बताते हैं कि सामान्य से अधिक वजन की समस्या हृदय रोग और डायबिटीज का प्रमुख कारण है। बच्चों में या कम उम्र में वजन बढ़ने से किशोरावस्था या युवावस्था में इन बीमारियों का जोखिम और भी बढ़ जाता है। इसके कारण न सिर्फ क्वालिटी ऑफ लाइफ प्रभावित होती है साथ ही कई मामलों में इसके जानलेवा जोखिम भी हो सकते हैं।
अधिक वजन वाले बच्चों में हृदय रोगों का खतरा
एक अध्ययन से पता चलता है कि बचपन में मोटापा के कारण आगे चलकर उच्च रक्तचाप, ब्लड लिपिड और ब्लड शुगर बढ़ने की समस्या हो सकती है, जिसे काफी गंभीर माना जाता रहा है। शोध में पाया गया है कि मोटे बच्चों में अन्य बच्चों की तुलना में वयस्कावस्था तक मोटापा बने रहने और इसके कारण हृदय रोग और डायबिटीज होने का खतरा पांच गुना तक अधिक हो सकता है।
लो बीएमआई वाले बच्चों की तुलना में हाई बीएमआई वाले बच्चों को 30-40 की उम्र में कार्डियोवैस्कुलर रोग होने का जोखिम 40 फीसदी तक अधिक हो सकता है। धूम्रपान और हाई बीएमआई के साथ ब्लड प्रेशर, लिपिड सहित अन्य जोखिम कारकों के कारण दिल का दौरा और स्ट्रोक होने की आशंका आठ से दस गुना अधिक होता है।
वजन को कंट्रोल करने के उपाय करें
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बच्चो में बढ़ती शारीरिक निष्क्रियता, स्क्रीन टाइम और बाहरी गतिविधियों-व्यायाम की कमी के कारण मोटापे का खतरा बढ़ता जा रहा है। आहार के संबंध में, बच्चों को पर्याप्त नाश्ता करना चाहिए, जंक-फास्ट फूड का अधिक सेवन, भोजन में नमक-चीनी की अधिकता के कारण वजन बढ़ता जा रहा है।
डॉक्टर कहते हैं, स्कूली उम्र के बच्चों कोप्रतिदिन कम से कम 60 मिनट मध्यम से लेकर जोरदार एरोबिक शारीरिक गतिविधि जरूर करनी चाहिए। इसके अलावा, मांसपेशियों को मजबूत करने वाली गतिविधियां सप्ताह में कम से कम तीन बार की जानी चाहिए। इसकी मदद से वजन कम करने और शरीर को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है।
माता-पिता दें ध्यान
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बच्चों के वजन कंट्रोल के लिए सभी माता-पिता विशेष ध्यान दें। कम उम्र से ही कुछ बातों पर गंभीरता से ध्यान देना जरूरी है।
बच्चों की शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा दें। बाहर खेलने और व्यायाम के लिए भेजें।
खाने की स्वस्थ आदतों को बढ़ावा दें।
फाइबर-प्रोटीन वाली चीजों का अधिक सेवन कराएं।