नई दिल्ली : एक मार्केट खुफिया फर्म के मुताबिक इस मृत्यु घड़ी एप के नतीजे इतने सटीक हैं कि जुलाई में इसके लॉन्च होने के बाद से ही अब तक इसे 1,25,000 लोगों द्वारा इसे डाउनलोड कर लिया गया है।
हमेशा से ही इंसान को इस बात में रुचि रही है कि वह कितने दिन जिएगा या उसकी जिंदगी कितनी लंबी है। अब दौर कृत्रिम बुद्धिमत्ता का है। ऐसे में एआई तकनीक की मदद से अब इसका भी अनुमान लगाया जा सकता है कि आपकी मृत्यु का दिन कौन सा हो सकता है। हाल ही में एआई की मदद से एक मृत्यु घड़ी बनाई गई है, जो कि एक एप है। इसकी मदद से इंसान की मृत्यु के दिन का करीब-करीब सटीक पता लगाया जा सकता है।
लोगों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही यह एप
एक मार्केट खुफिया फर्म के मुताबिक इस मृत्यु घड़ी एप के नतीजे इतने सटीक हैं कि जुलाई में इसके लॉन्च होने के बाद से ही अब तक इसे 1,25,000 लोगों द्वारा इसे डाउनलोड कर लिया गया है। इस एप को पांच करोड़ प्रतिभागियों और 1200 से ज्यादा जीवन प्रत्याशा अध्ययनों के आधार पर तैयार किया गया है। यह एप किसी व्यक्ति के आहार, व्यायाम, तनाव के स्तर, नींद के बारे में जानकारी का इस्तेमाल करके उस व्यक्ति की मौत के संभावित दिन की भविष्यवाणी करती है। इस एप के डेवलेपर ब्रेंट फ्रैंसन कना कहना है कि इसके परिणाम बहुत मानक हैं।
यह डेथ क्लॉक स्वस्थ जीवन शैली वाले लोगों के बीच खासी लोकप्रिय हो रही है और फिटनेस और स्वास्थ्य श्रेणी में यह एप शीर्ष पर है। उल्लेखनीय है कि लोगों की जीवन प्रत्याशा, सरकारों, बीमा कंपनियों के लिए आर्थिक और वित्तीय गणना के लिहाज से हमेशा से अहम रही है। इसी के आधार पर सरकारें और बीमा कंपनियां जीवन बीमा और पेंशन फंड में पॉलिसी कवरेज की गणना करती हैं।
आर्थिक स्थिति और जीवन प्रत्याशा में है सीधा संबंध
यह डेथ क्लॉक एप यूजर्स को ऐसे सुझाव भी देती है, जिससे वह अपनी जीवन शैली में सुधार कर अपनी मृत्यु दर को कम कर सकते हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इंसान की जीवन प्रत्याशा और उसकी आर्थिक स्थिति के बीच सीधा अंतर पाया गया है। अमेरिकी मेडिकल एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित शोध में पाया गया है कि सबसे अमीर और सबसे गरीब लोगों के जीवन वर्षों में पुरुषों में 15 साल और महिलाओं में 10 साल का अंतर पाया गया है। मतलब अमीर पुरुष गरीब पुरुषों के मुकाबले औसतन 15 साल ज्यादा जीते हैं।