नई दिल्ली : डॉक्टर कहते हैं, मधुमेह से बचाव के लिए जरूरी है कि लोगों को इस रोग के बारे में सही जानकारी हो। डायबिटीज को लेकर फैली कई सारी बातें मिथ हैं जिसको हम सभी सच मानते आ रहे हैं। आइए ऐसे ही कुछ मिथ्स के बारे में जानते हैं।
डायबिटीज वैश्विक स्तर पर बढ़ती गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जिसका शिकार लगभग सभी उम्र के लोगों को देखा जा रहा है। बढ़े हुए ब्लड शुगर की ये बीमारी शरीर को कई प्रकार से प्रभावित कर सकती है। जिन लोगों का शुगर लेवल अक्सर बढ़ा रहता है उनमें समय के साथ पाचन, आंखों, तंत्रिकाओं, हृदय रोग और किडनी की बीमारी होने का खतरा रहता है। लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी को इस रोग का प्रमुख कारण माना जाता रहा है। यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल करने के लिए प्रयास करते रहने की सलाह देते हैं।
दुनियाभर में तेजी से बढ़ती इस बीमारी की रोकथाम को लेकर लोगों को जागरूक करने, बचाव के बारे में शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है।
डॉक्टर कहते हैं, मधुमेह से बचाव के लिए जरूरी है कि लोगों को इस रोग के बारे में सही जानकारी हो। डायबिटीज को लेकर कई सारी बातें मिथ हैं जिसको हम सभी सच मानते आ रहे हैं। आइए ऐसे ही कुछ मिथ्स के बारे में जानते हैं।
मिथ- चीनी खाने से मधुमेह होता है।
जब भी बात डायबिटीज से बचाव की होती है तो सबसे पहले कहा जाता है चीनी खाना कम कर दो। तो क्या चीनी खाने से डायबिटीज होता है? स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, चीनी खाने से सीधे तौर पर मधुमेह नहीं होता है। हालांकि, मीठा खाने से वजन बढ़ सकता है, जो टाइप 2 मधुमेह के लिए जोखिम कारक है। वहीं टाइप-1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली अग्न्याशय में इंसुलिन उत्पादक कोशिकाओं को नष्ट करने लगती है।
सीधे तौर पर चीनी खाने से डायबिटीज नहीं होता है, ये इस रोग के जोखिम कारकों को बढ़ा देती है।
मिथ- डायबिटीज केवल मोटापा ग्रस्त लोगों को होता है
अधिक वजन या मोटापा को टाइप-2 डायबिटीज और गर्भावधि के दौरान होने वाली डायबिटीज के लिए जोखिम कारक माना जाता है। हालांकि यह समस्या किसी को भी हो सकती है। रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र की राष्ट्रीय मधुमेह सांख्यिकी रिपोर्ट, 2020 के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में टाइप-2 डायबिटीज वाले 11% लोग न तो अधिक वजन वाले थे न ही मोटे।
इसमें लाइफस्टाइल और आहार की गड़बड़ी एक प्रमुख कारक है।
मिथ- डायबिटीज है तो फल नहीं खाना चाहिए
फल और सब्जियों को स्वस्थ और संतुलित आहार माना जाता है। फलों में प्राकृतिक शर्करा की मात्रा होती है शायद यही कारण है कि लोगों को डर होता है कि फल खाने से शुगर बढ़ सकता है। लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात है कि इसमें अन्य पोषक तत्व और फाइबर भी होते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, डायबिटीज में फल खा सकते हैं बस उसके ग्लाइसेमिक इंडेक्स का ध्यान रखें। सेब, एवाकाडो, संतरा, नाशपाती, अमरूद जैसे फल डायबिटीज वालों के लिए फायदेमंद माने जाते हैं।
मिथ- एक समय भोजन न करने से शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है
मधुमेह रोगियों के बीच एक और गलत धारणा यह है कि यदि वे भोजन नहीं करते हैं, तो उनका शर्करा स्तर नियंत्रित हो जाएगा। जबकि तथ्य यह है कि ज्यादा देर तक खाली पेट रहने से शुगर बढ़ने का खतरा और अधिक होता है। शुगर कंट्रोल करने के लिए दिनभर में कुल कैलोरी पर ध्यान देना सेवन महत्वपूर्ण है। नियमित अंतराल पर पौष्टिक चीजों का सेवन करते रहें। ज्यादा देर तक खाली पेट रहने से बचना चाहिए।