नई दिल्ली : भारत साल 2025 तक तपेदिक या ट्यूबरक्लोसिस रोग के उन्मूलन के लक्ष्य पर भी काम कर रहा है, हालांकि ये राह इतनी आसान नजर नहीं आ रही है। इसके मरीज हर साल बढ़ रहे हैं। हालिया आंकड़े और भी परेशान करने वाले हैं।
निर्धारित लक्ष्य पर गंभीरता से काम करके और लोगों में जागरूकता बढ़ाकर पिछले दो दशकों में भारत ने कई गंभीर बीमारियों पर विजय पाई है। पोलियो पर भारत की विजय ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया। इसी क्रम में भारत साल 2025 तक तपेदिक या ट्यूबरक्लोसिस रोग के उन्मूलन के लक्ष्य पर भी काम कर रहा है, हालांकि ये राह इतनी आसान नजर नहीं आ रही है।
फेफड़ों में होने वाले इस गंभीर संक्रमण से हर साल दुनियाभर में लाखों लोग प्रभावित होते हैं, भारत के लिए भी ये बीमारी चिंता का कारण बनी हुई है। भारत से टीबी को अगले साल तक खत्म करने का लक्ष्य रखा गया था हालांकि इसके मरीज हर साल बढ़ रहे हैं।
आंकड़ों के मुताबिक साल 2023 में भारत में 25.37 लाख टीबी के मामले दर्ज किए गए। इससे पहले 2022 में करीब 24.22 लाख लोगों में इस बीमारी का पता चला था। ज्यादातर मामले सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा रिपोर्ट किए गए, निजी क्षेत्र में भी बड़ी संख्या में मामलों को निदान किया जा रहा है। इतना ही नहीं स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हो सकते हैं जिन्हें ये बीमारी तो है पर उनका निदान नहीं किया गया है जिससे संक्रमण के और भी बढ़ने का खतरा रहता है।
दुनियाभर में बढ़ रहे हैं टीबी के मामले
टीबी के मरीज दुनियाभर में देखे जा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक रिपोर्ट में बताया कि साल 2023 में दुनियाभर में 8 मिलियन से अधिक लोगों में तपेदिक का पता चला है। यह संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी द्वारा 1995 में ट्रैक रखना शुरू करने के बाद से दर्ज किए गए मामलों की सबसे अधिक संख्या है। इससे पहले 2022 में डब्ल्यूएचओ ने टीबी के 7.5 मिलियन मामले दर्ज किए। पिछले साल लगभग 1.25 मिलियन लोगों की टीबी से मृत्यु भी हुई है।
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि टीबी के ज्यादातर मामले दक्षिण पूर्व एशिया, अफ्रीका और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र के लोगों में देखे जा रहे हैं।
डब्ल्यूएचओ ने जताई चिंता
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेब्येयियस ने एक बयान में कहा, टीबी अभी भी इतने लोगों को बीमार कर रहा है और लाखों लोगों की मौत हो रही है, ये निश्चित ही चिंताजनक है। हमारे पास इसे रोकने, इसका पता लगाने और इलाज करने के उपकरण हैं फिर भी ये बीमारी लगातार बढ़ रही है, जो वास्तव में परेशान करने वाली स्थिति है।
टीबी से संबंधित मौतों की संख्या में मामूली गिरावट जरूर आई है। साल 2022 में 1.32 मिलियन मौतों से घटकर साल 2023 में यह 1.25 रह गई है, लेकिन नए संक्रमितों की संख्या बढ़ना गंभीर विषय है।
वैश्विक टीबी के लगभग 25% मामले भारत से
भारत की बात करें तो यहां सामने आने वाले मामले अब भी वैश्विक टीबी का लगभग 25% हिस्सा है। स्वास्थ्य क्षेत्र में गंभीर व्यावसायिक जोखिमों को रेखांकित करते हुए एक अध्ययन में पाया गया कि भारत में सामान्य आबादी की तुलना में स्वास्थ्य कर्मियों के बीच टीबी के मामले बहुत अधिक हैं।
साल 2004 से 2023 के बीच किए गए 10 अलग-अलग अध्ययनों के विश्लेषण से पता चला है कि भारत में प्रति एक लाख स्वास्थ्य कर्मियों पर औसतन 2,391.6 मामले हैं। टीबी कई तरह से स्वास्थ्य के लिए गंभीर माना जाता है जिससे बचाव के उपाय करते रहना बहुत जरूरी है।
टीबी संक्रमण के बारे में जानिए
टीबी, माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होने वाला संक्रामक रोग है। ये मुख्यरूप से वायुजनित ड्रॉपलेट्स के माध्यम से फैलता है। टीबी रोग वाले लोगों की खांसी या छींक से निकलने वाले बूंदों के माध्यम से आसपास के अन्य लोगों में संक्रमण का खतरा हो सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, दो सप्ताह से अधिक समय तक अगर खांसी की दिक्कत बनी रहती है और कफ या खून आता है, सीने में दर्द, कमजोरी या थकान की समस्या रहती है तो ये टीबी का संकेत हो सकता है। इसके अलावा कुछ लोगों में टीबी के कारण वजन कम होने, भूख कम लगने, ठंड लगने, बुखार और रात में पसीना आना की भी दिक्कत हो सकती है। अगर आपमें भी इस तरह के लक्षण हैं तो तुरंत इसकी जांच कराएं। टीबी रोग का समय पर इलाज होने से इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।